नई दिल्ली (New Dehli) । तकनीक (Technique)का हाथ पकड़कर तेजी से विकसित (advanced)होती दुनिया के साथ बढ़ रहे कार्बन उत्सर्जन (carbon emission)के कारण दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग (Global warming)धरती के वातावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा (hazard)बनकर उभरा है. अगर इसी तरह से कार्बन उत्सर्जन दुनिया भर में होता रहा तो यह धरती को धधकती भट्टी में तब्दील कर देगा जहां मानवीय सभ्यता के लिए जीना दूभर हो जाएगा.
इसका असर दुनिया के बाकी देशों के साथ भारत में भी व्यापक होने वाला है. डीएसटी के महामना सेंटर आफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट चेंज रिसर्च के विश्लेषण में यह भविष्यवाणी की गई है कि 2040 तक देश के कई शहरों में गर्मी 4 से 10 गुना तक बढ़ सकती है. इस स्टडी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 2040 तक ग्लोबल वार्मिंग के तहत कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने की लगातार कोशिशें भी अगर होती रहीं तब भी कम से कम 4 से 7 गुना गर्मी बढ़ेगी और अगर यह कोशिश नाकाम रही तो गर्मी 5 से 10 गुना बढ़ सकती है. पता चला है कि 1961 से 2021 के बीच भारत में हीट वेव की अवधि में लगभग 2.5 दिनों की बढ़ोतरी हुई है.
मौसम विभाग की स्टडी में भी गर्मी बढ़ने का खुलासा
खास बात यह है कि यह रिपोर्ट भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों की देश के विभिन्न हिस्सों में जलवायु परिवर्तन और उसके असर पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट से मेल खाती है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मौसम ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2060 तक भारत के शहरों में हीट वेव की अवधि में बढ़ोतरी होगी और यह बढ़ोतरी 12 से 18 दिनों की हो सकती है. खासकर उत्तर पश्चिम भारत में 30 दिनों की अवधि के दौरान कम से कम चार हीट वेव चल सकती है जो हीट स्ट्रोक का कारण बनेगी.
एक्शन प्लान बनाने में मददगार होंगे आंकड़े
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि इस तरह के पुख्ता आंकड़े भविष्य में भारत के शहरों में बढ़ने वाली गर्मी से बचाव के उपाय करने में मददगार साबित होंगे. उन्होंने कहा कि इस पर पहले से काम चल रहा है और केंद्र सरकार ने सभी शहरों के लिए हिट एक्शन प्लान बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे शहरों की पहचान की जा रही है जहां सबसे अधिक लू चलने की संभावना है ताकि लोगों के लिए बचाव का उपाय किया जा सके.
स्काईमेट वेदर सर्विसेज में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पालावत कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर काफी पहले से देखा जा रहा है. हर साल रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की जा रही है. आने वाले दिनों में यह निश्चित तौर पर बढ़ेगी और कई चिंताजनक स्थितियां उत्पन्न होंगी
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