भोपाल। मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मसले पर जबलपुर हाई कोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार ने कोर्ट से वक्त मांगा। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को 22 जून की मोहलत दी है। अब मामले की अगली सुनवाई अब 22 जून को होगी। इस दिन सॉलीसीटर जनरल मौजूद होंगे। बता दें कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। अब तक सरकार ने हाईकोर्ट में ओबीसी का क्वांटिफेयविल डाटा पेश नहीं किया है। बिना डाटा के ओबीसी आरक्षण जस्टिफाई नहीं हो पा रहा है। हाईकोर्ट में 2019 में अशिता दुबे सहित अन्य की ओर से ओबीसी आरक्षण की सीमा 13 से 27 प्रतिशत किए जाने को चुनौती दी गई है। कुल 61 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई चल रही है। अभी तक हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा रखी है। मामले में याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे आदित्य संघी कोर्ट को बता चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जा रहा है
मप्र में ओबीसी का 27 और ईडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत आरक्षण मिला दें तो कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जा रहा है। मप्र सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण के समर्थन में एमपी में ओबीसी की अधिक आबादी, उनके आर्थिक, सामाजिक सहित अन्य डेटा को आधार बता रही है। सरकार ने हाईकोर्ट में पैरवी करने के लिए रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह सहित अन्य अधिवक्ताओं को नियुक्त कर रखा है।
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