ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया बोर्ड के सदस्य अजय दुबे ने मप्र के मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्ला के खिलाफ अनेक गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें पद से बर्खास्त करने के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को पत्र भी लिखे गये हैं। आरोप है कि मुख्य सूचना आयुक्त ने पद का दुरूपयोग कर अपने बेटे की बारात भोपाल से इंदौर ले जाने के लिए पुलिस से जबरन फॉलोगार्ड लिया। जबकि उन्हें फॉलोगार्ड की पात्रता नहीं दी गई है। इसके अलावा नियम विरुद्ध तरीके से अपनी सुरक्षा में दो पुलिस जवान तैनात कराए। इन पुलिस जवानों को वर्दी में सुनवाई के दौरान अपनी कोर्ट में खड़ा रखते हैं। भोपाल पुलिस ने दोनों जवान वापस करने को लिखा तो अभी तक नहीं लौटाए हैं। नियमानुसार इन जवानों का वेतन उनकी तनख्वाह से काटा जाना चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि शुक्ला की रूचि आयोग में लंबित प्रकरणों के निपटारे से ज्यादा सरकारी सुविधाएं लेने पर रहती है। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर स्वयं को मप्र प्रोटोकॉल की सूची में 22 नम्बर के बजाय 12 नम्बर पर करने की गुहार भी लगाई है।
क्या वाकई सिंधिया को लगा शॉक!
क्या वाकई केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस खबर से शॉक लगा है कि उनके सबसे चहेते आईपीएस मुकेश जैन को उनसे पूछे बिना परिवहन आयुक्त की कुर्सी से हटा दिया गया है। मुखबिर का कहना है कि मुकेश जैन ने स्वयं सिंधिया को फोन पर बताया कि वे परिवहन की जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं तो सिंधिया हैरान रह गये। सभी को पता है कि जैन की परिवहन मंत्री गोविन्द राजपूत से पटरी नहीं बैठ रही थी। राज्य सरकार ने जैन को परिवहन से हटाने के बाद फिलहाल कोई काम नहीं सौंपा है। चर्चा है कि यदि पुलिस महकमे में सम्मानजनक काम नहीं मिला तो मुकेश जैन को ज्योतिरादित्य सिंधिया इस्पात मंत्रालय में महत्वपूर्ण पद पर दिल्ली ले जा सकते हैं।
पीसीसी में किस्सा कुर्सी का
मप्र कांग्रेस कार्यालय में कई नेता ऐसे हैं जो अपनी कुर्सी खुद लेकर आते हैं, लेकिन पद से हटते समय कुर्सी यही छोड़कर जाना पड़ता है। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी मीडिया विभाग के अध्यक्ष बनाये गये तो उन्होंने अपनी जेब से लगभग 10 लाख रूपये खर्च कर अपना कक्ष तैयार कराया था। अपने लिए नई कुर्सी टेबल भी खरीदी। कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा भी एक मंहगी कुर्सी अपने लिए खरीदकर लाए थे। उन्होंने इस्तीफा दिया तो कुर्सी छोड़ गये। उनकी कुर्सी पर मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने कब्जा जमा लिया। सलूजा फिर से उपाध्यक्ष बनकर वापस लौटे तो उन्होंने बताया कि संगीता वाली कुर्सी उनकी खरीदी हुई है। संगीता ने सलूजा की कुर्सी तो लौटा दी, लेकिन वैसी ही मंहगी कुर्सी खरीदकर ले लाई हैं। पीसीसी में बैठना है तो कुर्सी घर से लेकर आओ। इस मामले में मीडिया विभाग के नये अध्यक्ष केके मिश्रा फायदे में हैं। जीतू पटवारी उनके लिए शानदार कुर्सी जो छोड़ गये हैं।
रिवाल्वर वाली महिला पत्रकार
राजधानी की एक महिला पत्रकार ने कुछ दिन पहले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से गुहार लगाकर रिवाल्वर का लायसेंस बनवाया और अब रिवाल्वर भी खरीद ली है। चर्चा है कि यह महिला पत्रकार अपने पर्स में रिवाल्वर रखने लगी हैं। आखिर महिला पत्रकार को अचानक रिवाल्वर की जरूरत क्यों पड़ी? तहकीकात करने पर पता चला कि इन महिला पत्रकार का उस अखबार मालिक से तीखा विवाद चल रहा है जिसके अखबार में वह काम करती थीं। अखबार मालिक और महिला पत्रकार ने एक दूसरे के खिलाफ भोपाल के अलग अलग थानों में एफआईआर भी कराई थी। मजेदार बात यह है कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के संबंध अखबार मालिक और महिला पत्रकार दोनों से ही ठीकठाक हैं।
क्या बीपी सिंह से इस्तीफा मांगेगी सरकार!
