नई दिल्ली/भोपाल। देश के कई राज्यों में विद्युत उत्पादक संयंत्रों (power generating plants) में कोयले की कमी (shortage of coal) के चलते बिजली का संकट (power crisis) बढ़ता जा रहा है। झारखंड, बिहार से लेकर मध्यप्रदेश तक में इस समय कोलले की कमी देखी जा रही है। एक तरफ जहां त्योहारी सीजन के चलते बिजली की भी मांग बढ़ गई जिससे कंपनियों पर दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
ऊर्जा विकास निगम (Energy Development Corporation) के मुताबिक कई राज्यों को डिमांड के मुकाबले काफी कम बिजली सेंट्रल पूल से मिल रही है। इस कारण नेशनल पावर एक्सचेंज (National Power Exchange) में भी बिजली की किल्लत है। पूरे भारत में लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली की कमी बताई जा रही है। इसकी वजह से नेशनल पावर एक्सचेंज में बिजली की प्रति यूनिट दर में चौतरफा वृद्धि हो गई है। बिजली संकट की बड़ी वजह विद्युत उत्पादक संयंत्रों को कोयले की घोर किल्लत है। झारखंड के बिजली उत्पादक संयंत्रों के पास भी सीमित कोयले का भंडार है। राज्य सरकार ने बढ़ी दर पर नेशनल पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने की पहल की है, लेकिन इसकी उपलब्धता नहीं है। त्योहार के कारण आने वाले दिनों में यह संकट और और भी ज्यादा बढ़ सकता है। वहीं बिहार के सामने कोयला संकट के कारण बिजली उत्पादन में आई कमी ने एक बड़ी परेशानी पैदा कर दी है। बाजार से न्यूनतम चार सौ मेगावाट बिजली बिहार को खरीदनी है। ऐसे में बिजली कंपनी को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा। एनटीपीसी से भी अभी तीन से साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली ही मिल रही, जबकि बिहार की वर्तमान खपत प्रतिदिन 5600 मेगावाट तक है। जबकि राजस्थान की बात करें तो यहां बिजली संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से एयरकंडीशन (एसी) कम चलाने और बिजली की बचत करने की अपील की है। इसी तरह मध्यप्रदेश में इस समय बोअनी शुरू होने से सिंचाई का काम शुरू हो गया इस वजह से बिजली की मांग बढ़ गई है। एक तरफ जहां मांग बढ़ी तो वहीं दूसरी ओर कई पांवर प्लांटों में कोयले का संकट गहरा गया है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा है कि कोल इंडिया को बकाया पैसों के भुगतान की व्यवस्था कर ली गई है और प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी, लेकिन नवरात्रि के दौरान इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।