नई दिल्ली: विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 Medical Entrance Exam NEET-UG 2024() से संबंधित याचिकाओं (30 से अधिक) पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई Hearing in the Supreme Court() हुई. परीक्षा में अनियमितताओं के साथ ही नये सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश देने वाली याचिकाएं भी इसमें शामिल हैं. साथ ही गुजरात के 50 से अधिक अभ्यर्थियों की एक अलग याचिका पर भी सुनवाई हुई. इसमें केंद्र सरकार और एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. अब मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार और परीक्षा कराने वाली एजेंसी (एनटीए) से कहा कि हम प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं. ये भी बताएं कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. यह तो साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है. सरकार पेपर लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी. जो हुआ है, उसे हमें नकारना नहीं चाहिए. CJI ने कहा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है. अगर परीक्षा वाले दिन ही बच्चों को पेपर मिला, इसका मतलब है पेपर स्थानीय स्तर पर ही लीक हुआ था. अगर हमें यह पता नहीं चलता कि कितने स्टूडेंट इसमें शामिल थे, तब दोबारा परीक्षा का आदेश देना पड़ेगा. जांच अधिकारी इन पहलुओं पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करें.
CJI चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, अगर पेपर लीक टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है तो यह जंगल में आग की तरह फैलेगा. एक बात साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है. अगर पेपर सोशल मीडिया के जरिए शेयर किया गया है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. सीजेआई ने पूछा, भविष्य में पेपर लीक जैसी घटनाएं न हों, इसको लेकर कैसी तैयारियां हैं. साइबर क्राइम से निपटने वाली कौन सी तकनीक हमारे पास है? क्या डेटा एनालिटिक्स से हम मार्क कर सकते हैं? हम क्या कर सकते हैं जिससे भविष्य में पेपर लीक न हो? क्या हम मल्टी डिसिप्लिनरी कमेटी बना सकते हैं?
सीजेआई ने कहा, ‘केंद्र और एनटीए बताए कि क्या संदिग्ध मामलों की पहचान के लिए साइबर फॉरेंसिक यूनिट या सरकार ने किसी भी डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना संभव होगा. ताकि बेदाग छात्रों में से दागियों को अलग करने की रूपरेखा बनाई जा सके. परीक्षा के समापन के बीच पुन: परीक्षण और परामर्श प्रक्रिया सहित अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी’. ‘अगर लीक के अधिक लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए किसी अन्य तरीके की आवश्यकता है तो क्या इसकी स्थिति पर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है. सीजेआई ने कहा कि हमें बुद्धिमत्ता, कानून और प्रक्रिया के जरिए पेपर लीक में लाभार्थियों को खोज निकालना है. यही एक रास्ता है’. सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप दोबारा परीक्षा की मांग करने वाले सभी वकीलों के साथ बैठें. एक नोडल वकील दलील के लिए रखें. जो सवाल किए गए हैं, उनका जवाब केंद्र और एनटीए आकर अगली सुनवाई में देंगे. इस पर एसजी ने कहा कि मामले की सुनवाई गुरुवार को कर लें, जिसे सीजेआई ने मंजूरी दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर एसजी ने कहा कि हमने हर संभव कदम उठाए हैं. हम कोर्ट को हर सवाल का जवाब देंगे. मामले की जांच चल रही है. 6 राज्यों में FIR दर्ज कराई गई हैं. पटना में जांच के दौरान कई तथ्य सामने आए हैं. सीजेआई ने कहा, याचिकाकर्ताओं के अनुसार पेपर लीक के संबंध में बिहार पुलिस द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी. दूसरी ओर एडीशनल डीजीपी, ईओयू ने यह कहा गया है कि इस संबंध में कोई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई थी. क्या ये चूक कुछ केंद्रों तक सीमित थी या फिर बड़े पैमाने पर. यह मामला 23 लाख से ज्यादा परीक्षा देने वाले छात्रों से जुड़ा है. इसलिए यह जरूरी है कि इस पर पूरी जानकारी हमारे पास हो.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनटीए हमें बताए कि पेपर लीक की प्रकृति क्या थी? क्या टाइमलाइन थी लीक की? पेपर कहां लीक हुआ? पेपर पहले कहां लीक हुआ? परीक्षा दोपहर 2 बजे 5 मई को थी. ऐसे में यह स्पष्ट बताएं कि किस वक्त पेपर लीक हुआ? सीबीआई स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे. सीबीआई आज की जांच की स्थिति और आज तक सामने आई सामग्री पर अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी. उन्होंने कहा, हम सबसे अहम परीक्षा की बात कर रहे हैं. लोग मेडिकल और इंजीनियरिंग के लिए बच्चों को तैयार करते हैं. इस पर एसजी ने जोर दिया कि यह मसला कुछ राज्यों तक ही सीमित है. सीजेआई ने कहा कि यही जानना है कि हकीकत क्या है? ऐसा नहीं होगा तो परिणाम रद्द कर फिर से परीक्षा करानी होगी.
सीजेआई ने कहा, ‘आप जानते हैं कि हम यह क्यों पूछ रहे हैं? यदि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि लीक और परीक्षा के बीच समय अंतराल अधिक नहीं था तो यह दोबारा परीक्षा के लिए प्रतिकूल है और यदि समय अंतराल व्यापक है तो यह दर्शाता है कि लीक व्यापक था. ‘यदि पवित्रता प्रभावित होती है तो पुनः परीक्षण करना पड़ता है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि 24 लाख छात्रों की दोबारा परीक्षा होना मुश्किल है. अगर हम देखें कि यह लीक सोशल मीडिया पर था तो यह बेहद व्यापक है. अगर यह टेलीग्राम व्हाट्सएप के माध्यम से है तो यह जंगल की आग की तरह फैल गया होगा’.
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