नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के दौरान भड़काऊ देने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले तो शुभेंदु अधिकारी को राहत दे दी थी। लेकिन मामला डबल बेंच के सामने पहुंचा तो जस्टिसेज ने पुलिस को बीजेपी नेता पर केस दर्ज करने का आदेश दिया। शुभेंदु को डर था कि पुलिस उनको अरेस्ट भी कर सकती है तो वो आनन फानन में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उनकी दरख्वास्त थी कि उनके मामले की तत्काल प्रभाव से सुनवाई की जाए। टॉप कोर्ट ने उनकी बात सुनी और फिर चार अगस्त की तारीख दी। शुभेंदु के वकील गुहार लगाते रहे पर जस्टिस ने फैसला बदलने से इनकार कर दिया।
शुभेंदु की तरफ से पेश एडवोकेट बंसुरी स्वराज ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुंधांशु धूलिया की बेंच के सामने पेश होकर कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है। शुभेंदु को केवल इस वजह से निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वो बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर असेंबली चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद से लगातार उनको निशाना बनाया जा रहा है। बेमलब की शिकायतों पर पुलिस संज्ञान लेकर ताबड़तोड़ केस दर्ज करती जा रही है। बंसुरी का कहना था कि टॉप कोर्ट दखल नहीं देगा तो अधिकारी दिक्कत में आ जाएंगे। उनकी ये भी दलील थी कि डबल बेंच ने उनका पक्ष सुने बगैर ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश आनन फानन में दे डाला।
जस्टिस कौल बोले- चार अगस्त का मतलब चार अगस्त
जस्टिस संजय किशन कौल ने उनकी दलील पर कहा कि तारीख दे तो दी। बंसुरी स्वराज की दलील थी कि हाईकोर्ट पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश दे चुका है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को तुरंत सुनवाई करनी होगी। जस्टिस कौल ने सपाट लहजे में कहा चार अगस्त का मतलब चार अगस्त।
दरअसल पंचायत चुनाव में भड़काऊ भाषण देने के मामले में कलकत्ता पुलिस शुभेंदु के खिलाफ आइपीसी की धारा 153 ए (दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने की कोशिश) के तहत एक्शन लेने जा रही थी। लेकिन बीजेपी नेता हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच के सामने पेश हो गए। उन्होंने हाईकोर्ट से पुलिस की कार्रवाई में दखल देने को कहा तो सिंगल जज ने पुलिस को उनके खिलाफ केस दर्ज करने और उनको अरेस्ट करने से रोक दिया। पुलिस मामले को डबल बेंच के पास लेकर गई।
पुलिस धारा 153 ए के तहत केस दर्ज करके शुरू कर सकती है कार्रवाई- बोला HC
डबल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि सिंगल जज केस को सही तरीके से समझ नहीं सके। इस तरह के मामलों में केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को ही छूट मिल सकती है। डबल बेंच ने कहा कि शुभेंदु के खिलाफ पुलिस धारा 153 ए के तहत केस दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर सकती है।
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