इंदौरियों की सेवा सबसे अलग… सैकड़ों जरूरतमंद को मिल रहा सहयोग
इंदौर। कोरोना (Corona) का संक्रमण काल लगातार बढ़ता जा रहा है। संक्रमण के इस दौर में चाह कर भी अपनों के साथ रहना संभव नहीं है और संक्रमण से बचने के लिए यह जरूरी भी है, लेकिन इंदौरियों में सेवा का जज्बा बड़ा मार्मिक रहता है और वह हर कठिन परिस्थिति में भी नई राह खोल लेते हैं। अभी शहर में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से संक्रमितों को मदद देखने में आई है, हालांकि कुछ ग्रुप में अनावश्यक को फर्जी मैसेज भी धड़ल्ले से चल रहे हैं।
दिल में अगर सहयोग करने का जज्बा हो तो मदद घर बैठकर भी की जा सकती है। कोरोना की गाइड-लाइन हो सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) को ध्यान रखकर मोबाइल में व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) के माध्यम से लोगों को जोड़ा जा सकता है। दोस्त रिश्तेदार या परिवार के लोगों की मदद आसान हो जाती है, पता ही नहीं चलता कि आपके दो हाथ कब सैकड़ों में बदल जाते हैं। घंटों का काम चुटकियों में आसान हो जाता है। शहर में कोरोना के संक्रमण के दौर में कई ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप समाज सेवक की दृष्टि से बनाए गए हैं, जो दिल से काम कर रहे है,खूब मदद हो रही है, किसी को प्लाज्मा की जरूरत हो ब्लड की आवश्यकता या फिर दवाइयों की हो जरूरत, सब मिलकर कोशिश कर रहे हैं। यही नहीं संक्रमण के दौर में अस्पताल में पलंग की व्यवस्था भी एक दूसरे की मदद से की जा रही है, इससे प्रशासन को भी काफी हद तक राहत मिली है।
चंद लोगों से शुरू , अब तक पौने दो सौ से ज्यादा जुड़े
तिलक नगर में मरीजों और उनके परिजनों के लिए भोजन बनाने का क्रम 8/10 लोगों के सहयोग से शुरू हुआ था व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) आपदा प्रबंधन के नाम से बनाया गया और इसमें अभी तक पौने दो सौ से ज्यादा लोग जुड़ गए हैं, जो प्रतिदिन नि:शुल्क भोजन में सहयोग कर रहे हैं। यह भोजन संक्रमितों, उनके परिजनों और अन्य जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है 100 पैकेट से शुरू हुआ क्रम 1000 पैकेट तक पहुंच गया है
दीपक कासलीवाल,
ग्रुप एडमिन, आपदा प्रबंधन
प्लाज्मा से लेकर पलंग तक की कर रहे हैं व्यवस्था
कोरोना महामारी को देखते हुए लोग यहां-वहां भटक रहे थे इसी के चलते लोगों की मदद करने और उन्हें ढांढस बंधाने के लिए कोरोना वारियर्स हेल्पलाइन के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) शुरू किया गया। इसमें लोग अपने परिचितों और परिवार के लोगों की संक्रमण काल में जानकारी देते हैं। ग्रुप में विशेषकर प्लाज्मा दवाइयां ब्लड, और कौन से अस्पताल में बेड खानी होने की संभावना है या खाली है इसकी जानकारी भी शेयर की जा रही है। इसके साथ में ऑक्सीजन की व्यवस्थाएं भी हो रही है।
हेमल कामत, ग्रुप एडमिन
कोरोना वारियर्स हेल्पलाइन
चाहिए थे 10 लाख… बेटे ने मांग लिए 25 लाख…टीचर के चहेतों ने दे डाले 26 लाख
चोइथराम स्कूल के टीचर आदित्य शुक्ला का बेटा पहले संक्रमित हुआ। उसके इलाज में 1 लाख का खर्च हुआ। बेटे के बाद पिता आदित्य शुक्ला भी संक्रमित हो गए। उनका इलाज अभी भंडारी हास्पिटल में चल ही रहा है, जिसका अधिकतम बिल 8-9 लाख रुपए संभावित है, लेकिन बेटे ने ग्रुप पर 25 लाख की मांग कर डाली… टीचर के चहेते छात्रों और उनके पैरेंट्स ने 26 लाख की राशि खाते में जमा कर डाली।
धड़ल्ले से जारी फर्जी मैसेज
तकनीक सकारात्मक रूप में ली जाए तो बहुत अच्छी होती है और का दुरुपयोग करने वाले भी कम नहीं है। संक्रमण की आपदा में कई लोग मोबाइल और व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों को भ्रमित कर रहे हैं इंजेक्शन के साथ अन्य ठगी के मामले भी सामने आए हैं और मोबाइल पर कई प्रकार के भ्रामक मैसेज भी देखे जा रहे हैं, जिनसे सतर्क रहने की बेहद आवश्यकता है।
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हो रहा काम
व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) का यह फायदा जरूर है कि इसमें एक दूसरे से मिलने की आवश्यकता नहीं है। जानकारी के साथ जरूरत और उपलब्धता सब कुछ व्हाट्सएप पर दी जा रही है, जिससे कि गाइड-लाइन का पालन तो हो ही रहा है, साथ में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) भी बनी रहती है। संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहता है। लोग शांत चित्त से अपने घर में बैठे हुए भी संक्रमण से बचकर लोगों की भरपूर मदद कर सकते हैं।
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