उज्जैन। श्रावण के दूसरे सोमवार को महाकाल में उमड़ी श्रद्धालुओं कीभीड़ और उस दौरान बेरिकेड्स और शेड गिर जाने से मची अफरा-तफरी ने जहां एक ओर मंदिर समिति के इंतजामों पर सवालिया निशान लगा दिया है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी उजागर की है।
कोरोना के कारण लगातार दो साल भगवान महाकाल के दर्शन से वंचित रहे श्रद्धालु इस बार श्रावण महिना शुरू होते ही बड़ी संख्या में उज्जैन पहुंचने लगे हैं। श्रावण के पहले सोमवार की तरह ही कल दूसरी सवारी से पहले महाकाल दर्शन के लिए महाकाल क्षेत्र में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। निर्माण कार्यों के चलते मंदिर समिति ने पूरे श्रावण महीने में श्रद्धालुओं की दर्शन हेतु प्रवेश व्यवस्था चारधाम मंदिर के सामने से की है। यह व्यवस्था बनाते वक्त शायद इस बार मंदिर समिति और पुलिस प्रशासन भीड़ प्रबंधन का ठीक से अंदाजा नहीं लगा पाया।
यही कारण है कि कल सुबह से ही चारधाम मंदिर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ कंट्रोल नहीं हो पाई और यहां लगे बेरिकेड्स में भीड़ का दबाव कई गुना बढ़ गया। जिसके कारण बेरिकेड्स के अंदर कतार में लगे गुना के श्रद्धालु प्रीतम मीणा और गजेन्द्र सिंह भीड़ में दबकर बेहोश हो गए। इधर बढ़ती भीड़ के बीच बेरिकेड्स के ऊपर लगे टीन शेड भी गिर गया जिससे यहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी। भीड़ का दबाव सुरक्षा इंतजामों से कहीं अधिक हो गया था। इसके कारण यहां तैनात सुरक्षा कर्मी भी इसे संभाल नहीं पाए थे। दूसरी बड़ी लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की सामने आई। श्रद्धालु जब दबकर बेहोश हुए तो उस समय सुबह 6 बजे तक चारधाम क्षेत्र में न तो स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस मौजूद थी और न ही कोई डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी। यही कारण था कि मजबूरी में बेहोश हुए लोगों के परिजनों को उन्हें ऑटो के जरिए अस्पताल पहुंचाना पड़ा। जबकि नियमानुसार हर बार स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष पर्वों पर महाकाल मंदिर परिसर तथा हरसिद्धि से चारधाम मंदिर मार्ग के बीच एक-एक एंबुलेंस तथा स्वास्थ्य कर्मियों की टीम तैनात की जाती है। इस बार इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
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