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    ASI सर्वे पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी, हिंदू पक्ष ने पूछा- सच्चाई सामने आने से क्यों बच रही मस्जिद कमेटी

  • July 26, 2023

    प्रयागराज: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़ी मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच में सुनवाई शुरू हो गई है. वाराणसी के जिला जज के एएसआई से सर्वे के आदेश के खिलाफ मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अर्जेंसी के आधार पर इस मामले में सुनवाई कर रही है.

    चीफ जस्टिस कोर्ट रुम में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन, सौरभ तिवारी और विजय शंकर रस्तोगी मौजूद हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष से सीनियर एडवोकेट सैय्यद फरमान अहमद नकवी पक्ष रख रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में यूपी के महाधिवक्ता अजय मिश्र मौजूद हैं. केंद्र सरकार की ओर से एडीशनल सॉलीसीटर जनरल भी कोर्ट में मौजूद हैं. हालांकि केंद्र और राज्य सरकार पक्षकार नहीं है, लेकिन मामले के बेहद संवेदनशील होने के चलते केंद्र व राज्य के अधिवक्ता मौजूद हैं.

    सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से तीन आपत्तियां जताई गई. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई? सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है. SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है अथवा नहीं? इससे आगे बढ़कर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया.

    हिंदू पक्ष का कहना है कि राम जन्म भूमि में ऐसा सर्वे हुआ था. लेकिन वहां कोई नुकसान किसी तरह का नहीं हुआ. मुस्लिम पक्ष सर्वे से क्यों डर रहा है, सच्चाई सामने आने क्यों नहीं देना चाहता? हिंदू पक्ष ने कहा कि तीनों गुंबद के नीचे मंदिर का स्ट्रक्चर है. मस्जिद पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट फरमान नकवी ने कहा, ‘ यदि स्ट्रक्चर डैमेज हुआ तो भवन ध्वस्त हो जायेगा। जैसे ही गहरी खुदाई की गई 1669 के भवन को क्षति होने से नहीं रोक सकेंगे. एएसआई के पास मैकेनिज्म नहीं कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने से रोक सके.

    मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जिला जज वाराणसी ने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया. हम नहीं कह रहे कोर्ट आदेश नहीं दे सकती. एएसआई पर भी संदेह नहीं है, लेकिन किंतु खुदाई से भवन को नुकसान होने की संभावना पर विचार नहीं किया. अगर वाद मंजूर होता है तो स्ट्रक्चर खुद ही तय हो जाएगा. सर्वे की जरूरत ही नहीं, वाद को साक्ष्य पर तय किया जाना चाहिए. बिना सबूत के वाद दायर कर दिया. कोर्ट पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर वाद‌ बिंदु तय करें। आवश्यक होने पर साक्ष्य भी इकट्ठा किया जाना चाहिए।


    वाद बिंदु तय नहीं, सर्वे का आदेश दे दिए गए. आशंका कि सर्वे खुदाई से भवन ध्वस्त हो जायेगा.’ जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि रडार प्रणाली से भी जांच हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट में एएसआई की तरफ से कहा है कि एक हफ्ते बाद खुदाई होगी. यही आशंका है कि भवन ध्वस्त हो सकता है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा घोषणात्मक वाद है कि संपत्ति पर स्वयं भू भगवान विश्वेश्वर नाथ का स्वामित्व हो और पूजा का अधिकार दिया जाये.

    बता दें कि मंगलवार को तकरीबन 50 मिनट तक सुनवाई हुई थी. हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने मेरिट पर बहस करते हुए अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं. आज मामले में कोर्ट आगे की सुनवाई करेगी। दोनों ही पक्ष अपनी अपनी दलीलें पेश करेंगे. मुस्लिम पक्ष जहां तमाम दलीलें देकर जिला जज के सर्वे के आदेश को निरस्त किए जाने की अपील कर रहा है, वहीं हिंदू पक्ष मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज किए जाने की सिफारिश कर रहा है. उम्मीद है कि सर्वे को लेकर चीफ जस्टिस कोर्ट में चल रही सुनवाई आज दोपहर तक पूरी हो जाएगी. शाम 5:00 बजे से पहले अदालत अपना फैसला भी सुना सकती है.

    अगर किसी वजह से सुनवाई नहीं पूरी हो पाती है तो कोर्ट सर्वे पर लगी रोक को आगे बढ़ा देगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5:00 बजे तक रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी बात रखने का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने अनुच्छेद 227 के तहत हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है. गौरतलब है कि इससे पहले वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक तरीके से ASI सर्वे का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए बुधवार शाम 5 बजे तक वाराणसी कोर्ट के सर्वे आदेश पर रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया था.

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