तीन आईपीएस पर शिकंजे की इंटरनल स्टोरी
मप्र सरकार ने लगभग दो वर्ष बाद आखिर वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी बी मधुकुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के खिलाफ विभागीय जांच घोषित कर दी है। इन अफसरों पर शिकंजा क्यों कसा? पुलिस मुख्यालय में इसकी एक इंटरनल स्टोरी काफी चर्चा में है। हम इस स्टोरी की पुष्टी नहीं करते। कहानी के अनुसार इनमें से एक आईपीएस ने ईओडब्ल्यु में डीजी रहते देश के चुनाव आयुक्त के निकट रिश्तेदार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार को लेकर समन जारी कर दिया था। सिंधिया की कृपा से मप्र में सरकार बदली तो चुनाव आयुक्त के रिश्तेदार को तो क्लीन चिट मिल गई, लेकिन ईओडब्ल्यु के तत्कालीन डीजी से बदला लेने चुनाव आयोग ने आयकर विभाग के छापे की एप्रेजल रिपोर्ट के आधार पर तीनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को पत्र लिख दिया।
अपनों के निशाने पर 7 मंत्री
मप्र में अभी तक 7 मंत्री ऐसे हैं जो अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। सागर में तीन मंत्रियों के बीच हुए मनमुटाव से हुई यह शुरुआत अब गंभीर रूप लेती जा रही है। सागर में मंत्री भूपेन्द्र सिंह और गोविन्द राजपूत समर्थकों के बीच विवाद के चलते भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हो चुका है।उज्जैन में मोहन यादव, शिवपुरी में महेन्द्र सिसौदिया और धार में राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के खिलाफ भाजपा में बगावत जैसे हालात हैं अब खबर आ रही है यही हाल बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग के खिलाफ भी बन गये हैं। यानि मप्र के अगले चुनाव भाजपा को पहले भाजपा से लडऩा होगा। भाजपा विधायक और नेता ही अपनी सरकार के मंत्रियों की अवैध सम्पत्ति और कथित भ्रष्टाचार की फाइलें तैयार करने में लगे हुए हैं। कुछ फाइलें लोकायुक्त पहुंच गई हैं। कुछ पहुंचाने की तैयारी है।
काबिल महिला अफसर का उपयोग नहीं कर पाई सरकार
प्रशासनिक व्यवस्था में यूं तो अफसरों को अलग-अलग जिम्मेदारी मिलती है। आईएएस अफसरों की बात करें तो सरकार में प्रमोटी और सीधी भर्ती के अफसरों के साथ हमेशा से भेदभाव होता रहा है। यह बात अलग है कि प्रमोटी अफसर कई मायनों में ज्यादा काबिल होते हैं। प्रमोटी आईएएस का सपना होता है कि वह एक बार कलेक्टर बने। यदि बिना कलेक्ट्री के रिटायर हो जाता है तो उसे जिंदगी भर तक इसका मलाल रहता है। आमतौर पर सरकार सबको मौका देती हैं, लेकिन फिर भी कुछ अफसरों के साथ भेदभाव होता है। ऐसी एक महिला अधिकारी हैं 2008 बैच की उर्मिला शुक्ला। जो भोपाल में एसडीएम से लेकर सरकार में कई पदों पर रही हैं। पर उन्हें कलेक्ट्री का मौका नहीं मिला, जबकि उनके सभी बैचमेट्स तीन से चार जिलों में कलेक्ट्री कर चुके हैं। बाल्मी संचालक रहते उन्होंने दशकों से घाटे में चल रही संस्था को करोड़ों के फायदे में लाकर खड़ा कर दिया। राजधानी के सबसे बड़े ग्रीनरी पॉइंट बाल्मी को माफिया से बचाने के लिए वे मजबूती के साथ डटी रहीं। बाल्मी से हटाकर आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भिजवाने के पीछे भी माफिया का हाथ बताया जा रहा है।
अफसर की अय्याशी!
