मजाक का विषय बने मंत्रीजी!
विदिशा कृषि उपज मंडी के सचिव का एक ऑडियो वायरल होने के बाद मीडिया और भाजपा संगठन में एक मंत्रीजी का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। ऑडियो में मंडी सचिव धारा प्रवाह गालियों के साथ बता रहा है कि मंत्रीजी ने 64 हजार रुपये का सरबती गेहूं अपने घर के लिए बुलाकर उसे टोपी पहना दी है। पूरे मीडिया जगत और भाजपा में इस ऑडियो के बाद मंत्रीजी का मजाक उनके स्तर को लेकर उड़ाया जा रहा है। भाजपा में चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान के पहले और दूसरे कार्यकाल में मंत्री यदि ऐसा करते तो उन्हें सीएम हाउस या भाजपा कार्यालय में बुलाकर समझाईश दी जाती थी। लेकिन अब न तो मुख्यमंत्री निवास बुलाकर मंत्रीजी से पूछताछ की जा रही है और न ही संगठन स्तर पर मंत्रियों की ऐसी छिछोरी हरकतों पर लगाम लगाई जा रही है।
मंत्री के कारण 5 लाख का फटका!
यह बहुत गंभीर मामला है। शिवराज सरकार के एक मंत्री ने जानबूझकर यह नोटशीट लिखी या उन्हें धोखे में रखकर उनसे नोटशीट लिखवाई गई। यह तो नहीं पता लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री बृजेन्द्र सिंह सिसोदिया की एक नोटशीट के कारण इंदौर हाईकोर्ट ने न केवल राज्य सरकार पर 5 लाख का जुर्माना लगाया है बल्कि जिस शिकायत के आधार पर मंत्री ने नोटशीट लिखी है उस पर एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश भी इंदौर पुलिस कमिश्नर को दिए हैं। मंत्री ने एक झूठी और काल्पनिक शिकायत के आधार पर अपने विभाग के अधीक्षण यंत्री स्तर के अधिकारी को निलंबित कर जांच के आदेश दिए थे। निलंबन से पहले ही हुई जांच में अधीक्षण यंत्री निर्दोष पाए गए। इसके बाद भी सरकार ने अधीक्षण यंत्री को रिटायरमेंट से तीन दिन पहले निलंबित कर दिया। इंदौर हाईकोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। फर्जी शिकायत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और षड्यंत्र रचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
मौत के बाद आया जवाब
मप्र विधानसभा में विधायकों के महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब समय से न आने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि विधायक जुगलकिशोर बागरी के सवालों के जवाब उनकी मौत के बाद आए हैं। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को भी प्रश्नों के जवाब समय से न आने पर विधानसभा में ध्यानाकर्षण की सूचना देनी पड़ी है। एक अन्य विधायक प्रियव्रत सिंह को विधानसभा सचिवालय ने बताया कि 400 से अधिक सवालों के जवाब अभी तक सरकार से नहीं मिले हैं। स्पीकर गिरीश गौतम ने सरकार की इस लापरवाही को गंभीरता से लिया है। उन्होंने विधायकों के प्रश्नों के जवाब समय सीमा में दिलाने के लिए अब सरकार पर शिकंजा कसने की घोषणा कर दी है। अब स्पीकर स्वयं मॉनीटरिंग करेंगे कि विधायकों के सवालों के जवाब क्यों नहीं आते।
दस हजार में नेतागिरी का प्रशिक्षण
मप्र कांग्रेस के विधायकों, जिलाध्यक्षों और एआईसीसी प्रतिनिधियों को नेतागिरी का प्रशिक्षण देने के लिए नए साल में भगवान राम की नगरी ओरछा में एक बड़ा प्रशिक्षण शिविर लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि इसका आयोजन कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व सीधे कर रहा है। विधायकों और जिलाध्यक्ष व एआईसीसी सदस्यों को प्रशिक्षण लेना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रशिक्षण में शामिल होने वालों को रुकने, ठहरने और खाने के एवज में प्रतिव्यक्ति 10 हजार रुपए जमा करने होंगे। कांग्रेस के कई लोग 10 हजार सुनकर प्रशिक्षण से कन्नी काट रहे हैं। कुछ वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि पैसे देकर प्रशिक्षण लेने से अच्छा है कि हम अपने अनुभव के आधार पर नए लोगों को फ्री में प्रशिक्षण दें। अभी यह तय नहीं हुआ है कि प्रशिक्षण देने के लिए कौन-कौन सी हस्तियां ओरछा पहुंचेंगी। लेकिन सभी विधायकों और नेताओं को 7 जनवरी को दोपहर तक ओरछा पहुंचने के आदेश हैं।
सेज ग्रुप की उल्टी गिनती शुरू!
