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    स्वस्थ लोगों का भी ठीक से नहीं धड़क रहा दिल, रिसर्च में धड़कन को लेकर चौंकाने वाला खुलासा

  • August 31, 2022

    नई दिल्ली। स्वस्थ लोगों की धड़कन (pulsation) में भी गड़बड़ी हो सकती है। यह बात एक शोध में सामने आई है। दरअसल, भारतीय शोधार्थियों (Indian researchers) ने खुद को स्वस्थ बताने वाले 1,029 लोगों के सैंपल की जांच की। जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये पता चला कि इनमें से एक फीसदी लोगों में कार्डिएक चैनलोपैथी (cardiac channelopathy) के अलग-अलग वैरिएंट मौजूद हैं जो सीधे तौर पर इन स्वस्थ लोगों की धड़कन पर असर डाल रहे हैं।

    शोधार्थियों के अनुसार, हृदय सेल्स प्रोटीन में आनुवंशिक असामान्यताएं कार्डियक चैनलोपैथी होती हैं। ये हार्ट इलेक्ट्रिकल गतिविधियों (electrical activities) को नियंत्रित करती हैं और इसलिए यह स्थिति हृदय गति में गड़बड़ी का कारण बन सकती है। मेडिकल जर्नल ह्यूमन जीनोमिक्स में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधार्थियों ने आशंका व्यक्त की है कि भारत के स्व-घोषित स्वस्थ व्यक्तियों में से लगभग एक फीसदी आबादी कार्डियक चैनलोपैथी के जोखिम में है।



    ये हैं कारण
    डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता की कमी, लोगों की बिगड़ती जीवनशैली, नशा और व्यायाम नहीं करना इसके प्रमुख कारण हैं लेकिन शोधार्थियों का यह अध्ययन आनुवंशिक स्थिति को लेकर है, जिसमें स्वस्थ लोगों को यह पता ही नहीं कि उनके दिल की गति प्रभावित हो रही है। 470 तरह के वैरिएंट अलग किए गए जिनकी वजह से रहती है कार्डियक अरेस्ट की आशंका होती है।

    क्या कहते हैं आंकड़े
    नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी(CSIR-IGIB) के शोधार्थियों ने 1029 लोगों में कार्डियक चैनलोपैथी के उन 36 जीन्स के आधार पर वैरिएंट की जांच शुरू की जिनकी वजह से कार्डियक अरेस्ट होने की आशंका रहती है। शोधार्थियों ने बताया कि विश्लेषण में 1,86,782 वैरिएंट का पता चला, जिनमें से 470 को अलग किया गया। इनमें से लगभग 26 फीसदी (470 में से 124) नए थे, क्योंकि इनके बारे में वैश्विक स्तर पर अन्य कोई आंकड़ा या रिपोर्ट मौजूद नहीं है।

    बड़े स्तर पर अध्ययन की जरूरत
    अध्ययन के मुख्य शोधार्थी डॉ. विनोद स्कारिया और डॉ. श्रीधर शिबाशुबु ने कहा है कि इस तरह का अध्ययन भारतीय आबादी में बड़े स्तर पर होना चाहिए, जिससे बड़े समूह के लिए नीति निर्धारण व अन्य चीजों में मदद मिल सके।

    10 साल में 2.50 लाख की हार्ट अटैक से मौत
    भारत में हर साल लाखों लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित मिल रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में बीते 10 साल में करीब 2.50 लाख लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है। इनमें कई मामले ऐसे भी हैं, जिनकी आयु 30 से 40 वर्ष के बीच थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि साल 2016 में 21,914, 2017 में 23,249, 2018 में 25,764 और 2019 में 28,005 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है।

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