नई दिल्ली (New Delhi)। अक्सर महिलाओं को पीरियड्स (periods) के दौरान पेट, कमर और पैरों में असहनीय दर्द होता है. हालांकि, यह दर्द बिलकुल सामान्य होता है लेकिन यह आपके स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बता सकता है. कई बार पीरियड्स में होने वाला दर्द और हैवी ब्लीडिंग गंभीर बीमारियों का भी संकेत हो सकती है. इरेगुलर पीरियड्स और इसमें होने वाली हैवी ब्लीडिंग थायराइड (bleeding thyroid) की समस्या का भी संकेत हो सकती है.
इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म (Indian Journal of Endocrinology and Metabolism) के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 4.2 करोड़ भारतीयों को थायराइड की बीमारी है. इसलिए अगर आपका मासिक धर्म (Menstrual) आपको इस समस्या का संकेत दे सकता है तो आप पहले ही इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं.
थायराइड और पीरियड्स के बीच क्या है कनेक्शन
थायराइड और मासिक धर्म के बीच के बारे में मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर बिंदू केएस ने कहा, ”हमारे पास एक थायरॉयड ग्रंथि है जो हार्मोन पैदा करती है. यह शरीर के मेटाबॉलिज्म और मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. डॉ बिंदू बताती हैं कि थायरॉयड ग्रंथि दो मुख्य हार्मोन ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) का उत्पादन करती है जो प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं.
वे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को प्रभावित करते हैं जो मासिक धर्म के चक्र को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. जब थायरॉयड ग्रंथि ठीक से काम नहीं कर रही है तो या तो आपका शरीर बहुत अधिक थायरॉइड हार्मोन बनाता है जो हायपरथायरॉइडिज्म नामक स्थिति का संकेत है और अगर आपका शरीर बहुत कम थायरॉइड हार्मोन बनाता है तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है.”
थायराइड की वजह से पीरियड्स में होती हैं ये परेशानियां
हाइपोथायरायडिज्म अनियमित या हैवी ब्लीडिंग पीरियड्स का कारण बन सकता है जो सामान्य से अधिक लंबा या छोटा हो सकता है. महिलाओं को पीरियड्स में गड़बड़ी हो सकती है. हाइपोथायरायडिज्म पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का कारण बन सकती है जो कंडीशन इररेगुलर पीरियड्स, बांझपन, मोटापा जैसी समस्याएं से जुड़ी है.
हाइपरथायरायडिज्म वाली महिलाओं को एमेनोरिया का अनुभव हो सकता है जिसमें लगातार तीन या उससे भी ज्यादा समय तक मासिक धर्म नहीं होता. ऐसा इसलिए है क्योंकि हाइपरथायरायडिज्म शरीर में हार्मोन के संतुलन को बाधित कर सकता है जिससे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी आती है जो स्वस्थ मासिक धर्म चक्र के लिए जरूरी होते हैं.
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