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    सुनी सुनाई : मंगलवार 21 मार्च 2023

  • March 21, 2023

    मंहगे विदेशी साफ्टवेयर से चुनावी सर्वे!
    मप्र में शासन प्रशासन पूरी तरह चुनावी मोड पर आ चुका है। राज्य सरकार के एक खास विभाग को सरकार की ओर से चुनावी सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। खबर आ रही है कि इस विभाग ने सर्वे के लिए विदेश से मंहगे साफ्टवेयर खरीदे। लगभग 10 हजार लोगों से बातचीत पर नये साफ्टवेयर के जरिये एनालिसिस किया गया। इसका परिणाम भाजपा और सरकार को परेशान करने वाला आया है। फिलहाल विभाग के मुखिया ने सरकार के मुखिया को प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट भेज दी है। मंत्रालय में इस सर्वे से ज्यादा चर्चा सर्वे के लिए खरीदे गये साफ्टवेयर की हो रही है। चर्चा यह भी है कि इस विभाग ने पहली बार सर्वे के लिए 10 हजार लोगों का बड़ा सेम्पल लिया है।

    सबनानी का शक्ति प्रदर्शन
    मप्र भाजपा कार्यालय के प्रभारी महासचिव भगवानदास सबनानी इस महीने बड़ा शक्ति प्रदर्शन करने वाले हैं। वे देश विदेश के सिंधी समाज को बड़ी संख्या में भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर एकत्रित करने की योजना बना रहे हैं। शहीद हेमू कलानी के जन्म शताब्दी के बहाने भोपाल में होने वाले सिंधी समाज के इस ग्रांड शो के चीफ गेस्ट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत होंगे। इस बड़े आयोजन के जरिये सिंधी समाज भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट पर टिकट की दावेदारी कर सकता है। यह क्षेत्र सिंधी बहुत है। फिलहाल यहां से भाजपा के रामेश्वर शर्मा दूसरी बार विधायक हैं। इस बार भगवानदास सबनानी मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहे हैं।

    मप्र में सक्रिय हुई टीम पीके!
    मप्र में विधानसभा चुनाव में अभी 8 महीने से ज्यादा बाकी है, लेकिन अभी से राजनीतिक दल सक्रिय हो गये हैं। एक खबर आ रही है कि देश में सबसे चतुर चुनाव विशेषज्ञ पीके यानि प्रशांत किशोर की टीम के 150 लोग मप्र में कांग्रेस के लिये सक्रिय हो गये हैं। यह लोग पीके की टीम का हिस्सा रह चुके हैं, लेकिन फिलहाल पीके से अलग होकर काम कर रहे हैं। इस टीम के लोग पूरे मप्र में फैलकर चुनावों को प्रभावित करने वाले मुद्दों, जिताऊ प्रत्याशियों और चुनावी संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि इस मंहगी टीम का खर्चा मप्र में एक निजी विश्वविद्यालय का मालिक प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री के इशारे पर कर रहा है।


    ई टेंडर घोटाला टांय टांय फिस्स
    मप्र के चर्चित ई टेंडर घोटाले को चुनाव से पहले पूरी तरह दफन करने की तैयारी हो गई है। लगभग 3000 करोड़ के इस घोटाले को दफन करने का काम उसी ईओडब्ल्यु को सौंपा गया है, जिसने इस घोटाले में 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जल संसाधन, जल निगम, लोक निर्माण विभाग के ऑन लाइन टेंडर में छेड़छाड़ कर ठेके लेने के इस गंभीर मामले में कमलनाथ सरकार के समय बड़े ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को भी बिना नाम लिये आरोपी बनाया गया था। शिवराज सरकार आने के बाद ईओडब्ल्यु ने इसकी जांच में कोई रूचि नहीं ली है। पूर्व की जांच के आधार पर कोर्ट में जो चालान पेश हुआ था, उसमें सभी आरोपी तकनीकी आधार पर छूट गये हैं। ईओडब्ल्यु ने आज तक किसी बड़े आरोपी ठेकेदार को बयान के लिये भी नहीं बुलाया है। अब खबर आ रही है कि ईओडब्ल्यु ने ई टेंडर घोटाले की जांच तकनीकी सुविधाएं न होने के आधार पर इसे पूरी तरह बंद करने का मन बना लिया है।

