भोपाल। मप्र में गर्मी मार्च से ही नए रिकॉर्ड बना सकती है। इस बार फरवरी में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा चल रहा है, कई शहरों में 12 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल जून तक भीषण गर्मी रहेगी। चिंता की बात यह है कि गर्मी के मौसम में तापमान कंट्रोल करने वाली छिटपुट बारिश भी इस साल न के बराबर होने की आशंका है। मौसम विशेषज्ञ ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि पश्चिमी प्रशांत महासागर में इस साल ला नीनो से अल नीनो की कंडिशन बन रही है। इसके अलावा आईओडी यानी इंडियन ओशन डाइपोल में वर्तमान कंडिशन न्यूट्रल है। एक्सपर्ट की मानें तो जब प्रशांत महासागर में अल नीनो की कंडिशन बनती है और आईओडी न्यूट्रल कंडिशन में रहता है तो भारत में न केवल गर्मी तेज होती है, बल्कि मानसून भी कमजोर रहता है। इसके पीछे कारण समुद्री लेवल पर तापमान में परिवर्तन है। अभी समुद्री तल पर तापमान सामान्य से 0.4 डिग्री कम है, लेकिन ये अगले माह मार्च-अप्रैल में बढ़कर प्लस में आने की परिस्थितियां बन रही है। इसके अलावा विंड पैटर्न भी तेजी से बदल है। फरवरी में ही विंड पेर्टन नॉर्थ से साउथ के जगह नॉर्थ-वेस्ट से साउथ-ईस्ट हो गया है। इससे मप्र समेत मध्य भारत और दक्षिण भारत के राज्यों में इस बार फरवरी में तापमान 36 डिग्री या उससे ऊपर चला गया है। वहीं इस बार विंटर सीजन (सर्दी के मौसम) में भारत में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की फ्रिक्वेंसी कम रही है। नवंबर-दिसंबर में कम फ्रिक्वेंसी के कारण उत्तर भारत में सर्दी के सीजन की बारिश-बर्फबारी कम हुई, जिससे दिसंबर तक सर्दी भी सामान्य से कम रही।
पश्चिमी हवा का ज्यादा रहेगा असर
मप्र में मार्च से जून तक पश्चिमी हवा से गर्मी तेज होती है। मप्र के अलावा इन हवा का प्रभाव राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी और गुजरात में रहता है, जिसके कारण इन राज्यों में तेज गर्मी और लू की स्थिति बनी रहती है। गर्मियों की शुरुआत से जून तक तापमान को कंट्रोल करने में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस अहम रोल निभाते हैं। समय-समय पर आने वाले वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से मप्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्सों में बारिश, आंधी और ओले गिरते हैं और तापमान कंट्रोल में रहता है। लेकिन इस बार दिसंबर, जनवरी और मौजूदा फरवरी में आए वेस्र्टन डिस्र्टबेंस की फ्रीक्वेंसी और उनकी इंटेंसिटी (तीव्रता) को देखकर आशंका जताई जा रही है कि मार्च से मई तक मप्र समेत मध्य भारत में बहुत कम बारिश होगी। इस कारण आगामी सीजन में गर्मी लम्बे समय तक लोगों को झेलनी पड़ सकती है।
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