प्रदेशाध्यक्ष बनने की शर्त!
क्या भाजपा हाईकमान मप्र में चुनाव से पहले संगठन में बदलाव करना चाहता है? इस खबर की सच्चाई तो नहीं पता, लेकिन भाजपा के अंदर खाने में यह खबर तेजी से वायरल है कि पार्टी हाईकमान ने एक केन्द्रीय मंत्री को संगठन की कमान सौंपकर मप्र लौटने का प्रस्ताव दिया था। केन्द्रीय मंत्री ने इस शर्त पर प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने की सहमति दी है कि वे केन्द्रीय मंत्री भी बने रहेंगे। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू होने से फिलहाल यह निर्णय टाल दिया गया है।
ग्रुप ऑफ ब्यूरोक्रेट!
इस कॉलम में हम इस ‘ग्रुप ऑफ ब्यूरोक्रेट’ की चर्चा पहले भी कर चुके हैं। मप्र में लंबे समय तक मालवा के बड़े जिलों में पदस्थ रहने वाले कुछ आईएएस अधिकारियों ने अपना एक ग्रुप बना लिया है। यह अफसर पोस्टिंग में एक दूसरे की मदद करते हैं। इन अफसरों की कार्यशैली प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया को पसंद है। यही कारण है कि आईएएस अफसरों का यह ग्रूप मप्र में सबसे ताकतवर है। इसकी ताकत का अहसास बीते सप्ताह तब हुआ जब भोपाल कलेक्टर की पदस्थापना 48 घंटे में बदल दी गई। बड़े तरीके से खबर प्लांट हुई कि आरएसएस के कहने पर यह बदलाव हुआ है। लेकिन सच्चाई यह है कि इस बदलाव के पीछे आईएएस अफसरों के इस ग्रुप की ताकत थी। पिछले तीन चार महीने में इस ग्रुप के सभी अफसर मनमाफिक पोस्टिंग पाने में सफल हो गये हैं।
‘सिंह इज किंग’ असली फिल्म ग्वालियर में!
मप्र के किसी एक जिले में ठाकुरों की हुकुमत देखना है तो ग्वालियर चले आइए। यहां राजनीतिक रूप से सबसे ताकतवर नेता केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर हैं। मप्र सरकार के मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर, महापौर शोभा सिंह सिकरवार, विधायक सतीश सिंह सिकरवार की तो अपनी अपनी सत्ता है ही। प्रशासनिक गलियारों में भी ठाकुरों का खासा दबदबा है। संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर अक्षय सिंह, एसपी राजेश सिंह चंदेल, निगमायुक्त हर्ष सिंह और जिला पंचायत सीईओ विवेक सिंह पदस्थ हैं। यह सूची यहां समाप्त नहीं होती। यदि आपने ग्वालियर में एसडीएम, एसडीओपी, तहसीलदार, थानेदार और पटवारियों पर नजर डाली तो तय हो जाएगा कि ग्वालियर में वाकई ‘सिंह इज किंगÓ हैं।
कांग्रेस नेताओं के निशाने पर ललित बेलवाल!
मप्र आजीविका मिशन के निदेशक ललित मोहन बेलवाल अब कांग्रेस के सीधे निशाने पर हैं। बेलवाल पर लगभग 100 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप हैं। लेकिन कांग्रेस उनके कथित भ्रष्टाचार के कारण नहीं भाजपा नेताओं की सभा में स्व सहायता समूह की महिलाओं को लाने के कारण बेलवाल से नाराज हैं। विन्ध्य क्षेत्र के एक दिग्गज कांग्रेस नेता पिछले चुनाव में अपनी हार के लिये बेलवाल को जिम्मेदार मानते हैं। नेताजी का आरोप है कि बेलवाल ने आजीवन मिशन की राशि से महिलाओं को साडियां व गिफ्ट बांटी थीं। रिटायर आईएफएस अधिकारी ललित बेलवाल का जादू भाजपा सरकार सिर चढ़कर बोल रहा है। आजीविका मिशन में तमाम घपले घोटालों के बाद भी उन्हें लगातार संविदा नियुक्ति पर निदेशक बनाकर रखा गया है।
महामहिम की सबसे मंहगी आमसभा!
मप्र के इतिहास में शायद ही किसी राज्यपाल की इतनी मंहगी आमसभा हुई हो। यह भी संभव है कि शायद देश भर में किसी भी राज्यपाल की अब तक की यह सबसे मंहगी आमसभा के लिए इस आयोजन को ‘बुक ऑफ वल्र्डÓ रिकार्ड में शामिल किया जाए। मप्र के महामहिम राज्यपाल मंगूभाई पटेल स्वयं आदिवासी हैं। वे 16 अप्रैल को ग्वालियर में बाबा साहब अंबेडकर की जयंती पर एक आमसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। इस एक आमसभा का अनुमानित खर्चा लगभग 15 करोड़ बताया जा रहा है। महामहिम की सभा के लिए एक लाख लोगों को ढोकर लाने की तैयारी है। यह तय हो गया है कि आमसभा में आने, जाने, खाने, पीने, टेंट, तम्बू, माईक व अन्य आवभगत का पूरा खर्चा सरकारी खजाने से किया जाएगा। लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि इस आमसभा का लाभ क्या है?
मंत्री पद का दर्जा प्राप्त नेताजी के अपराधिक केस वापस नहीं होंगे!
कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए मुरैना के पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना के आपराधिक प्रकरण जनहित में वापस लेने की फाईल मुरैना और भोपाल के बीच टप्पे खा रही है। भोपाल विधि विभाग ने इस फाईल पर साफ लिख दिया है कि अपराध गंभीर किस्म का है जिसे जनहित में वापस नहीं लिया जा सकता। रघुराज सिंह कंसाना पर थाने पर फायरिंग कर एक आरोपी को छुड़ाने का आरोप है। उन्होंने पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला किया था। रघुराज सिंह फिलहाल मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। राज्य सरकार पर जनहित में उनका प्रकरण वापस लेने का दबाव है। लेकिन विधि विभाग ने फाईल लौटा दी है। दो तीन बार यह फाईल भोपाल आई, लेकिन हर बार इसे वापस किया जा रहा है। अब लगभग तय हो गया है कि यह आपराधिक प्रकरण वापस नहीं होगा।
और अंत में….!
यह खबर कुछ चौंकाने वाली है। सागर के एक मुस्लिम विद्वान, साहित्यकार शफीक खान अपने जीवन में ब्रह्मचर्य और संयम का पालन कर रहे हैं। शफीक खान ने इस्लाम नहीं छोड़ा है, लेकिन जैनसंत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से प्रभावित होकर जैन जीवनशैली का सख्ती से पालन करते हैं। उन्होंने विवाह नहीं किया है। फकीरी परंपरा पर भरोसा करने वाले शफीक खान बीते 25 वर्षों से जैनसंतों के आसपास नजर आते हैं। पिछले दिनों सागर में बीमार हुए तो भोपाल का एक जैन परिवार उन्हें यहां ले आया। भोपाल के भानपुर क्षेत्र में रहने वाले इस जैन परिवार के लिये शफीक खान शफीक चच्चाÓ हैं। पूरा परिवार शफीक चच्चा के ईलाज और सेवा में लगा हुआ है।
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