नेताजी की कुंडली
खबर थोड़ी चौंकाने वाली है। राज्य सरकार के निर्देश पर भू-अभिलेख विभाग भाजपा के एक दिग्गज नेताजी की जमीनी कुंडली तैयार करने में रात-दिन जुटा हुआ है। दरअसल नेताजी की नजर मप्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। पिछले कुछ माह से नेताजी प्रदेश के भाजपा विधायकों से कुछ ज्यादा ही संपर्क में हैं। बेहद साफ-सुथरी छवि के इन नेताजी पर बड़ी तादात में जमीनों का खेल करने के आरोप एक राज्यसभा सदस्य ने प्रमाणों के साथ लगाए थे। नेताजी के जमीन के खेल की शिकायतें ईओडब्ल्यू से लेकर हाईकोर्ट तक हुई हैं। कांग्रेस ने तो पहले ही नेताजी की कुंडली तैयार कर ली थी, लेकिन अब सरकारी स्तर पर जो जानकारी जुटाई जा रही है वह नेताजी पर भारी पड़ सकती है।
आबकारी में उठा पटक
प्रदेश के आबकारी महकमे में आजकल ज्यादा ही उठा पटक चल रही है। प्रमुख सचिव के आदेश पर इंदौर में पदस्थ नए आईएएस अधिकारी ने धार और खरगोन की शराब कंपनियों पर छापे तो मार दिए लेकिन इसके बाद प्रमुख सचिव कई लोगों के निशाने पर आ गई हैं। सरकार पर दबाव है कि रायसेन की सोम डिसलरी की अनियमितताओं को लेकर उसका लायसेंस निरस्त हो सकता है तो धार और खरगोन की डिसलरी में मिली अनियमितताओं को लेकर ऐसी ही कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती? प्रदेश की ताकतवर लॉबी धार और खरगोन की कार्रवाई पर लीपापोती करने के प्रयास कर रही है। इसी बीच प्रमुख सचिव अचानक लंबे अवकाश पर चली गईं थीं। ऐसी अटकलें हैं कि अब वे आबकारी विभाग में अधिक समय नहीं रहेंगी।
विधायकजी, आप रिश्वत लेते हो!
मुरैना में आजकल अवैध खनन को लेकर फायरिंग की घटनाएं खूब हो रही हैं। इसी बीच अम्बाह कस्बे में वन विभाग की गोली से एक ग्रामीण की मौत के बाद एक भाजपा विधायक सक्रिय हुए। हंगामे के बीच विधायक जोर-जोर से बोलकर आरोप लगा रहे थे कि जिले में अवैध उत्खनन के लिए पुलिस अधिकारी रिश्वत वसूलते हैं। इसी बीच कुछ ग्रामीण आगे आए और उन्होंने विधायक से कहा कि आप भी तो खनन कारोबारियों से रिश्वत लेते हो। यह सुनते ही विधायक बगलें झांकने लगे और वहां से खिसक गए।
पवैया और 18 जून
बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया के घर नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है। वैसे तो अधिकांश नेता उनके पिता के निधन पर शोक व्यक्त करने पहुंच रहे हैं। लेकिन चर्चा है कि नेताओं की यह आमद 18 जून तक जारी रहेगी। पवैया का 18 जून से गहरा वास्ता है। दरअसल पिछले लंबे समय से जयभान सिंह पवैया हर साल 18 जून को ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर मेले का आयोजन करके महारानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के लिए सिंधिया परिवार को जमकर कोसते हैं। ग्वालियर में आजकल सिंधिया बनाम नरेन्द्रसिंह तोमर समर्थकों की लड़ाई सड़कों पर दिखाई दे रही है। पिछले दिनों नरेन्द्र सिंह तोमर भी जयभानसिंह पवैया के घर पहुंचे तो इसे सिंधिया विरोध से जोड़कर देखा गया। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वयं अपने चिर विरोधी पवैया के घर हो आए हैं। देखना है कि इसके बाद पवैया 18 जून को क्या कार्यक्रम करते हैं?
दिग्गज पत्रकारों की मप्र पर नजर!
देश के अनेक पत्रकारों की मप्र में रूचि अचानक बढ़ गई है। प्रदेश से जुड़े कुछ वरिष्ठ पत्रकार एक बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म लेकर आ रहे हैं। इस महीने इस प्लेटफार्म की धमाकेदार शुरुआत होनी है। इस प्लेटफार्म के संपादक मंडल में देश के दिग्गज पत्रकार आलोक मेहता, वेदप्रकाश वैदिक, एनके सिंह, जगदीश उपासने, ऋचा अनिरुद्ध जैसे नाम चौंकाने वाले हैं। द सूत्र के नाम से आने वाले एक डिजिटल प्लेटफार्म का आगाज प्रदेश के तेज-तर्रार पत्रकार आनंद पाण्डे, हरीश दिवेकर, सुनील शुक्ला, चक्रेश महोबिया और अतुल तिवारी, विजय माडग़े कर रहे हैं। इस प्लेटफार्म की खासियत है कि यह सरकारी विज्ञापन नहीं लेंगे। अपना खर्चा क्राउड फंडिंग से निकालेंगे। देखना है कि लाखों की नौकरी छोड़कर यह नवाचार करने वाले कितने सफल होते हैं?
कक्कड़ का मानवीय चेहरा
प्रवीण कक्कड़ मप्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी के रूप में जाना माना और चर्चित चेहरा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस चर्चित चेहरे के पीछे एक मानवीय चेहरा भी छुपा हुआ है। लगभग 18 साल पहले प्रवीण कक्कड़ ने लगभग दो साल की अनाथ बच्ची को गोद लिया था। मानसिक रूप से कमजोर इस बच्ची को कक्कड़ ने सगी बेटी जैसा पाला है। पिछले दिनों 20 साल की होने पर कक्कड़ ने इंदौर में अपना एक फ्लेट इस बेटी को गिफ्ट किया। यही नहीं इस प्यारी सी बेटी को उन्होंने अपनी संपत्ति में अपने दोनों सगे बच्चों के साथ बराबरी का हिस्सा देने का फैसला किया है। कक्कड़ का कहना है कि मेरे लिए यह बिटिया भाग्यशाली साबित हुई है।
और अंत में…!
इस सप्ताह ज्योतिरादित्य सिंधिया का मप्र दौरा राजनैतिक क्षेत्र में जितना चर्चा का विषय रहा, उतने ही सवाल भी छोड़ गया। भोपाल में सिंधिया जितने नेताओं के घर गए सभी के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए, लेकिन शिवराज सिंह चौहान से उनकी मुलाकात का कोई भी फोटो न तो सिंधिया और न ही शिवराज सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। इसी तरह ग्वालियर में सिंधिया ने जयभान सिंह पवैया से मुलाकात का फोटो ट्वीट किया। लेकिन पवैया ने अपने सोशल मीडिया पर सिंधिया से मुलाकात का फोटो पोस्ट नहीं किया। यह भी चर्चा है कि सिंधिया अपने समर्थकों को निगम मंडलों में नियुक्त करने की जो सूची लाए थे फिलहाल मुख्यमंत्री ने उस पर खास तवज्जों नहीं दी है। तो क्या सिंधिया जी भोपाल से खाली हाथ लौटे हैं?
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved