वल्र्ड हेड इंज्यूरी अवेयरनेस डे आज
सिर्फ एम.वाय. में 2200 मामले पहुंचे, जिसमें से 600 गंभीर
इन्दौर। चौड़ी सडक़ें और उन पर दौड़ते हाईस्पीड वाहन (High Speed Vehical) के चलते इंदौर में हर साल पांच हजार से अधिक मरीज रोड एक्सीडेंट में हेड इंज्यूरी के मामले आ रहे हैं। सिर्फ एम.वाय. में पिछले वर्ष 2200 मामले दर्ज हुए। इसमें से 600 गंभीर सिर की चोट से ग्रस्त होकर पहुंचे।
इंदौर शहर तेजी से विकास कर रहा है और इस विकास की कीमत शहरवासियों को अपना सिर फुड़वाकर भुगतना पड़ रही है। चौड़ी सडक़ों पर हाईस्पीड वाहनों के चलते 2000 से अधिक के हाथ-पैर टूटे तो हजारों की तादाद में सिर फुटने के मामले भी सामने आए। अकेले एम.वाय. अस्पताल में 600 गंभीर हेड इंज्यूरी का इलाज किया गया है। बढ़ती आबादी और बढ़ते वाहनों की संख्या के चलते शहर में सडक़ों की चौड़ाई बढ़ रही है। दो लेन की जगह चार, छह और आठ लेन की चमचमाती सडक़ें बनाई जा रही हैं, वहीं लोग इन सडक़ों पर अनियंत्रित स्पीड से वाहन चलाने के आदी हो रहे हैं, जिसके बाद एक्सीडेंट की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पिछले वर्ष 2200 मामले सिर्फ एम.वाय. अस्पताल व सुपर स्पेशलिटी में ही सामने आए हैं। यदि बाम्बे हास्पिटल, मेदांता, अरविंदो सहित अन्य निजी अस्पतालों के आंकड़े भी इसमें जोड़े जाए तो यह आंकड़ा पांच हजार के पार पहुंचता है।
भारत में सिर पर चोट लगने से डेढ़ लाख लोगों की मौत
सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा एक्सीडेंट के मामलों में मौत, विकलांगता, कोमा में जाने जैसे मामले हेड इंज्यूरी के कारण ही होते हैं। पूरे भारत के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो डेढ़ लाख लोगों की मौत सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण हो रही है। सबसे ज्यादा मामले हेलमेट नहीं पहनने और अनियंत्रित स्पीड से वाहन चलाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त लोगों के आते हैं। सडक़ हादसों को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार इंदौर इन मामलों में भी दूसरे नम्बर पर अपनी जगह बनाए हुए है। इंदौर में हर साल सडक़ हादसों में पांच सौ से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
हेलमेट की अनिवार्यता की सारी कोशिशें बेकार… जान गंवाना मंजूर
ट्रैफिक विभाग और पुलिस द्वारा सख्ती के बावजूद भी आम लोगों में हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर जागरूकता नहीं आ रही है। जान गंवाना मंजूर है, लेकिन सख्ती के बावजूद भी दिखावे के लिए ही हेलमेट का प्रयोग किया जा रहा है। पुलिस को देखते ही हेलमेट पहन लिए जाते हैं, लेकिन बायपास और हाईवे जैसी सडक़ों पर वाहन चालक बेखौफ तेजी से अनियंत्रित स्पीड के साथ वाहन चलाते नजर आते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार भी जाते हैं।
नियमों की नाफरमानी चोट का कारण
सडक़ दुर्घटना, अत्यधिक गति से वाहन चलाने, बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चलाने, अमानक स्पीड ब्रेकर, सिग्नलों का पालन नहीं करने और युवाओं द्वारा पहले निकलने की होड़ के चलते कई तरह की दुर्घटना के मामले सामने आते हैं, जिसमें नियमों की नाफरमानी चोट का कारण बनती है। एक की गलती दो वाहन चालकों को भुगतना पड़ती है। चार पहिया वाहनों में सीटबेल्ट नहीं लगाने के कारण भी हेड इंज्यूरी की संभावना बढ़ जाती है।
इन बातों का रखें ख्याल
एम्स दिल्ली द्वारा जारी किए गए पोस्टर सही पार सेफ्टी (सही शुरुआत) के अनुसार हेलमेट, कार में सीटबेल्ट, एयरबैग, ट्रैफिक रुल्स का पालन एवं नशे में गाड़ी नहीं चलाने का ख्याल रखने से मौत के आंकड़ों में कमी लाई जा सकती है। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डा. राकेश गुप्ता ने बताया कि आज 20 मार्च को वल्र्ड हेड इंंज्यूरी अवेयरनेस डे मनाया जाता है, जिसके तहत एम.वाय. अस्पताल परिसर में दस दिन तक बैनर और पोस्टर लगाकर अवेयरनेस फैलाई जाएगी। इसके लिए पोस्टर के साथ-साथ परिचर्चा का भी आयोजन किया जाएगा।
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