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बीआरटीएस टूटने से पहले कहर टूटा

  • April 19, 2025

    • सैकड़ो कर्मचारियों को बिना सूचना के नौकरी से निकाला, अंबेडकर जयंती के अगले दिन कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीना गई

    इंदौर, जितेन्द्र जाखेटिया। निरंजनपुर चौराहा से लेकर राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा तक बने हुए बीआरटीएस को तोड़ने का काम तो अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन उसके पहले ही कहर टूटने का काम शुरू हो गया है। सिटी बस कंपनी ने सैकड़ों कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया है। बस कंपनी के इस फैसले से इन कर्मचारियों के परिवार पर कहर टूट पड़ा है।
    राज्य सरकार के द्वारा इंदौर से बीआरटीएस को तोड़ने का फैसला लिया गया। इस फैसले को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से भी मंजूरी मिल गई। उसके बाद से इस बात का इंतजार चल रहा है कि बीआरटीएस तोड़ने का काम कब शुरू होगा। नगर निगम कभी बीआरटीएस के पूरे कॉरिडोर का सर्वे करने का बहाना बनाकर कहता है कि तोड़ने का काम सर्वे होने के बाद होगा। कभी निगम की ओर से कहा जाता है कि सर्वे तो हो गया है अब बस तोड़ने का काम शुरू किया जा रहा है। ऐसी सारी कहानियों के साथ में एक के बाद एक दिन गुजरते जा रहे हैं। पिछले 1 सप्ताह से तो नगर निगम की ओर से यह कहा जा रहा है कि बस बीआरटीएस तोड़ने का टेंडर तैयार हो गया है इस टेंडर को आज-कल में ही जारी किया जा रहा है।


    अब तक इसमें से एक भी काम नहीं हुआ है। बीआरटीएस तोड़ना भी शुरू नहीं किया गया है। इसके पहले ही सिटी बस कंपनी के सैकड़ों कर्मचारियों पर कहर टूट गया है। सिटी बस कंपनी में प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में 1 अप्रैल से नियुक्त की गई नई एजेंसी ने बस कंपनी की सलाह के आधार पर सैकड़ों कर्मचारियों को 1 अप्रैल से नौकरी से बाहर करने का रास्ता दिखा दिया है। बस कंपनी के अधिकारी तो यह दावा करते हैं कि जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है उन कर्मचारियों को 1 अप्रैल को नोटिस दे दिया गया। इस नोटिस में उन्हें साफ बता दिया गया है की 15 दिन में उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। इस नोटिस की अवधि समाप्त होने के पश्चात अंबेडकर जयंती के अगले दिन यानी की 15 अप्रैल से इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है। सिटी बस कंपनी के अधिकारी यह दावा भी करते हैं कि इन कर्मचारियों को नोटिस की अवधि का 15 दिन का वेतन भी दे दिया गया है।

    बस कंपनी की अनुशंसा के आधार पर बीआरटीएस कॉरिडोर पर काम करने वाले सुपरवाइजर के साथ ही हर ट्राफिक सिग्नल पर तैनात रहने वाले बस कंपनी के सफेद ड्रेस वाले कर्मचारी, बस स्टैंड पर यात्रियों को टिकट देने के साथ ही अन्य कार्य करने वाले कर्मचारी नौकरी से निकाल दिए गए हैं। इसके अलावा बस कंपनी में अतिरिक्त स्टाफ होने के नाम पर ड्राइवर, क्लर्क, चपरासी भी नौकरी से निकाल दिए गए हैं। जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है उनके परिवार पर इस फैसले से कहर टूट पड़ा है। इन कर्मचारियों के परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का संकट पैदा हो गया है। अब नौकरी से निकाले गए कर्मचारी महापौर पुष्यमित्र भार्गव और महापौर परिषद के सदस्यों के पास चक्कर लगा रहे हैं। इनमें से कोई भी उन्हें कोई आश्वासन देने की स्थिति में नहीं है।

    कोई ध्यान देने को तैयार नहीं
    सिटी बस कंपनी की इस स्थिति की तरफ कोई ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है। हाल ही में यह मामला कलेक्टर आशीष सिंह के समक्ष भी गया था। कलेक्टर ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने से बचते हुए निगम आयुक्त शिवम वर्मा की तरफ मामले को मोड़ दिया। समस्या तो यह थी कि सिटी बस कंपनी के सीईओ दिव्यांक सिंह के द्वारा इस मामले की कोई जानकारी आयुक्त को ही नहीं दी गई थी। इस समय तो स्थिति यह है कि कोई भी अधिकारी जिम्मेदारी के साथ सिटी बस कंपनी की तरफ ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है।

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