उज्जैन। शासन के निर्देश हैं कि कोरोना पॉजीटिव वे मरीज, जिनके घर में अलग से कक्ष और लेट-बाथ की व्यवस्था हो, को उनकी इच्छा से होम क्वारंटाईन किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को प्रतिदिन कोविड कंट्रोल सेंटर से फोन किया जाता है। सुबह एवं शाम को ऑक्सीजन का लेवल तथा पल्स भी पूछी जाती है। यह काम तो हो गया प्रशासन स्तर का, लेकिन जिले का स्वास्थ्य अमला होम क्वारंटाईन मरीजों को लेकर लापरवाह नजर आ रहा है। यही कारण है कि मानीटरिंग के लिए अब कलेक्टर आशीषसिंह प्रतिदिन होम क्वारंटाईन मरीजों के घर पहुंच रहे हैं और उनसे चर्चा कर रहे हैं,उ नकी समस्या पूछ रहे हैं।
कोरोना जांच की रिपोर्ट आने के बाद रैपिड रिस्पांस टीम को मरीज बांट दिए जाते हैं। टीम के सदस्य झोन अनुसार अपने क्षेत्रों में आए मरीजों के घर पहुंचकर उनसे चर्चा करते हैं। जिसके घर पर आइसोलेशन की सुविधा नहीं है, उसे एसिम्प्टोमेटिक होने पर पीटीएस भेजा जाता है वहीं सिम्प्टोमेटिक होने पर शा.माधवनगर भेजा जाता है। जो सिम्प्टोमेटिक मरीज बगैर किसी लक्षण के मिलते हैं तथा आग्रह करते हैं कि उनके यहां अलग से कमरा एवं लेट-बाथ है, तो उनकी मर्जी अनुसार उन्हे होम आयसोलेट कर दिया जाता है। शर्त यह रहती है कि वे नियमों का पालन करें। घर से बाहर न निकले आदि।
रैपिड रिस्पासं टीम से हटकर सीएमएचओ कार्यालय के पास यह जिम्मेदारी है कि वे मरीजों का समग्र ध्यान रखे और मानीटरिंग करे। भले ही वह हॉस्पिटल में भर्ती हो, पीटीएस में हो या फिर अपने घर पर आयसोलेट हो। सीएमचओ कार्यालय इस भूमिको को नहीं निभा पा रहा है।
सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल ने रैपिड रिस्पांस टीम के डॉ.प्रवेश शर्मा को शा.माधवनगर में स्थानांतरित कर दिया है। उनकी जगह यहां पदस्थ एक डॉक्टर को रैपिड रिस्पांस टीम में डाल दिया गया है। इस बात को लेकर टीम में खासी हलचल है। यह आरोप लग रहे हैं कि जिस अधिकारी के खिलाफ प्रशासन को सबूत मिल गए, उसका कुछ नहीं किया। जिसने कुछ भी नहीं किया,उसे हटा दिया गया।