नई दिल्ली । भारत की लद्दाख में रणनीतिक पकड़ मजबूत होने के बाद से बौखलाई चीनी सेना कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के दौरान भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है। भारत के खिलाफ उसकी योजनाओं में उसका ‘सदाबहार दोस्त’ पाकिस्तान साथ दे रहा है। सीमा पर तैनात भारतीय जांबाजों से कई बार हुई भिड़ंत के बाद अब चीनी सेना को पाकिस्तानी सेना की वर्दी वाले ‘आतंकियों’ की मदद लेनी पड़ी है। चीन ने पीओके में अपनी ‘लाल सेना’ को हथियार के साथ भेजा है जो भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकियों और सैनिकों की मदद कर रहे हैं। इसके बदले में चीन ने पाकिस्तान की नार्दन लाइट इन्फैंट्री के जवानों को लेकर एलएसी पर तैनात किया है।
सबसे पहले 15 जून को गलवान घाटी में और फिर अगस्त-सितम्बर में पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर घुसपैठ की कोशिशों के चलते भारतीय जांबाजों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब ही नहीं दिया बल्कि पीछे हटने को भी मजबूर किया। भारत ने जबसे झील के दक्षिण में 60-70 किमी. के क्षेत्र की 20 से अधिक रणनीतिक ऊंचाइयों वाली पहाड़ियों को अपने नियंत्रण में लेकर सैनिकों की तैनाती की है, तबसे चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। उसने हर जगह घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन भारत की रणनीति के आगे उसकी हर चाल नाकाम हुई। इसके बाद चीन ने इस इलाके में कई जगह टैंक, बख्तरबंद वाहन, तोपें और आर्टिलरी तैनात कर दी, जहां भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। हर मोर्चे पर फेल होने के साथ ही चीन को यह भी एहसास हो गया है कि पहाड़ों पर युद्ध लड़ने में महारथ हासिल भारतीय सेना से मुकाबला आसान नहीं है, क्योंकि चीनी सेना के जवानों को ऊंचाई पर युद्ध का कोई अनुभव नहीं है।
चीन ने इसलिए पाकिस्तान के सैनिकों को भाड़े पर लेकर भारत के खिलाफ एलएसी पर तैनात करने का इरादा बनाया। इसके लिए पाकिस्तानी सेना की नार्दन लाइट इन्फैंट्री का चयन किया गया। पाकिस्तान में 16 बटालियन वाली यह इकलौती टुकड़ी है जिसे पहाड़ों पर युद्ध लड़ने का अनुभव है। पाकिस्तान की सेना में पंजाबी और पख्तूनों के बीच अपना-अपना दबदबा कायम रखने की अंदरूनी लड़ाई चलती रहती है लेकिन इससे नार्दन लाइट इन्फैंट्री अभी बची हुई है। आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर रियासत की इस फ़ौज का नाम गिलगित स्काउट था जिसमें वहां के स्थानीय कबीलों की भर्ती की जाती थी। आज भी नार्दन लाइट इन्फैंट्री में बाल्टी, शीना, मुग़ल, कश्मीरी और पठान कबीलों के जवान भर्ती किये जाते हैं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों को ट्रेनिंग देने के लिए इसी नार्दन लाइट इन्फैंट्री का ही इस्तेमाल किया था।
पाकिस्तान ने एक तरह से इस टुकड़ी को आतंकवादी संगठन के रूप में खड़ा कर रखा है। नार्दन लाइट इन्फैंट्री के बल पर ही 1984 में जनरल जिया-उल-हक ने भारत की जमीन हड़पने का सपना देखा था। इसके बाद 1999 जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल की लड़ाई में इसी नार्दन लाइट इन्फैंट्री का इस्तेमाल किया था। दोनों बार पाकिस्तान के दोनों जनरलों के मंसूबे पूरे नहीं हुए। दोनों बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान की नार्दन लाइट इन्फैंट्री को बुरी तरह धोया था। यही वजह है कि अब भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान एक दूसरे के कंधे पर बन्दूक रखकर चला रहे हैं। एलएसी पर हर हथकंडे में नाकाम होने के बाद चीनी सेना ने अब पाकिस्तान की मदद से भारत को नुकसान पहुंचाने का मंसूबा देखा है।
चीन और पाकिस्तान की इस साजिश का खुलासा खुफिया तंत्र की मदद से हुआ है। खुफिया सूचनाओं के मुताबिक इस ‘गठजोड़’ को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इस साजिश की निगरानी उच्च स्तर पर हो रही है। इस योजना के तहत चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी सैनिक भेजे हैं जो भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकियों और सैनिकों की मदद कर रहे हैं। चीन ने इसके साथ पीओके में ड्रोन, रडार और भारी मात्रा में हथियार भी भेजे हैं। खुफिया सूत्र यह भी बताते हैं कि चीन के सैनिक पाकिस्तान को सीज फायर तोड़ना सिखा रहे हैं, यही वजह है कि पिछले एक महीने में सीमा पार से सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा चीन की सेना आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने की भी ट्रेनिंग दे रही है। खुफिया सूत्र बताते हैं कि चीन ने पाकिस्तान से इसके बदले में नार्दन लाइट इन्फैंट्री के वर्दी वाले ‘आतंकियों’ को भाड़े पर लेकर एलएसी पर तैनात किया है। चीन पीओके में पाकिस्तान की मदद करके अपनी बौखलाहट खत्म करने के लिए उसके आतंकियों की भी आगे मदद ले सकता है।
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