डेस्क: भारत एक बहुत विशाल देश है. ये देश जितना बड़ा है, उससे भी बड़ी यहां की संस्कृति है. हर थोड़ी दूर पर यहां परम्पराएं बदल जाती हैं. हर समाज ने अपने अलग नियम बना रखे हैं. इन नियमों का पालन सदियों से लोग करते चले आ रहे हैं. कुछ परंपराओं के बारे में जानते ही लोग हैरान हो जाते हैं. ऐसी ही एक अजीबोगरीब परम्परा (strange tradition) मानी जाती है छतरपुर जिले (Chhatarpur district) में बसे एक आदिवासी गांव (tribal village) में. इस गांव में साढ़े तीन सौ से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं. इस गांव में दो सौ सालों से एक परम्परा चली आ रही है. इस गांव में आज भी बहुओं (daughters-in-law) को बुजुर्गों (elders) के सामने चप्पल पहन कर चलने की इजाजत नहीं है. ऐसा करना उन्हें अपना अपमान लगता है.
छतरपुर से 135 किलोमीटर दूर बक्स्वाहा ब्लॉक के पास स्थित है मानकी गांव. ये गांव के पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है. इसमें रहने वाले साढ़े तीन सौ परिवार आज भी सदियों पुरानी मान्यताओं को निभा रहे हैं. यहां रहने वाले लोग सौर समुदाय के हैं. यहां घर की बहुओं को बुजुर्गों के सामने चप्पल पहनने की इजाजत नहीं है. अगर कोई बहु अपने बुजुर्गों के सामने चप्पल पहनकर घूमती है तो उसे बेशर्म माना जाता है. इस वजह से बहुएं जैसे ही किसी बुजुर्ग को देखती हैं, अपनी चप्पल उतारकर हाथ में पकड़ लेती हैं या फिर सिर पर रख लेती हैं.
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