भोपाल सहित मप्र के कई शहरों में तेजी से पांव पसार रहे सेज ग्रुप की अब उलटी गिनती शुरु हो गई है। ग्रुप के लगभग 26 ठिकानों पर आयकर छापे के बाद ग्रुप से जुड़े लोगों में घबराहट साफ दिखाई दे रही है। भोपाल का अग्रवाल बिल्डर्स भी इसी ग्रुप का है। खबर आ रही है कि अग्रवाल बिल्डर्स की कॉलोनियों पर भी अब जांच की तलवार लटकने लगी हैं। विधायक अर्जुन सिंह काकोडिय़ा के सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया है कि बिल्डर ने भोपाल के सागर ग्रीन हिल्स में निर्धारित ऊंचाई के बाद 16 पेंट हाउस बना लिए हैं। इसके अलावा इस कॉलोनी की छतें बेचने का आरोप भी बिल्डर पर लगा है। नगर निगम अब इस बिल्डर की कॉलोनियों की व्यापक जांच करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में सेज ग्रुप की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
प्रदेश में हरियाली, बुधनी में सूखा
हेडिंग पढ़कर आप कन्फ्यूज मत होईए। दरअसल हम भाजपा नेताओं को निगम मंडलों में कुर्सियां मिलने की बात कर रहे हैं। विधानसभा सत्र समाप्त होते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश भर के भाजपा नेताओं को निगम मंडल में पद देकर उपकृत किया, लेकिन इस सूची में मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर या उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी के किसी भी नेता का नाम दिखाई नहीं दिया। दरअसल शिवराज सिंह चौहान के तीसरे कार्यकाल में केवल बुधनी क्षेत्र से 12 ऐसे चेहरे थे जिन्हें निगम मंडलों में पद देकर उपकृत किया गया था। इनमें गुरूप्रसाद शर्मा, सुनील माहेश्वरी, रामनारायण साहू, राजेन्द्र सिंह राजपूत, रामाकांत भार्गव, शिव चौबे, सूर्या चौहान, आशाराम यादव, मीना पटेल, बृजेश चौहान, निर्मला बारेला और धीरसिंह चौहान शामिल थे। अब केवल शिव चौबे को गौसेवा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। निगम मंडलों की सूची आने के बाद बुधनी में एक ही चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने पहली बार अपने खास लोगों पर नजरें इनायत नहीं की हैं।
और अंत में….
सहारा ग्रुन के चेयरमैन सुब्रत राय बेशक लखनऊ में बैठकर अपना व्यवसाय संभाल रहे हो, लेकिन वे मप्र पुलिस को नहीं मिल रहे हैं। पुलिस बीते 6 माह से उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। लेकिन पुलिस के अनुसार उसे सुब्रत राय नहीं मिल रहे हैं। चिटफंड कंपनी के जरिए करोड़ों की वसूली करने वाले सुब्रत राय के खिलाफ मप्र के कई जिलों में एफआईआर दर्ज है। लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने रतलाम जिले की आलोट पुलिस पहली बार 15 जुलाई को लखनऊ तक पहुंची थीं। लेकिन सुब्रत राय नहीं मिले। सवाल है कि क्या वाकई सरकार उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है? यदि वे लगातार फरार हैं तो पुलिस उन्हें फरार घोषित कर उन पर ईनाम घोषित क्यों नहीं करती।
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