मप्र में प्रमुख सचिव स्तर के एक आईएएस बहुत ही गजब के हैं। कुछ लोग इन्हें दया का पात्र भी बताते हैं। अपने भारी भरकम वजन और तीखे स्वभाव के कारण इनकी किसी से पटरी नहीं बैठती। इन्होंने तीन शादियां कीं, लेकिन एक भी नहीं टिकी। कोई किसी के साथ भाग गई तो कोई इन्हें छोड़कर चली गई। विभागीय मंत्री इनसे बात करना पसंद नहीं करते। प्रदेश के अन्य आईएएस भी इनसे दूरी बनाये रहते हैं। इनके स्वभाव को लेकर विभागीय अधिकारी भी बहुत दुखी रहते हैं। अपने अधिनस्थों को जो काम सौंपते हैं, वह खुद ही भूल जाते हैं और अधिनस्थों के साथ बेवजह डांट फटकार करने लगते हैं। केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर गये, लेकिन वहां से लौटा दिए गये। फिलहाल मंत्रालय के एक कक्ष में बैठते हैं। अपने कक्ष में ही कभी कचौडी समोसे तो कभी चाट पकोडे मंगाकर अपना पेट भर लेते हैं।
बहन को सभापति बनाना मंत्री जी को पड़ सकता है मंहगा!
यह खबर कितनी सच है हमें नहीं पता, लेकिन उज्जैन से भोपाल तक चर्चा है कि सत्ता व संगठन पर दबाव बनाकर अपनी बहन को उज्जैन नगर निगम का सभापति बनवाना उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को मंहगा पड़ सकता है। उज्जैन में पहले ही पार्टी के अंदर कुछ लोग उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे, अब भोपाल में भी उनके विरोधी सक्रिय बताए जा रहे हैं। चर्चा है कि सत्ता व संगठन ने उज्जैन नगर निगम सभापति के लिए कोई दूसरा नाम तय कर लिया था। इसकी भनक लगते ही मोहन यादव ने दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी और छह बार से पार्षद अपनी सगी बड़ी बहन कलावती यादव का नाम सभापति के लिए तय करा लिया। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बहन के जरिए मंत्री जी ने नगर निगम पर कब्जा कर लिया है। भोपाल से संकेत मिल रहे हैं कि मंत्री जी को यह भारी पड़ सकता है। उज्जैन का मास्टर प्लान मंत्री जी की इच्छा के विरुद्ध बनाने के निर्देश व संकेत हो चुके हैं। आगे आगे देखिये होता है क्या?
आईपीएस अफसर पर एफआईआर की तैयारी!
झाबुआ से हटाए गए पुलिस अधीक्षक अरविन्द तिवारी पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज हो सकती है! जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) इसकी तैयारी कर रहा है। राज्य सरकार ने आदिवासी छात्र से गाली गलौज करने के आरोप में आईपीएस तिवारी को निलंबित कर दिया है। निलम्बन का आदेश ही एफआईआर का आधार बनने जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान भी एफआईआर का आधार है जिसमें सीएम स्वीकार कर रहे हैं कि गाली गलौज का वायरल ऑडियो की जांच कराई वह अरविन्द तिवारी का ही है। ऑडियो बेहद आपत्तिजनक है। ऑडियो में जिस तरह एसपी छात्र को कुत्ता संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम्हारी औकात ही क्या ही क्या है? यह शब्द एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर के लिए पर्याप्त बताए जा रहे हैं। वैसे अरविन्द तिवारी पुलिस महकमे के शानदार अफसर रहे हैं। एसपी के रूप में झाबुआ में उनकी पहली पोस्टिंग थी। मात्र 122 दिन में वे निपट गए। महकमे में चर्चा है कि झाबुआ में सूर्य अस्त होते ही पंडित जी मस्त होने के मूड में आ जाते थे। यही उन्हें भारी पड़ गया।
वाह कृषि मंत्री जी वाह
मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल अपने ही सवाल में ऐसे उलझे हैं कि जबाव देते नहीं बन रहा। कमल पटेल ने भाजपा के विधायक के रूप में जुलाई 2019 एवं दिसम्बर 2019 के विधानसभा सत्र में जय किसान ऋण माफी को लेकर तीखा सवाल पूछकर तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर हमला करने का प्रयास किया था। तत्कालीन कृषि मंत्री सचिन यादव ने पटेल के सवाल के जबाव में लिखा कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। कुछ दिन बाद स्वयं कमल पटेल मप्र के कृषि मंत्री बन गये। लगभग ढाई वर्ष बाद भी स्वयं कमल पटेल विधानसभा में अपने ही सवाल का जबाव नहीं दे पा रहे हैं। इस सप्ताह भी विधानसभा में अपूर्ण प्रश्नों के उत्तर में कमल पटेल ने अपने सवाल के जबाव में रटारटाया जबाव लिखा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। यानि विभाग के मंत्री बनने के बाद भी कमल पटेल ढाई वर्ष में अपने ही सवाल का जबाव तैयार नहीं करा पाए हैं या विवादों से बचने जबाव देना ही नहीं चाहते।
सिक्किम केडर के आईएएस बंगला खाली करने तैयार नहीं
मप्र के रहने वाले जितेन्द्र सिंह राजे का चयन आईएएस में हुआ तो उन्हें सिक्किम केडर मिला। मप्र सरकार ने उनके आवेदन पर रहम कर उन्हें कुछ समय के लिए प्रतिनियुक्ति पर मप्र में ले लिया। उन्हें नीमच में कलेक्टर भी बनाया गया, लेकिन प्रशासनिक अक्षमता के चलते मुख्यमंत्री ने उन्हें कलेक्टरी से हटाकर लूप लाईन भेज दिया था। राजे केन्द्र से लेकर राज्य तक सिफारिश लगवाकर मप्र में लगातार अपना कार्यकाल बढ़वाते रहे। इसी वर्ष मई में उन्हें सिक्किम के लिए रिलीव कर दिया गया। उनका भोपाल स्थित सरकारी बंगला एक अधिकारी को अलाॅट कर दिया गया। लंबे समय तक सिफारिश से नौकरी करने वाले आईएएस राजे ने भोपाल का बंगला खाली न करने की भी सिफारिश लगा दी है। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया ने उन्हें दो महीने बंगला खाली न करने की सुविधा दे दी है।
केन्द्रीय मंत्री ने एसपी की पीठ थपथपाई!
एक केन्द्रीय मंत्री ने अशोकनगर पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदौरिया को वेलडन कहते हुए उनकी पीठ थपथपाई है। दरअसल इस सप्ताह पुलिस अधीक्षक ने अशोकनगर भाजपा के ही जिला पंचायत अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को तीखा जबाव देकर उन्हें उनकी औकात दिखा दी है। केन्द्रीय मंत्री को एसपी का यह रूख इतना अच्छा लगा कि अब वे इस एसपी को अपने प्रभाव के बड़े जिले में तैनात कराना चाहते हैं। दरअसल जगन्नाथ सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अशोकनगर में नेताओं व अफसरों के संरक्षण में जुआ सट्टा चलने के आरोप लगाए थे। जबाव में एसपी ने आरोप लगाया कि जिले में पुलिस कर्मियों की मनमाफिक पोस्टिंग न होने के कारण ऐसे आरोप लग रहे हैं। चर्चा है कि जगन्नाथ सिंह की रिश्ते की भतीजी बहू इसी जिले में इंस्पेक्टर है और जगन्नाथ सिंह उसे मलाईदार थाना दिलाना चाहते हैं। एसपी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। बहरहाल एसपी भदौरिया की अशोकनगर से भोपाल तक तारीफ हो रही है।
और अंत में…!
मप्र कांग्रेस में चर्चा है कि अरूणोदय चौबे के बाद क्या पूर्व विधायक हेमंत कटारे भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं? कटारे की नाराजगी की खबरें तो बहुत दिन से आ रही थीं, लेकिन जिस तरह उन्होंने सोशल मीडिया पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मप्र कांग्रेस प्रदेश प्रतिनिधि बैठक का बहिष्कार किया, उससे यह संदेश जा रहा है कि कटारे का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। ग्वालियर चंबल संभाग में यह भी चर्चा है कि कटारे ग्वालियर महल के संपर्क में हैं। वे मेहगांव सीट से भाजपा की ओर से उम्मीदवार हो सकते हैं। खास बात यह है कि कटारे के अटेर क्षेत्र में भाजपा जनपद अध्यक्ष बनने पर कटारे ने फेसबुक के जरिए खुशी जाहिर करते हुए उन्हें बधाई भी दी थी। वैसे भी इस सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने घोषणा कर दी है कि जो भी कांग्रेस छोड़कर जाना चाहे जा सकते हैं।