इंदौर (Indore)। 3200 एकड़ पर प्रस्तावित इंदौर-पीथमपुर कॉरिडोर (Indore-Pithampur Corridor) पर अब तेजी से काम शुरू हो गया है। किसानों और जमीन मालिकों (farmers and landowners) से प्राप्त दावे-आपत्तियों की सुनवाई में पूरी कर ली है। लगभग 1100 आपत्तियों का निराकरण एमपीएसआईडीसी (MPSIDC) ने कर दिया है। अब प्रबंध संचालक के पास अपील का अधिकार रहेगा। 19.60 किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर में दोनों तरफ 300-300 मीटर निजी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। और इस कॉरिडोर के बनने से एयरपोर्ट से पीथमपुर की दूरी घटेगी और मात्र 15 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। लगभग 500 करोड़ रुपए भू-अर्जन पर खर्च किए जाएंगे। जल्द ही इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया जाएगा।
1290.74 हेक्टेयर यानी लगभग 3200 एकड़ जमीन पर यह कॉरिडोर तैयार होगा, जिसमें नैनोद, कोर्डियावर्डी, नावदापंथ, सिहासा, सिंदोड़ी, शिवखेड़ा, डेहरी, सोनवाय और दूसरी तरफ रिजलाया, बिसनावदा, श्रीराम तलावली, सिंदोड़ा, बगोदा, भैंसलाय, धन्नड़ और टीही सहित अन्य गांवों की जमीनें शामिल की गई है। एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय अधिकारी रोहन सक्सेना के मुताबिक इस कॉरिडोर पर फिंटैक सिटी, अहमदाबाद की तर्ज पर गिफ्ट सिटी, डाटा सेंटर, आईटी, होटल, लॉजिस्टिक पार्क, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, इंटरटेनमेंट पार्क, फिल्म इंडस्ट्री, मल्टीमीडिया, टेक्नोलॉजी पार्क के साथ भविष्य में मेट्रो लाइन और अन्य टर्मिनल सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी।
कुछ समय पूर्व शासन मंजूरी के बाद इकोनॉमी कॉरिडोर के लिए योजना घोषित कर प्रारुप प्रकाशित किया गया था और फिर 30 दिनों तक जमीन मालिकों के दावे-आपत्तियों, सुझावों को लिया और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी की गई है। वहीं दूसरी तरफ पिछले दिनों एमपीआईडीसी के प्रबंध संचालक मनीष सिंह ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी को पत्र लिखकर कॉरिडोर से जुड़े 15 गांवों में विकास अनुमतियां जारी नहीं करने के संबंध में पत्र भी लिखा है। दरअसल इन गांवों में तेजी से अवैध कॉलोनियां भी विकसित होने लगी, जिसके चलते योजना के क्रियान्वयन में परेशानी आती। लिहाजा अवैध निर्माणों को हटाया भी जाएगा और कुछ पंचायत स्तर पर भी अनुमतियां दे दी गई है। इस कॉरिडोर पर सांसद शंकर लालवानी ने गुजरात के गांधी नगर की तर्ज पर गिफ्ट सिटी विकसित करने का भी सुझाव दिया है, जिसमें फाइनेंस और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कई बड़ी कम्पनियां काम कर रही है। लैंड पुलिंग के विभिन्न मॉडलों पर भी चर्चा की जा रही है और कैबिनेट मंजूरी के बाद जमीन मालिकों के साथ अनुबंध की प्रक्रिया भी एमपीआईडीसी शुरू करेगा।
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