नई दिल्ली (New Delhi) । आज यानी 1 जुलाई से HDFC बैंक (HDFC Bank) में हाउसिंग फाइनेंस कंपनी HDFC लिमिटेड का मर्जर प्रभावी हो गया है। बीते शुक्रवार को दोनों कंपनियों के निदेशक मंडलों (boards of directors) ने इस मर्जर को आखिरी मंजूरी दे दी। इसी के साथ अब एक स्वतंत्र इकाई के तौर पर HDFC लिमिटेड का अस्तित्व खत्म हो गया है।
मर्जर के बाद क्या बदल गया
HDFC अब बाजार मूल्य के हिसाब से जेपी मॉर्गन, आईसीबीसी और बैंक ऑफ अमेरिका के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया है। बता दें कि यह मर्जर देश के कॉरपोरेट सेक्टर का सबसे बड़ा सौदा है। इसका आकार 40 अरब डॉलर का है। मर्जर के बाद जो नई कंपनी वजूद में आई वो देश की सबसे बड़ी फाइनेंशियल सर्विस फर्म बन गई है। इसकी कुल एसेट्स 18 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक होगी।
शेयर बाजार में क्या बदलेगा
नवगठित कंपनी का बीएसई के सूचकांक में वेटेज रिलायंस इंडस्ट्रीज से भी अधिक हो जाएगा। फिलहाल रिलायंस का वेटेज 10.4 प्रतिशत है लेकिन विलय के बाद HDFC बैंक का वेटेज 14 प्रतिशत के करीब हो जाएगा। इस सौदे के तहत HDFC के प्रत्येक शेयरधारक को 25 शेयरों के बदले HDFC बैंक के 42 शेयर मिलेंगे। वहीं, HDFC के शेयर की सूचीबद्धता समाप्त करने का काम 13 जुलाई से प्रभावी होगा। आपको बता दें कि HDFC बैंक ने चार अप्रैल, 2022 को देश की सबसे बड़ी आवास वित्त कंपनी एचडीएफसी का खुद में विलय करने पर सहमति जतायी थी।
चेयरमैन ने छोड़ा पद
मर्जर से ठीक पहले HDFC लिमिटेड के चेयरमैन के रूप में दीपक पारेख ने अपना पद छोड़ दिया। उन्होंने शेयरधारकों को अपने आखिरी संदेश में कहा-भविष्य में क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन आज संगठनों के सामने सबसे बड़ा जोखिम यथास्थिति बनाए रखना है।
इसके साथ इस विश्वास को भी बनाए रखना है कि बीते कल में जो अच्छा काम किया, वह भविष्य में भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए साहस की जरूरत है, क्योंकि यह व्यक्ति को आराम और सुविधा के दायरे से बाहर कर देता है। पारेख ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि निगम में 46 साल बिताने के बाद 30 जून उनका आखिरी कार्य दिवस होगा।
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