दो पूर्व मुख्यसचिव चाहते हैं कांग्रेस सरकार!
मप्र के दो पूर्व मुख्यसचिव प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के सपने देख रहे हैं। यह रिटायर अफसर फिलहाल अपने अपने गृहराज्य में बस गये हैं। दोनों की महत्वाकांक्षा अभी खत्म नहीं हुई हैं। एक को उम्मीद है कि कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो वे मुख्यसचिव व पुलिस महानिदेशक से ज्यादा ताकतवर होकर मप्र लौटेंगे। वे अपने लोगों को खबर भेज रहे हैं कि कमलनाथ उनके लिए सबसे ताकतवर प्रशासनिक पद का गठन करेंगे। दूसरे रिटायर अफसर को उम्मीद है कि कमलनाथ के सीएम बनते ही वे मुख्य प्रशासनिक सलाहकार के रूप में आमद देंगे। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने अभी तक किसी रिटायर अफसर को ऐसा कोई वायदा नहीं किया है।
शेर की दहाड़ से अफसरों की नींद उड़ी!
सबसे पहले स्पष्ट कर दूं कि शेर बहादूर सिंह परिहार मप्र जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर रहे हैं। जल संसाधन के एक अहंकारी अफसर के कारण परिहार ईएनसी नहीं बन पाए। अहंकारी अफसर ने उन्हें प्रताडि़त करने के कई जतन किये थे। शेर बहादूर परिहार अब रीवा में अपने ही विभाग की पोल खोल अभियान में लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ परिहार रीवा की जल संसाधन में करोड़ों के भ्रष्टाचार को प्रमाणों के साथ उजागर कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, मीडिया और गांव वालों के साथ मौके पर पहुंचकर वे बताते हैं कि टेंडर की शर्तों के अनुसार क्या काम होना चाहिए था और मौके पर वास्तव में कितना घटिया काम हुआ है। अकेले रीवा संभाग में हजार करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार उजागर हो चुका है। परिहार की सक्रियता का परिणाम है कि राज्य सरकार अब तक दो बड़े ठेकेदारों को ब्लेक लिस्टेड कर चुकी है। परिहार की मुहिम पर वास्तव में कार्रवाई हुई तो कई ठेकेदार और रिटायर अफसर जेल जा सकते हैं।
बिका हुआ माल वापस नहीं होगा!
मप्र में ग्वालियर और राघोगढ राजघरानों की अदावत (दुश्मनी) किसी से छुपी नहीं है। लेकिन यह अदावत वह नई पीढ़ी में भी दिखाई दे रही है। राघोगढ़ के पूर्व राजा व मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे और मप्र के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने ग्वालियर के पूर्व महाराजा, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर अभी का सबसे बड़ा हमला बोला है। बिना नाम लिए सिंधिया पर निशाना साधते हुए फेसबुक पर लिखा है – बिका हुआ माल वापस नहीं होगा और न ही झेला जाएगा। दरअसल पिछले दिनों गुना में अटकलें शुरु हुई थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में वापस लौट सकते हैं। मीडिया भी संबंध में सवाल करने लगा। ऐसे में जयवर्धन सिंह ने फेसबुक पर लिख दिया कि ‘बिका हुआ माल वापस नहीं होगा’। खास बात यह है कि जयवर्धन के इस मैसेज पर 700 से अधिक लोगों ने कमेंट किये हैं। इनमें अनेक लोगों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जमकर जहर उगला है।
सबसे बड़ा चुनावी लालीपॉप
तेलंगाना की सत्तारूढ पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने अभी अभी मप्र में पांव पसारना शुरू किये हैं। व्यापमं के व्हीसलब्लोअर डॉ. आनन्द राय सहित कुछ अन्य लोगों ने इस पार्टी को ज्वाइन किया है। इस पार्टी ने चुनावी लालीपॉप दिखाने के मामले में सभी दलों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। मप्र अभी में बीआरएस का ढंग से संगठन भी बना नहीं है और नवोदित नेताओं ने दस घोषणाएं भी कर दी हैं। महिलाओं को 5000 रुपये महिने देने, सिलेंडर 100 रूपये, पुरानी पेंशन बहाली, किसानों का कर्जा माफ, गरीबों को आटा व बेरोजगारों को डाटा फ्री, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 25000 रुपये मानदेय, किसानों को बिजली फ्री, 200 यूनिट बिजली फ्री, किसानों को 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान और अतिथि विद्वानों को नियमित करने की घोषणा कर दी है। वाह भाई, मजाक अच्छा है।
छेड़छाड़ के आरोपी बने गल्र्स कॉलेज के प्राचार्य
महिला सुरक्षा को लेकर सरकारों के दोगलेपन का यह बड़ा उदाहरण है। राजधानी भोपाल में महिला प्रोफेसर से छेड़छाड़ के आरोपी प्रोफेसर को गल्र्स कॉलेज का प्राचार्य बना दिया है। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने इनके चाल चलन को देखते हुए इन्हें किसी भी गल्र्स कॉलेज में नियुक्त न करने के निर्देश दिए थे। चर्चा है कि इनकी सर्विस बुक से यह आदेश ही गायब कर दिया गया है। इन प्राचार्य महोदय पर घपले घोटालों के भी गंभीर आरोप हैं लेकिन ‘मंत्री मेहरबान तो प्राचार्य पहलवानÓ की तर्ज पर यह राजधानी के एक बड़े गल्र्स कॉलेज में जमे हुए हैं। इनकी एक योग्यता यह है कि यह मप्र के पूर्व गृहमंत्री के बेटे हैं।
भाजपा कांग्रेस ‘आप’ के निशाने पर
मप्र में अगले पांच माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने पूरे प्रदेश में टीम उतार दी है। पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलने के बाद अब मप्र में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में दिल्ली और पंजाब से पर्यवेक्षक पहुंच गये हैं। यह दिन भर कांग्रेस और भाजपा के उन नेताओं से संपर्क कर रहे हैं जिनका जनाधार है और अपनी अपनी पार्टी से टिकट के दावेदार हैं। यह भरोसा दिला रहे हैं कि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी मप्र में तीसरा विकल्प बनेगी। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा के नेता भी आप को विकल्प के रूप में पसंद कर रहे हैं। चर्चा है कि आम आदमी पार्टी ने टिकट के लिए दो प्राथमिकताएं तय की हैं। पहला जनाधार, दूसरा धनाधार।
और अंत में…!
इन रिटायर आईएएस को घर और गांव वाले राजा भैया के नाम से जानते हैं। इनका असली नाम भी यही है। लेकिन मप्र के ब्यूरोक्रेसी में इनकी पहचान आरबी प्रजापति के रूप में है। चार वर्ष पहले शहडोल के संभागायुक्त के पद से रिटायर होने के बाद शिवपुरी जिले के करैरा में विधानसभा का उपचुनाव लडऩे पहुंच गये, लेकिन बुरी तरह हारने के बाद इन्होंने छतरपुर जिले के अपने छोटे से गांव में रहने का निर्णय लिया। समाजसेवा को अपना उद्देश्य भी बनाया। गांव के बच्चों को अच्छी अंग्रेजी सिखाने और उनका जीवनस्तर सुधारने में लग गये हैं। गांव में पूरी तरह फ्री कोचिंग सेंटर शुरु कर दिया है। जिसमें खुद बच्चों को पढ़ा और सिखा रहे हैं। रिटायर आईएएस के इस कार्य की प्रशंसा भी हो रही है।
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