    फर्जी डॉक्टरों के पक्षधर भाजपा के सांसद
    यह मप्र के जिम्मेदार नेता की बेशर्मी का बड़ा उदाहरण है। मप्र भाजपा के एक सांसद ने अपने लेटरहेड पर पत्र लिखकर मप्र के झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ की गई एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई है। राज्य सरकार ने भी सांसद के आग्रह पर विचार शुरू कर दिया है। दरअसल पिछले दिनों मप्र के तीन आदिवासी बहुल जिलों में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ मुहिम चलाई गई थी। कई फर्जी डॉक्टरों को पकड़ा गया जो ईलाज के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड करते हैं। अब अचानक सांसद इन्हें बचाने आगे आ गये हैं। सांसद के आग्रह पर गृह व विधि विभाग में फाइल तो दौडऩे लगी है, लेकिन अफसर हैरान हैं कि जिम्मेदार सांसद गैर जिम्मेदाराना मांग पर क्यों अड़े हैं? सरकार फिलहाल इन आपराधिक मामलों को वापस लेने के मूड में नहीं है।

    भोपाल में फिर झोली फैलाने पहुंचे पूर्व विधायक!
    इन राजनेताओं को शर्म नहीं आती। मप्र के पूर्व विधायक हर दो चार साल में झोली फैलाने भोपाल आ जाते हैं। राज्य सरकार पर दबाव डालकर अपनी पेंशन व सुविधायें बढ़वा लेते हैं। ऐसा लगता है कि इन्हें और इनके परिवार को पालने की पूरी जिम्मेदारी अब सरकार की हो गई है। मप्र में 40 वर्ष सेवा करने वाले सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई है, लेकिन पूर्व विधायकों की पेंशन व सुविधाओं में लगातार वृद्धि की जा रही है। सिर्फ एक बार चुनकर आए विधायक जीवन भर पेंशन पाने के हकदार हो जाते हैं। इस सप्ताह भोपाल आये लगभग 300 पूर्व विधायकों ने अपनी पेंशन व चिकित्सा भत्ता 30 हजार से बढ़ाकर 65 हजार करने की मांग रख दी है। स्पीकर ने 60 हजार दिलाने का भरोसा भी दिला दिया है। मजेदार बात यह है कि इनमें से कई विधायक पूर्व सांसद व मीसाबंदी की पेंशन भी ले रहे हैं। यानि जनता के टेक्स का पैसा इन नेताओं पर दोनों हाथ से लुटाया जा रहा है।

    और अंत में…!
    मप्र के धार जिले के छोटे से शहर डही में 314 गरीब कन्याओं के साथ प्रशासन लगातार क्रूर मजाक कर रहा है। इन कन्याओं की गरीबी का भी मजाक उड़ रहा है। दरअसल गरीबी के चलते इन 314 परिवारों ने अपनी बेटियों का विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में कराने का फैसला किया। कन्यादान योजना में दहेज के सामान की खरीद में भ्रष्टाचार की शिकायत पर फरवरी में दो बार यह विवाह आयोजन रद्द किया गया। प्रशासन ने 15 मार्च को इस विवाह समारोह की सभी तैयारी कर ली। टेंट तम्बू लग गये। विवाह मंडल तैयार हो गये। लड़की लड़के वाले भी डही पहुंच गये। लेकिन 14 मार्च की रात में प्रशासन ने तीसरी बार अचानक विवाह समारोह यह कहकर रद्द कर दिया कि भाजपा सांसद ने दहेज में घटिया सामान खरीदे जाने की शिकायत की है। प्रशासन ने दहेज का सामान सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है। इसे उन 314 कन्याओं के साथ शासन प्रशासन का क्रूर मजाक माना जा रहा है जो तीन बार मंडप से लौटा दी गई हैं।

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