उज्जैन। हर दिन जिला अस्पताल सहित हार्ट अस्पतालों में दस मरीज हार्टअटैक और दस से ज्यादा मरीज हार्ट फेल के पहुंच रहे हैं। सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या निजी अस्पतालों में देखी जा रही है। बेसिक लाइफ सपोर्ट देने के लिए अब डाक्टरों ने आम जनता को जागृत करने के लिए मुहिम छेड़ दी है। कुछ समय पहले पुलिस तथा आम जनता को डाक्टर सीपीआर तकनीक के माध्यम से हार्टअटैक के मरीजों को बेसिक लाइफ सपोर्ट देने की ट्रेनिंग दे चुके ताकि इसकी गंभीरता से बचा जा सके । डॉ. भोजराज शर्मा के अनुसार हार्टअटैक जैसी स्थिति के दौरान आक्सीजन का लगातार मस्तिष्क तक पहुंचना और ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से संचालित होना अनिवार्य होता है। यदि यह प्रवाह पांच मिनट के लिए भी रुक जाए तो मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचकर मृत भी हो सकता है। इसके लिए सीपीआर तकनीक से निश्चित स्थान पर 100 से अधिक बार प्रति मिनट की दर से प्रेशर दिया जाए तो मरीज का जीवन बचाया जा सकता है। यह मरीज के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करता है।
जिम ट्रेनर, पुलिस और आम जनता
डा. शर्मा के अनुसार सडन कार्डियक अरेस्ट के मामले 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए हैं। इसलिए सीपीआर तकनीक आम जनता के साथ साथ जिम ट्रेनर, पुलिस और मैदानी स्तर पर तैनात अमलों को भी सिखाई जाना चाहिए। जिम में डी फेब्रिलेटर भी लगाया जाना चाहिए। हालांकि एयरपोर्ट आदि जगहों पर यह मौजूद रहता है। हाल ही में जिम में एक्सरसाइज के दौरान, वॉक करते हुए या राह चलते भी हार्टअटैक आने के मामले तेजी से प्रकाश में आ रहे हैं। हालांकि कई मामलों में प्राथमिक चिकित्सा मिल जाने से मरीजों को बचाया जा सकता है, लेकिन कई ऐसे प्रकरण भी सामने आए हैं, जिनमें बेसिक सपोर्ट नहीं मिला और मरीज की मौत हो गई।
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