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव अगले कुछ दिन में निपट जाएंगे, लेकिन सबकी नजर राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह के भविष्य पर टिक गई हैं। सिंह को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यसचिव बनाया था। कमलनाथ ने रिटायरमेंट के बाद उन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त बना दिया। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में कम मतदान के लिए भाजपा बीपी सिंह को जिम्मेदार ठहरा रही है। प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने राज्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ खुलकर बयान भी दिए हैं। तय माना जा रहा है कि चुनाव के बाद राज्य सरकार संदेशवाहक भेजकर बीपी सिंह से इस्तीफा मांग सकती है। जैसे रैरा के चेयरमेन एंटोनी डिसा से मांगा गया था। यदि सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया तो सरकार उन पर दबाव बनाने दूसरे तरीके खोजेगी?
आशीष सिंह इंदौर कलेक्टरी के दावेदार!
नगरीय निकाय चुनाव के बाद उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का कद बढ़ गया है। मंत्रालय में चर्चा है कि आशीष सिंह इंदौर के अगले कलेक्टर हो सकते हैं। इंदौर के मौजूदा कलेक्टर मनीष को लगभग ढाई साल हो चुके हैं। अगले साल चुनाव से पहले उनका हटना तय है। आशीष सिंह ने जिस तरह इंदौर नगर निगम आयुक्त और उज्जैन कलेक्टर के रूप में शानदार काम किया है, उससे वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पसंदीदा अफसरों में शुमार हो गये हैं। इंदौर में जब भी कलेक्टर बदलेगा, आशीष सिंह सबसे प्रबल दावेदार होंगे। मंत्रालय में यह भी चर्चा है कि वरिष्ठ आईएएस के तबादलों की एक सूची तैयार है। इस पर सीएम के हस्ताक्षर भी हो गये हैं। 20 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण के परिणाम के बाद यह सूची जारी हो सकती है।
और अंत में….
यह मामला बहुत गंभीर है। पुलिस मुख्यालय को इसकी जांच करना चाहिए। इस सप्ताह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भोपाल आए थे। होटल अशोक लेक व्यू में कांग्रेस विधायकों की बैठक के बाद सिन्हा की पत्रकारवार्ता आयोजित की गई थी। पुलिस मुख्यालय ने यहां सुरक्षा की दृष्टि से लगभग 100 पुलिस कर्मचारी तैनात किये थे। इनमें कुछ सादे कपड़ों में थे। समारोह स्थल पर पत्रकारों के भोज की व्यवस्था की गई थी। सिन्हा की सुरक्षा में तैनात पुलिस वालों की नजर सुरक्षा की बजाय खाने पर लगी थी। पत्रकार जब तक सिन्हा से चर्चा कर बाहर आते उसके पहले ही सुरक्षाकर्मी वहां लगे खाने पर टूट पड़े। देखते देखते वे आधे से ज्यादा भोजन चट कर गये। लगभग आधे पत्रकारों को भूखे लौटना पड़ा। मामला पत्रकारों के भूखे रहने का नहीं, व्हीआईपी की सुरक्षा में खामी का है।
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