भोपाल। मध्यप्रदेश में मानसून (Monsoon in Madhya Pradesh) की गति फिर धीमी पड़ गई है। कहीं-कहीं बारिश की हो रही है। मौसम विभाग (weather department) का पूर्वानुमान बता रहा है कि अगले 24 घंटों में कई जिलों में अतिभारी बारिश (heavy rain) हो सकती है। ऑरेंज अलर्ट (orange alert) जारी किया गया है। गुरुवार दोपहर में भोपाल और खंडवा में रुक-रुक कर तेज बारिश हो रही है। जबलपुर (Jabalpur) में भी शाम 4 बजे तेज बारिश शुरू हो गई। बुरहानपुर और पन्ना में भी पानी गिर रहा है।
राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के अन्य 14 जिलों में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग ने चेतवानी जारी की है कि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर का दबाव काम कर रहा है जिसके चलते शुक्रवार को इन जिलों में कहीं-कहीं भारी से अति भारी वर्षा और वज्रपात हो सकता है। साइक्लोनिक सर्कुलेशन के असर से 21 से 24 सितंबर तक पूरे प्रदेश में मध्यम से भारी बारिश होगी।
जहां बारिश की संभावना बन रही है, उन जिलों में विदिशा, सीहोर, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, श्योपुर, इंदौर, देवास, आगर, शाजापुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा और सागर शामिल हैं। इसके साथ ही कटनी, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, राजगढ़, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, अशोकनगर और गुना जिले में यलो अलर्ट रहेगा। यहां पर कहीं-कहीं मध्यम में भारी वर्षा और गरज चमक से साथ तेज हवाएं चलने की संभावना है। प्रदेश के विंध्य क्षेत्र रीवा, सिंगरौली, सीधी, सतना, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी में गरज चमक के साथ वज्रपात हो सकता है। इधर शिवपुरी ग्वालियर दतिया भिंड मुरैना में तेज बारिश का अनुमान है।
नर्मदापुरम में इस सीजन तवा बांध के गेट दूसरी बार खोलना पड़े हैं। बांध का जलस्तर अपने अधिकतम लेवल 1166 फीट को पार कर गया। यानी 17 दिन पहले यह लबालब हो गया। बुधवार शाम 7 बजे बांध के 5 गेट चार-चार फीट की ऊंचाई पर खोले गए। 6 घंटे बाद रात 1 बजे पांचों गेट को 3-3 फीट खोलकर 26785 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। गुरुवार सुबह 9 बजे सभी गेट बंद कर दिए गए।
किसानों को सलाह दी गई है कि उर्वरक प्रयोग व रसायन छिड़काव रोक दें। धान के खेतों में आवश्यकता अनुसार जल संग्रहण व अन्य फसलों में अतिरिक्त पानी निकाल दें। तेज बारिश के दौरान घर के अंदर ही रहें। यात्रा से बचें, क्योंकि भारी बारिश और खराब दृश्यता के कारण यातायात की भीड़ का सामना करना पड़ सकता है। निचले इलाकों में पानी भरने के कारण कमजोर और कच्ची संरचनाओं को क्षति की संभावना बनी रहती है। सुरक्षित आश्रय लें। पेड़ों के नीचे शरण न लें, बिजली की सुचालक वस्तुओं से दूर रहें।
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