इन्दौर। भाजपा के सभी मोर्चा और प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी गठित होना है और इन्हें मंडल स्तर पर ले जाकर वार्ड स्तर पर काम भी करवाना है, लेकिन कई मोर्चा-प्रकोष्ठ अभी तक अपनी कार्यकारिणी ही घोषित नहीं करवा पा रहे हैं। कारण, कार्यकारिणी में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर क्षेत्रीय पार्षदों, मंडल के बड़े पदाधिकारियों और विधायकों में ही आम राय नहीं बन पा रही है। इस चक्कर में कई मोर्चा-प्रकोष्ठ की घोषणा अटकी पड़ी है।
पहले ही कार्यकारिणी लंबे समय से अटकी पड़ी है। निगम चुनाव के पहले ही इन्हें घोषित किया जाना था, लेकिन पदाधिकारियों के रुचि नहीं लेने के कारण कार्यकारिणी के नाम नहीं आ पाए और फिर सब निगम चुनाव में लग गए। लेकिन अब पार्टी चुनावी मोड में आ गई है और जल्द से जल्द सभी मोर्चा-प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी गठित करने के निर्देश संगठन ने दे रखे हैं, लेकिन नगर संयोजक और मंडल संयोजकों ने अभी तक उनकी सूची नहीं दी है। यही स्थिति मोर्चा और प्रकोष्ठ के मंडल अध्यक्षों की भी है। कई मोर्चों के संयोजकों ने तो इनके नाम भी नहीं सौंपे हैं। दरअसल क्षेत्रीय विधायक चाहते हैं कि उनसे जुड़ा व्यक्ति ही पदाधिकारी बने और बाद में वह उनके काम आए। दूसरा गुट भी चाहता है कि उनके अधिक से अधिक समर्थक कार्यकारिणी में फिट हो जाएं, ताकि चुनाव के समय जब टिकट देने की बारी आए तो वे उनका साथ दें। इसी चक्कर में कई कार्यकारिणी अटकी हुई हैं। कुछ में तो अपने समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए नेताओं ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है और कार्यकारिणी को उलझा दिया है।
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