बूढ़े कांग्रेस नेता की हरकतें
मप्र कांग्रेस के एक वयोवृद्ध कांग्रेस नेता की हरकतों की चर्चा भोपाल से दिल्ली तक चटकारे लेकर सुनी सुनाई जा रही हैं। नेता जी को संगठन की ओर से कुछ अधिकार क्या मिल गये हैं, वे इसका जमकर दुरूपयोग कर रहे हैं। चर्चा है कि यह नेताजी नये कार्यकर्ताओं से लाभ लेने की फिराक में रहते हैं। पुराने कार्यकर्ताओं को चिलम भरने (व्यक्तिगत काम कराने) का आदेश देते हैं। अब यह भी चर्चा है कि कुछ महिला कार्यकर्ताओं को अपने निवास पर भी बुलाने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तक यह खबर पहुंच गई है कि यदि इन नेता जी पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वे खुद तो किसी बड़ी आफत में उलझेंगे ही साथ ही पार्टी को भी नीचा दिखा सकते हैं।
मप्र में सिरदर्द बनेंगे कालीचरण!
महात्मा गांधी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले कालीचरण महाराज मप्र सरकार के लिये सिरदर्द बन सकते हैं। फिलहाल वे जेल में हैं। लेकिन जेल से छूटते ही उनका पहला कार्यक्रम ग्वालियर में उस स्थान पर आयोजित होना है, जहां महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रची गई थी, जहां नाथूराम गोडसे हत्या के पहले ठहरा था और जहां से गांधी जी की हत्या के लिये पिस्टल की व्यवस्था की गई थी। इस कार्यक्रम के जरिये हिन्दु महासभा गांधी जी की हत्या को सही ठहराने की कोशिश करना चाहती थी। 23 जनवरी सुभाषचंद्र बोस जयंती पर यह कार्यक्रम रखा गया है, लेकिन यदि 23 जनवरी तक कालीचरण महाराज जेल से नहीं छूटे तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा। कालीचरण महाराज का यह कार्यक्रम राज्य सरकार के लिये नई परेशानी पैदा कर सकता है।
विपक्ष के निशाने पर राज्यपाल
मप्र में राज्यपाल का पद विवादों से दूर रहा है। कभी कभी विपक्ष राज्यपाल पर सत्तारूढ पार्टी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाता था, लेकिन शायद पहली बार भोपाल में दिग्गज कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में राज्यपाल के खिलाफ खुलकर मुर्दाबाद के नारे लगाये गये। नेमावर हत्याकांड में न्याय मागने भोपाल पहुंचीं दलित परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य भारती कास्डे के साथ पूरी कांग्रेस राजभवन पहुंच गई। राज्यपाल ने मिलने का समय नहीं दिया तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह व सज्जनसिंह वर्मा की उपस्थिति में पहले तो राजभवन की दीवार पर ज्ञापन चस्पा किया फिर जमकर राज्यपाल मुर्दाबाद के नारे लगा दिये। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने भी भाजपा का टुपट्टा पहने राज्यपाल के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह बताने की कोशिश की कि मप्र के राज्यपाल अभी भी भाजपा के सदस्य हैं।
अफसरशाही या अपराधियों का गिरोह!
मप्र आईपीएस वाट्सऐप ग्रुप से रिटायर आईपीएस मैथिलीशरण गुप्ता को बाहर क्या किया, उनका गुस्सा सांतवे आसमान पर है। एक अखबार को दिये साक्षात्कार में गुप्ता ने अफसरों के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए यहां तक कह दिया है कि ‘ब्यूरोक्रेसी गैंग ऑफ क्रिमनल्सÓहै यानि अफसरशाही अपराधियों का गिरोह है। मप्र के डीजीपी बनने से वंचित रहे गुप्ता को उनकी कथित साम्प्रदायिक टिप्पणी के कारण वाट्सऐप ग्रुप से हटाया गया था। गुप्ता ने यहां तक कह दिया है कि अफसरशाही का मानस अपनी पोस्टिंग, प्रमोशन और लाभ से आगे नहीं है। इनके कारण राजनीति व प्रशासन में अक्षम्य पाप हुए हैं।
महाकाल मंदिर में दो खान, एक पर आपत्ति
इस सप्ताह उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन व पूजा करने दो खान (मुस्लिम) पहुंचे। दोनों ने पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ महाकाल की पूजा की व ध्यान भी लगाया, लेकिन उज्जैन सांसद ने एक खान के नंदीगृह में जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज करा दी है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और फिल्म अभिनेत्री सारा अली खान दोनों की आस्था महाकाल में है और दोनों ने भक्तिभाव से महाकाल के दर्शन किये। दोनों ने मंदिर प्रशासन से विधिवत अनुमति लेकर मंदिर के नंदीगृह में प्रवेश लिया था। सांसद अनिल फिरोजिया ने अभिनेत्री सारा अली खान को नंदीगृह में जाने की अनुमति देने पर मंदिर प्रशासन पर तीखा गुस्सा उतारा है। खास बात, यह है कि सारा अली खान की मां अमृता सिंह हिन्दु हैं और वह मां के साथ ही मंदिर पहुंची थीं।
आखिर सिंधिया ने नहीं दी बधाई
अब राजनीति में नेताओं को जन्मदिन की बधाई देना या न देना भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सबको पता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में गुना सीट से केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया था। सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद केपी यादव से रिश्ते सामान्य होने का दावा भी किया। लेकिन इस सप्ताह शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में शेरों को बसाने का श्रेय लेने सिंधिया और यादव के बीच होड दिखाई दी। संयोग से इसी सप्ताह केपी यादव का जन्मदिन भी था। उन्हें देश प्रदेश के सभी नेताओं ने बधाई दी। मीडिया की नजर इस बात पर लगी थी कि सिंधिया बधाई देते हैं या नहीं। देर रात तक गुना शिवपुरी के पत्रकार सिंधिया के ट्वीटर पर नजर गडाए रहे, लेकिन छोटे छोटे कार्यकर्ता को बधाई देने वाले सिंधिया ने केपी यादव को बधाई नहीं दी।
और अंत में….
मप्र लोकायुक्त के रिटायर महानिदेशक संजय राणा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप है कि लोकायुक्त पुलिस के महानिदेशक रहते संजय राणा ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में लोकायुक्त को भरोसे में लिये बिना खात्मे लगाकर कोर्ट में प्रस्तुत कर दिये। लोकायुक्त को इसकी भनक लगी तो उन्होंने यह सभी प्रकरण कोर्ट से वापस बुलाकर उनकी समीक्षा करने के आदेश दे दिये। चर्चा है की राणा के इशारे पर भोपाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने लोकायुक्त के आदेश पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। लोकायुक्त भी पीछे हटने तैयार नहीं थे, उन्होंने हाईकोर्ट से स्टे हटवाकर खात्मे वाले सभी प्रकरणों की समीक्षा करने के आदेश करवा लिये। अब लोकायुक्त संगठन में चर्चा है कि लोकायुक्त से सीधे टकराने वाले पूर्व आईपीएस संजय राणा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि जिन प्रकरणों में खात्मे लगाये गये हैं, उनमें लेनदेन के कथित आरोप भी लगते रहे हैं।
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