आईएएस ने दिखाई आईपीएस को अपनी कुंडली
शिवराज सरकार में लंबे समय तक मलाईदार पद पर रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रिटायर होने के बाद आजकल कुंडली देखकर लोगों का भविष्य बताने और संवारने का काम करते हैं। कुछ माह पहले रिटायर हुए मुख्यसचिव स्तर के एक आईएएस अधिकारी दो दिन पहले अपनी जन्मपत्री लेकर आईपीएस के पास पहुंचे और इंदौर में नया व्यवसाय शुरू करने की संभावना के बारे में पूछा। मजेदार बात यह है कि इस आईएएस पर भी आरोप है कि उन्होंने शिवराज सरकार में जमकर माल कूटा है। अपनी अवैध कमाई को वैध करने वह व्यवसाय करना चाहते हैं। बताते हैं कि आईपीएस ने आईएएस को कुछ खास रत्नों की अंगूठी पहनने की सलाह दे दी है।
दो मंत्रियों में शीतयुद्ध
शिवराज मंत्रिमंडल के दो वरिष्ठ मंत्रियों के बीच लंबे समय से चल रहा शीतयुद्ध अब चरम पर पहुंचता दिख रहा है। दोनों मंत्री बुंदेलखंड के हैं। दोनों में वर्चस्व की लड़ाई है। मौजूदा सरकार में जुनियर मंत्री पावरफुल हैं, जबकि सीनियर मंत्री के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। पिछले दिनों सीनियर मंत्री के बेटे को घेरने की कोशिश की गई। अभी यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दूसरे विधानसभा की गैर भाजपा महिला विधायक ने सीनियर मंत्री के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। मजेदार बात यह है कि यह महिला विधायक जूनियर मंत्री को जीजाजी कहकर बुलाती है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि जुनियर मंत्री के इशारे पर ही महिला विधायक सीनियर मंत्री के खिलाफ ताल ठोक रही है।
बाल कांग्रेस के बहाने बेटे की लांचिंग
मप्र के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस विधायक आजकल बाल कांग्रेस के जरिये अपने बेटे की लांचिंग में लगे हुए हैं। इसी साल 14 नवम्बर बाल दिवस के मौके पर मप्र बाल कांग्रेस का गठन किया गया था। इसका अध्यक्ष बेशक इंदौर के लक्ष्य गुप्ता को बनाया गया है, लेकिन बाल कांग्रेस पर विधायक जी के योग्य बेटे का दबदबा है। मजेदार बात यह है कि दो दिन पहले भोपाल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायक अपने बेटे को लेकर पहुंच गये तो पार्टी के कई विधायकों की भृकुटी तन गईं। विधायक दल की बैठक में विधायक के बेटे की उपस्थिति के बारे में पूछा तो बताया गया कि वह बाल कांग्रेस के प्रभारी की हैसियत से बैठक में उपस्थित है, जबकि विधायक दल की बैठक में सिर्फ अध्यक्ष को आमंत्रित किया गया था।
तो पूर्व विधायक खुद का मुंह काला करेंगे!
इस सप्ताह कांग्रेस नेता, पूर्व विधायक फूलसिंह बरैया ने अजीब बयान दिया है। ग्वालियर संभाग में दलित समाज की राजनीति करने वाले बरैया ने शिवपुरी जिले के नरवर में कांग्रेस की एक सभा में घोषणा की कि मप्र में अगले विधानसभा चुनाव में यदि भाजपा को 50 से अधिक सीटें मिलीं तो वे स्वयं भोपाल के राजभवन के सामने अपने हाथ से अपना मुंह काला कर लेंगे। बरैया बसपा के प्रदेशाध्यक्ष और बसपा से एक बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस ने नवम्बर 2020 में उन्हें भांडेर से विधानसभा का उपचुनाव लड़ाया था, लेकिन वे मात्र 171 वोटों से हार गये थे। बरैया के बयान का भाजपा तो छोडि़ए कांग्रेस के नेता भी जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। बरैया का दावा है कि यह बात उन्होंने कांग्रेस संगठन को लिखित में भी दी है। जानकार इसमें बरैया की राजनीतिक चाल देख रहे हैं। इस बयान के आधार पर बरैया कहीं ग्वालियर चंबल संभाग में दलित सीटों पर मनमाफिक टिकट दिलवाने की फिराक में तो नहीं हैं?
15 लाख दो और गाली खाओ!
मप्र के संस्कृति विभाग में इस बात की पड़ताल की जा रही है कि शिवरात्रि के अवसर पर भोजपुर कवि सम्मेलन में कवि कुमार विश्वास को किसके कहने पर आमंत्रित किया गया था? बताते हैं कि कुमार विश्वास को लगभग 15 लाख दिये गये, बदले में उन्होंने मंच से सरकार को जमकर कोसा। जिस संस्कृति विभाग ने उन्हें आमंत्रित किया था, उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगा गये। पसंद का माईक न होने पर उन्होंने संस्कृति विभाग के माईक के टेंडर में गड़बड़ी की बात कही। विश्वास ने कह भी कहा कि वे सरकारी कार्यक्रम नहीं करते, क्योंकि सरकारों की औकात नहीं है सच सुनने की। कुछ माह पहले कुमार विश्वास सरकारी खर्चे पर दतिया आये थे, वहां उन्होंने कांग्रेस से भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया का जमकर मजाक उड़ाया था। मोदी और शाह को भी नहीं छोड़ा था। अब इस बात की तलाश हो रही है कि किसकी सलाह पर 15 लाख खर्च करके गालियां खाई जा रही हैं। एक शेर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है कि जिस थाली में खाओ उसी में छेद, लो लिफाफा दो गाली ना कोई खेद!
सिंधिया खेमे में उत्साह
मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में अचानक उत्साह दिखाई दे रहा है। चर्चा है कि अगले सौ दिन सिंधिया के लिये अहम है। अपनी कार्यशैली से ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक प्रधानमंत्री के चहेते मंत्रियों में शुमार हो गये हैं। प्रधानमंत्री ने सिंधिया को अपना दूत बनाकर यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने रोमानिया भेजा है। सिंधिया ने वहां जिस तरह प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ की उससे भी वे मोदी की नजर में आ गये हैं। सिंधिया खेमे में चर्चा है कि जल्दी ही सिंधिया को मप्र में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। यह भी चर्चा है कि सिंधिया जल्दी ही भोपाल के बंगले में शिफ्ट होने वाले हैं। अब अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वे दिल्ली की बजाय मप्र में सक्रिय रहेंगे।
और अंत में…
क्या आपको पता है कि मप्र कांग्रेस पार्टी को पदाधिकारी नहीं, बल्कि अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा बनाया गया लगभग एक दर्जन लोगों का कोर ग्रुप चला रहा है। कमलनाथ के भोपाल आते ही इस कोर ग्रुप के 12 सदस्य भी भोपाल पहुंच जाते हैं और बैठकों के दौर शुरू हो जाते हैं। कांग्रेस के सभी अहम फैसले इस कोर ग्रुप की बैठक में होते हैं। कोर ग्रुप में शामिल दो नेता संगठन को मजबूत बनाने के बजाय पार्टी के उन नेताओं के खिलाफ माहौल बनाते हैं जो कोर ग्रुप के सदस्य नहीं हैं। इन दो नेताओं को लेकर अब कोर ग्रुप में खुसर पुसर शुरू हो गई है। कमलनाथ पर दबाव है कि वे इन दो नेताओं को कोर ग्रुप से बाहर करें या इनकी सलाह को नजरअंदाज करें, वर्ना पार्टी का बड़ा नुकसान हो सकता है।
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