कांग्रेस में लौट सकते हैं भाजपा सांसद!
अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में रहते गुना सांसद केपी यादव का भाजपा में कोई भविष्य नहीं है। केपी यादव ने रणनीति के तहत अपना वह पत्र मीडिया में वायरल कराया है जो उन्होंने सिंधिया समर्थकों के खिलाफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा था। मुखबिर ने खबर दी है कि केपी यादव मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में वापस लौटेंगे। कांग्रेस ने उन्हें अशोकनगर जिले की मुंगावली सीट से टिकट देने का भरोसा दिला दिया है। फिलहाल इस सीट से सिंधिया समर्थक बृजेन्द्र यादव विधायक और प्रदेश में मंत्री हैं।
मंत्रियों के स्टाफ में बाहुबली, भ्रष्ट, बिजली चोर, बदतमीज!
पिछले 18 साल की भाजपा सरकार में पहली बार देखने को मिल रहा है कि मंत्रियों के स्टॉफ में बड़ी संख्या में बाहुबली, भ्रष्ट, बिजली चोर और बदतमीज लोग पहुंच गये हैं। इससे सरकार की जमकर फजीहत हो रही है। इस सप्ताह मंत्रियों के स्टॉफ की हरकतों से अखबार रंगे हुए दिखाई दिये। एक मंत्री के पीए का वीडियो वायरल हो रहा है कि वे मंत्री जी से मिलने पहुंचे युवक को पीटने की धमकी देते नजर आ रहे हैं। एक मंत्री के ओएसडी अपने घर में बिजली चोरी करते रंगे हाथ पकड़े गये हैं। एक मंत्री के ओएसडी को भोज विश्वविद्यालय ने एक करोड़ के कथित गबन का नोटिस थमाया है। एक महिला मंत्री के पीए पर पद्मश्री से सम्मानित व्यक्ति के साथ बदतमीजी का आरोप है। खास बात यह है कि इन स्टॉफ के लोगों को मंत्रियों के इतने राज बता हैं कि मंत्री चाहकर भी इन्हें हटा नहीं पा रहे।
सिकरवार को पछाड़ अनिल शर्मा बने ग्वालियर आईजी
दो केन्द्रीय मंत्रियों के बीच सहमति न बनने के कारण ग्वालियर आईजी की कुर्सी लगभग 15 दिन खाली पड़ी रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह सचिव श्री निवास वर्मा को ग्वालियर आईजी बनाया था, लेकिन केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की आपत्ति के बाद उन्हें ज्वाइन करने से रोक दिया गया। इस पद के लिये सिंधिया ने अनिल शर्मा और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने महेन्द्र सिंह सिकरवार का नाम दिया था। किसी एक नाम पर सहमति न बनने पर आईजी की कुर्सी 15 दिन खाली पड़ी रही। अंतत: इस मामले में सिंधिया बाजी मार गये। सिकरवार को पछाड़कर अनिल शर्मा ग्वालियर आईजी बन गये।
पत्रकारिता अभी जिन्दा है
मप्र में पत्रकारिता अभी जिन्दा है। सीहोर के सक्रिय व जागरूक पत्रकार कुलदीप सारस्वत ने मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर छह अस्पतालों और तीन डॉक्टरों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। नर्सिंग कॉलेज की संबद्धता के लिये स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से सीहोर जिले में रातोंरात सौ, दो सौ और तीन सौ बिस्तर के अस्पताल कागज पर खोल दिये गये। कुलदीप सारस्वत ने इस घपले को सबूतों के साथ उजागर किया तो कलेक्टर ने जांच कराई। तमाम दबावों और प्रलोभनों के बीच चली जांच में छह अस्पतालों और सीहोर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित तीन डॉक्टरों को इस मिलीभगत का दोषी पाया गया है। अब राज्य सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करना है। उम्मीद है इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
दो भाजपा नेताओं पर कांग्रेस की नजर
ग्वालियर चंबल संभाग के दो भाजपा नेताओं पर कांग्रेस की नजर पड़ गई है। इन्हें कांग्रेस में लाने के प्रयास शुरु हो गये हैं। मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष राधेलाल बघेल (दतिया) को भाजपा ने पीएम नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध टिप्पणी करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कांग्रेस इन्हें अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है। हालांकि बघेल कांग्रेस के अलावा बसपा नेताओं के भी संपर्क में बताये जा रहे हैं। दूसरी ओर भिण्ड जिले के भाजपा के पूर्व विधायक रसाल सिंह पर भी कांग्रेस डोरे डाल रही है। रसाल सिंह पहले चंबल में बागी भी रह चुके हैं। उम्रदराज होने के कारण भाजपा संभवत: उन्हें टिकट नहीं देगी। कांग्रेस ने मेहगांव सीट पर टिकट देने का ऑफर रसाल सिंह को भेजा है।
बूढे कांग्रेस नेता के अधिकार छीने!
पिछले सप्ताह इसी कॉलम में हमने एक बूढे कांग्रेस नेता की हरकतों के बारे में लिखा था। हमारे कॉलम की खबर का असर हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस बूढे नेता के पर काटना शुरु कर दिया है। मौखिक आदेश के जरिये उनके अधिकार सीमित कर दिये गये हैं। बूढे नेता को संकेत दे दिये गये हैं कि हरकतें बंद करें या पीसीसी से बोरिया बिस्तर समेट लें। बूढे नेता की हरकतों और पीसीसी के कामकाज पर नजर रखने के लिये कमलनाथ ने अपने विश्वसनीय लोगों की टीम लगा दी है जो कमलनाथ को पल पल की खबर देगी।
और अंत में….
मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान का चौथा कार्यकाल बिल्कुल अलग है। इस बार मुख्यमंत्री ने अपने चारों ओर अफसरों का घेरा लगभग हटा दिया है। सीएम ने अफसरों से दूरी भी बना रखी है। पहले कोई भी अफसर चाहें जब मुख्यमंत्री से मिलने उनके कार्यालय या निवास पर पहुंच जाते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है। अब काम के आधार पर अधिकारियों का मूल्यांकन हो रहा है। खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री निवास पर पांच सात अफसरों को छोड़कर सभी आईएएस,आईपीएस व अन्य अफसरों और रिटायर अफसरों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। जब तक मुख्यमंत्री मिलने का समय न दें, किसी भी अफसर की कार अब सीएम हाउस में प्रवेश नहीं कर सकती। मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ अफसरों के अलावा सिर्फ मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, एडीजी इंटेलीजेंस, जनसंपर्क के वरिष्ठ अधिकारी कभी भी सीएम हाऊस पहुंच सकते हैं।
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