कर्नाटक। कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय में तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट की फुल बेंच की सुनवाई में मामले को लेकर कोई अंतरिम फैसला जल्द आ सकता है। क्योंकि मार्च 2022 में राज्य बोर्ड की परीक्षाएं होनी हैं और विवाद के कारण अभी पूरे प्रदेश में स्कूल-कॉलेज बंद किए हुए हैं। इससे विद्यार्थियों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में हाईकोर्ट फिलहाल सभी पक्षों की सहमति के आधार पर कोई अंतरिम आदेश जारी कर सकता है।
इससे पहले गुरुवार सुबह कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु राज अवस्थी ने अपनी अध्यक्षता में जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी को शामिल करते हुए हाईकोर्ट की फुल बेंच यानी तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ का गठन किया। उधर, मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या हिजाब पहनना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है और क्या धार्मिक क्रियाकलापों के आधार पर हिजाब पहनना अनिवार्य है? इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मीडिया को कही-सुनी बातों को रिपोर्ट नहीं करने की हिदायत भी दी। पीठ ने कहा कि मामले में अंतिम फैसले का इंतजार करना चाहिए।
कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में स्कूल यूनिफॉर्म का विशेष प्रावधान नहीं
गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि राज्य के कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में स्कूल यूनिफॉर्म से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं है। हेगड़े ने अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके समय में भी कोई यूनिफॉर्म नहीं थी। प्री कॉलेजों के लिए यूनिफॉर्म बहुत बाद में आई। इसके उल्लघंन के लिए दंड का भी कोई प्रावधान नहीं है।
अंतरिम व्यवस्था बनाने के प्रयास
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता हेगड़े ने पीठ से कहा कि वह मामले में अंतरिम व्यवस्था करने के लिए अटॉर्नी जनरल के साथ बैठकर विचार-विमर्श करने के लिए तैयार हैं। वहीं, अन्य पक्षों की ओर से अधिवक्ता देवदत्त कामत और कालीश्वरम राज ने भी अंतरिम व्यवस्था करने की मांग पर सहमति जताई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved