शहनाज़ हुसैन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ हैं। मार्च में केन्द्र सरकार ने जब लॉकडाउन किया तो महानगर में लोगों ने नीला आसमान देखा, हवा एकदम साफ हो गई, प्रदूषण गायब हो गया। मैदानी इलाकों से हिमालय पर्वत दिखाई देने लगा। सोशल मीडिया नदियों में बहते स्वच्छ जल, साफ वातावरण, नीले आसमान और प्रकृति के विभिन्न रूपों के फोटो/वीडियो से भर गया। शहरों की साफ आबोहवा और स्वास्थ्य पर इसके सकारात्मक प्रभावों की चर्चा चलती रही। लॉकडाउन में भारतीय शहरों में प्रदूषण की दर रिकॉर्ड 80 प्रतिशत तक गिर गई। अब सरकार ने सभी गतिविधियों को खोलना शुरू कर दिया है। अनलॉक 5 की गाइडलाइन्स जारी होने के बाद एक ओर जहाँ स्वागत हो रहा है तो दूसरी ओर अनलॉक प्रक्रिया के पूरे होने पर फैक्ट्रियों, दफ्तर, सड़क, रेल, हवाई यातायात आदि सामान्य रूप से चलने से वायु प्रदूषण में इजाफा रिकॉर्ड किया जा रहा है।
देश के अधिकतर शहरों के आसमान में धुएं, धूल, एसिड से भरी जहरीली हवा की परत बार-बार खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है। शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण से फेफड़ों के रोगों के अलावा समय से पहले बुढ़ापा, पिगमेंटेशन, त्वचा के छिद्रों में ब्लॉकेज आदि अनेक सौन्दर्य समस्यायें भी खड़ी होती हैं। ज्यादातर भारतीय शहरों में वाहनों, एयर कण्डीशन, धूल, धुएं आदि से आसमान में बनने वाली जहरीली धुंध की चादर से माइक्रोस्कोपिक केमिकल्स की एक परत बन जाती है। इसके कण हमारे छिद्रों के मुकाबले 20 गुणा ज्यादा पतले होते हैं जिसकी वजह से वे हमारी त्वचा से हमारे छिद्रों में प्रवेश कर त्वचा की नमी खत्म कर देते हैं। इससे त्वचा में लालिमा, सूजन, काले दाग, त्वचा में लचीलेपन में कमी आ जाती है। त्वचा निर्जीव, शुष्क, कमजोर एवं बुझी-बुझी हो जाती है। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण त्वचा तथा खोपड़ी के सामान्य सन्तुलन को बिगाड़ देते हैं। इससे त्वचा में रूखापन, संवेदनहीनता, लाल चकत्ते, मुहांसे, खुजली एवं अन्य प्रकार की एलर्जी व बालों में रूसी आदि की समस्यायें उभर सकती हैं।
अगर आप शहरों में रहते हैं तो प्रदूषण से कभी छुटकारा नहीं पा सकते। लेकिन अच्छी बात ये है कि आप प्रदूषण से सौन्दर्य को होने वाले नुकसान को काम जरूर कर सकते हैं। आयुर्वेदिक घरेलू उपचार तथा प्राचीन औषधीय पौधों की मदद से प्रदूषण के सौंदर्य पर पढ़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह रोका जा सकता है। सौन्दर्य को सामान्य रूप से निखरा रह सकता है।
वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक असर त्वचा पर पड़ता है क्योंकि प्रदूषण के विषैले तत्व त्वचा पर सीधा प्रहार करके त्वचा में विषैले पदार्थो का जमाव कर देते हैं। वास्तव में यह विषैले पदार्थ त्वचा में खुजली के प्रभावकारी कारक होते हैं। वायु में विद्यमान विषैले पदार्थों का सौंदर्य पर दीर्घकालीन तथा अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण वातावरण में आक्सीजन को कम कर देते हैं जिससे त्वचा में समय से पूर्व झुर्रियां दिखने शुरू हो जाते हैं। त्वचा पर जमी मैल, गन्दगी तथा रसायनिक तत्वों से छुटकारा प्रदान करने के लिए त्वचा की सफाई अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि आपकी त्वचा शुष्क है तो आपको क्लीजिंग क्रीम तथा जैल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेशवाश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चन्दन, यूकेलिप्टस, पुदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी जैसे पदार्थों का उपयोग कीजिए। इन पदार्थो में विषैले तत्वों से लड़ने की क्षमता तथा बलवर्धक गुणों की वजह से त्वचा में विषैले पदार्थों के जमाव तथा फोडे़-फुन्सियों को साफ करने में मदद मिलती है।
वायु प्रदूषण खोपड़ी पर भी जमा हो जाते हैं। एक चम्मच सिरका तथा घृतकुमारी में एक अण्डे को मिलाकर मिश्रण बना लीजिए तथा मिश्रण को हल्के-2 खोपड़ी पर लगा लीजिए। इस मिश्रण को खोपड़ी पर आधा घण्टा तक लगा रहने के बाद खोपड़ी को ताजे एवं साफ पानी से धो डालिए। आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थिरैपी भी दे सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगा लीजिए। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोइए तथा तौलिए से गर्म पानी निचोड़ने के बाद तौलिए को सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांधकर पांच मिनट तक रहने दीजिए। इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराइए। इससे बालों तथा खोपड़ी पर तेल को सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दें तथा सुबह ताजे ठण्डे पानी से धो डालिए।
प्रदूषण से लड़ने में पानी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आप ताजा, स्वच्छ जल का अधिकतम उपयोग कीजिये क्योंकि पानी शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकलने तथा कोशिकाओं को पौष्टिक पदार्थों को बनाये रखने में मदद करता है। प्रदूषण की वजह से त्वचा को हुए नुकसान की भरपाई पानी से आसानी से की जा सकती है। ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6 फैटी एसिड्स त्वचा को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। फैटी एसिड्स त्वचा में आयल शील्ड बना देते हैं, जिससे त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्राप्त होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड्स बर्फीले पहाड़ों की नदियों में पाए जाने वाली मछली, अखरोट, राजमा तथा पालक में प्रचूर मात्रा में मिलता है जबकि ओमेगा 6 चिकन, मीट, खाद्य तेलों, अनाज तथा खाद्य बीजों में पाया जाता है।
वायु में प्रदूषण तथा गन्दगी से आंखों में जलन तथा लालिमा आ सकती है। आंखों को ताजे पानी से बार-2 धोना चाहिए। काटनवूल पैड को ठण्डे गुलाब जल या ग्रीन-टी में डुबोइए। इसे आंखों में आई पैड की तरह प्रयोग कीजिए। आंखों में आई पैड लगाने के बाद जमीन में गद्दे पर 15 मिनट तक आराम में शवासन की मुद्रा में लेट जाइए। इससे आंखों में थकान मिटाने में मदद मिलती है।
वायु में प्रदूषण के कारण सांस तथा फेफड़ों की बीमारी सामान्य बन गई है। घर के अंदर प्रदूषित हवा से सिरदर्द, आखों में जलन जैसी बीमारियां हो सकती है। वास्तव में सरकारी तथा वैज्ञानिक संगठनों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान में विद्यमान प्रदूषण के उच्च स्तर को सामान्य स्तर तक लाना है जिसे हम कुछ औषधीय पौधों को मदद से प्राप्त कर सकते है। इन पौधों में एलोवेरा सबसे लाभदायक माना जाता है जो कि सामान्यतः सभी भारतीय घरों में आसानी से देखा जा सकता है। यह घरों में आक्सीजन के प्रवाह को तेज करता है तथा प्रदूषण के प्रभाव को कम करता है। यह कार्बनडायक्साईड तथा कार्बन मोनोआक्साइड को सोखकर आक्सीजन को वातावरण में छोड़ता है।
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