नई दिल्ली। बच्चों के संरक्षण (protection of children) के लिए हमेशा से आवाजें उठती रही हैं। कई ऐसी संस्थाएं हैं जो बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों (crimes against children) को रोकने का काम कर रही है। इसी बीच प्रजा फाउंडेशन(Praja Foundation) की एक रिपोर्ट आई है जो काफी चिंताजनक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में गिरावट के बावजूद पॉक्सो अधिनियम(POCSO ACT) के तहत 99 फीसदी मामलों की सुनवाई दिसंबर 2020 तक लंबित थी।
फाउंडेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में दर्ज किए गए यौन अपराधों(sexual offenses) के खिलाफ बच्चों के संरक्षण के तहत कुल 1,197 मामलों में से 94 फीसदी मामलों में सबसे ज्यादा पीड़ित लड़कियां थीं। इसमें सबसे अधिक 721 दुष्कर्म के मामले और 376 यौन उत्पीड़न के मामले थे।
फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पोक्सो अधिनियम(POCSO ACT) को नाबालिगों को त्वरित न्याय दिलाने लिए लाया गया था जबकि बच्चों के खिलाफ अपराधों के 99 फीसदी मामलों के ट्रायल दिसंबर 2020 तक लंबित था। आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म (Rape) के कुल मामलों में से 42 फीसदी मामले दर्ज किए गए जबकि 2018 में 47 प्रतिशत 2019 में 45 प्रतिशत दर्ज किए गए थे। फाउंडेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि दुष्कर्म पीड़ितों की सबसे अधिक संख्या 12 से 18 वर्ष (2020 में 721 में से 620) के बीच थी। चिंताजनक बात यह है कि पोक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म के इन 95 प्रतिशत मामलों में अपराधी पीड़ितों के परिचित थे। वहीं आंकड़ों से पता चलता है कि लड़कों के खिलाफ पोक्सो अधिनियम के तहत 67 मामलों में से 93 फीसदी अप्राकृतिक यौन अपराध थे। प्रजा फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 2020 में कुल आईपीसी मामलों की जांच में 28 फीसदी मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई थी, जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराध के 58 फीसदी और बच्चों के खिलाफ अपराध के 56 फीसदी मामलों में जांच की गई थी।