हम अपने कॉलम में इस तरह की खबरें बहुत कम छापते हैं। लेकिन एक अधिकारी ने सभी सीमाएं लांघी तो हम छापने विवश हो रहे हैं। मप्र में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एक एजेंसी के कप्तान ने एक भ्रष्ट व्यक्ति को क्लीनचिट देने के बदले दिल्ली के पांच सितारा होटल में अपनी अय्याशी का इंतजाम कराया। अय्याशी के बाद अफसर को पता चला कि जिस मोबाइल से अफसर के लिए दिल्ली में कमरा बुक हुआ था, उसी मोबाइल से कॉल गल्र्स को भुगतान भी किया गया है। कॉल गल्र्स का कमरा भी इसी मोबाइल से बुक हुआ और कमरे का भुगतान भी इसी मोबाइल से किया गया। अफसर के कमरे में कॉल गल्र्स के जाने आने के सीसीटीवी फुटेज भी मिल गये हैं। भोपाल पहुंची खबरों पर भरोसा किया जाए तो क्लीन चिट लेने वाले के पास अफसर के खिलाफ इतने प्रमाण पहुंच गये हैं कि वह अफसर को क्लीन बोल्ड कर सकता है।
आईएएस का दलाल फिर होगा गिरफ्तार!
यह खबर साऊथ से आ रही है। मप्र में हजारों करोड़ के ठेके लेने वाली साऊथ के एक बड़े ग्रुप के लिए भोपाल में दलाली करने वाले युवक को फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है। इस युवक पर आरोप है कि यह मप्र के कई आईएएस अफसरों को रिश्वत बांटता था। मप्र के ही बड़े घोटाले में हैदराबाद की ईडी टीम पहले भी इसे गिरफ्तार कर चुकी है। यह जमानत पर छूटकर भोपाल रह रहा है। अब एक जांच एजेंसी फिर से उसे गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है। मुखबिर का कहना है कि इस युवक के जरिये जांच एजेंसी मप्र के कुछ रिटायर आईएएस अफसरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। जानकारी के अनुसार इस युवक ने अपनी एक कंस्ट्रक्शन फर्म बना ली थी। इसी फर्म के जरिए फर्जी तरीके से सैकड़ों करोड़ का लेनदेन हुआ है। मप्र के एक ही बैच के दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने इस युवक के जरिए जमकर माल कूटा है।
भाजपा में सिंधिया कहां खड़े हैं!
सबको पता है कि कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम राहुल गांधी के बाद सबसे टॉप पर लिया जाता था। भाजपा में आने के तीन वर्ष बाद पूछा जा रहा है आज भाजपा में सिंधिया कहां खड़े हैं? कांग्रेस में अपनी ताकत का उपयोग कर ग्वालियर चंबल संभाग की 34 में से लगभग 28 विधानसभा टिकट अपने समर्थकों को दिलाने वाले सिंधिया क्या भाजपा में आए समर्थकों को आधी भी टिकट दिला पाएंगे? कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे नम्बर पर पहुंचे सिंधिया मप्र की भाजपा राजनीति में ही छठे सातवें नम्बर पर धकेल दिए गये हैं। खास बात यह है कि जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं भाजपा के मूल नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सिंधिया खेमे पर हमले तेज कर दिए हैं। कोई सिंधिया को नामर्द बता है तो कोई उनके मंत्रियों को भ्रष्ट व चोर बता रहा है। अनुशासित भाजपा में सिंधिया पर यह हमले सुनियोजित माने जा रहे हैं। ताकि यदि मप्र में इस बार चुनाव हारे तो ठीकरा सिंधिया के सिर फोड़ा जा सके।
और अंत में…!
मप्र के राजनीतिक गलियारों में सबसे अधिक पूछा जाने वाला सवाल यह है कि प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता इस वर्ष अक्टूबर में रिटायर होंगे या शिवराज सरकार उन्हें एक्सटेंशन देगी। दरअसल लोकायुक्त जस्टिस गुप्ता के एक्सटेंशन को लेकर भाजपा संगठन भी एक राय नहीं है। लोकायुक्त ने जिस तरह मप्र के वरिष्ठ मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज कर जांच शुरु की है उससे भाजपा संगठन के पदाधिकारी नाराज बताये जा रहे हैं। इधर एक खबर यह भी आ रही है कि लोकायुक्त की टेबल पर मप्र के अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी सबूतों के साथ शिकायतें पहुंच चुकी हैं। लोकायुक्त को इन शिकायतों की जांच को लेकर फैसला करना है। भूपेन्द्र सिंह की जांच के लिए भी लोकायुक्त ने पहली बार समय सीमा तय की है। लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना को 8 अगस्त तक भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ जांच रिपोर्ट देनी है। यानि लोकायुक्त रिटायर होने से पहले इस संबंध में कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं।
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