वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों (scientists) ने एक नए प्रकार के रंग बदलने वाले हीरे(color changing diamonds) की खोज की है, जो प्रसिद्ध ‘गिरगिट हीरे’ (Chameleon Diamonds’) से अलग है. ‘क्रायोजेनिक डायमंड’ (Cryogenic Diamond) के नाम से जाने जाने वाले इन हीरों को अगर अत्यधिक ठंडे तापमान पर रखा जाता है, तो ये ग्रे रंगे पीले रंग में बदल जाते हैं. इस हीरे की खोज कैलिफोर्निया के कार्ल्सबैड(Carlsbad, California) में जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका Gemological Institute of America (GIA) में स्टेफनी पर्सॉड (Stephanie Persaud) द्वारा की गई थी.
स्टेफनी पर्सॉड (Stephanie Persaud) ग्राहकों के लिए हीरे की ग्रेडिंग कर रही थी, इसी दौरान उन्होंने तीसरे प्रकार के रंग बदलने वाले हीरे को देखा. हालांकि, अभी तक इसका आधिकारिक रूप से मूल्य स्पष्ट नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी दुर्लभता इसे अत्यंत मूल्यवान बना सकती है.
इस हीरे की खासियत ये है कि ये आपके हाथों में आने पर रंग नहीं बदलता है, बल्कि जब तक एक निश्चित तापमान नहीं होता है, तब तक ये रंग नहीं बदलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये तरल नाइट्रोजन के तापमान -320°F (-196°C) तक ठंडा होने पर ही रंग बदलता है. लैब में इस तरह के तापमान को हासिल करना बेहद आसान है. ऐसा हीरे में एटम्स को कम कंपन करने के लिए किया जाता है, इससे हीरे की प्रकाश के विभिन्न वेवलेंथ को अवशोषित करने के तरीके के बारे में अधिक सटीक माप लेने में मदद मिलती है. ‘गिरगिट हीरे’ की घटना की खोज पहली बार 1866 में पेरिस के हीरा व्यापारी जॉर्जेस हल्फेन ने की थी. हालांकि, इस तरह के रंग बदलने वाले हीरों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल 1943 तक ज्वेलरी बिजनेस में नहीं किया गया. रोशनी, गर्मी और अब ठंड के संपर्क में आने पर हीरे का रंग बदलने लगता है. विशेषज्ञों का मानना है कि हीरे का रंग कैसे बदलता है. ये समझने के लिए एक से अधिक मैकेनिज्म काम करते हैं. इन हीरों के बारे में कम जानकारी होने के पीछे की वजह इनका दुर्लभ होना है.