नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) में नोटिस जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Prime Minister Garib Kalyan Yojana) के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, जो गरीबों और कोविड -19 के पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार का राहत पैकेज है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी (Judge Vipin Sanghi) और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने आकाश गोयल की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा है.
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वकील प्रशांत भूषण (Representational Lawyer Prashant Bhushan) ने किया. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह योजना ठीक नहीं है क्योंकि इसमें गरीबी रेखा से नीचे के उन परिवारों को छोड़ दिया गया है, जो उज्ज्वला योजना के लाभार्थी नहीं हैं या जिनके पास सक्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) खाता नहीं है.
याचिका में कहा गया है, “(राहत योजना के तहत) 500 रुपये का अनुदान केवल पीएमजेडीवाई खाताधारकों तक ही सीमित है. केंद्र सरकार द्वारा घोषित इस अनुग्रह राशि का लाभ उठाने के लिए एक सक्रिय पीएमजेडीवाई खाता होना एक पूर्व-आवश्यकता है, हालांकि यह मानदंड ठीक नहीं है क्योंकि करोड़ों गरीब महिलाओं के पास सक्रिय पीएमजेडीवाई खाता नहीं है.” मामले पर अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी.
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