नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख (ITR Deadline) को पार हुए कई सप्ताह गुजर चुके हैं. इसके बाद अभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) में असेसमेंट (ITR Assesment) की प्रक्रिया चल रही है. सही रिटर्न दायर (ITR Filing) करने वालों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से रिफंड (Income Tax Refund) मिल रहा है, जबकि गलती करने वाले करदाताओं को आयकर विभाग से नोटिस (Income Tax Notice) मिल रहा है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस मिलना कहीं से ठीक बात नहीं है, लेकिन नोटिस मिलते ही घबराना भी ठीक नहीं है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई कारणों से करदाताओं को नोटिस भेजता है. आइए जानते हैं कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस क्यों आते हैं… अगर नोटिस मिल जाए तो क्या करें… नोटिस से क्यों नहीं डरना चाहिए…
आम तौर पर लोग ऐसा मान लेते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न भर देने के बाद उनका काम पूरा हो गया है. हालांकि यह सच नहीं है. इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर भरकर बेफिक्र हो जाने वाले लोगों को बता दें कि रिटर्न भरने के बाद भी नोटिस आ सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से टैक्सपेयर को कई तरह के नोटिस आते हैं. भरे गए टैक्स और टैक्सेबल इनकम में फर्क होने पर डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिल जाता है.
इनकम टैक्स रिटर्न में भारी-भरकम रिफंड क्लेम करना भी नोटिस की वजह बनता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस कई तरह के होते हैं. नोटिस किसी व्यक्ति अथवा बिजनेस या कंपनी को भेजा जा रहा है, उसके हिसाब से नोटिस की कैटेगरी तय होती है. करीब 15 से 20 तरह के नोटिस होते हैं, इनमें से कुछ नोटिस ऐसे हैं जो इंडिविजुअल्स यानी व्यक्ति को भेजे जाते हैं. आम तौर पर लोगों को मिलने वाले इनकम टैक्स नोटिस ये हैं…
सेक्शन 142: अगर किसी व्यक्ति ने ITR नहीं भरा है तो आयकर अधिकारी सेक्शन 142 के तहत नोटिस देकर रिटर्न भरने के लिए कह सकते हैं. छोटी-मोटी जानकारी या स्पष्टीकरण मांगने के लिए भी इस धारा के तहत नोटिस भेजे जा सकते हैं.
सेक्शन 143 (2): यह स्क्रूटनी का नोटिस होता है. इसका मतलब है कि आयकर विभाग आपसे कुछ और डिटेल में जानकारी चाहता है. इसके तहत बुक ऑफ अकाउंट्स, बैंक स्टेटमेंट जैसी कई जानकारियां मांगी जा सकती हैं. इनके आधार पर असेसमेंट किया जाएगा. यह नोटिस इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद आता है. लोगों को सबसे ज्यादा यही नोटिस मिलता है.
सेक्शन 144: इसे बेस्ट जजमेंट असेसमेंट (Best Judgement Assesment) कहते हैं. अगर आपने ITR फाइल नहीं किया या 142 या 143 (2) के तहत जारी नोटिस का जवाब नहीं दिया तो आयकर अधिकारी सेक्शन-144 के तहत नोटिस भेज सकते हैं. ऐसे में अधिकारी मौजूदा जानकारी के आधार पर इनकम का आकलन करके उसके ऊपर कर, ब्याज और जुर्माना लगा सकते हैं.
सेक्शन 147/148/149: अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी को लगता है कि आपकी इनकम का पहले जो असेसमेंट हुआ है, उसमें कुछ आय शामिल नहीं है या फिर आपकी कोई ऐसी इनकम है, जिसका खुलासा पहले नहीं हुआ है, तो यह नोटिस आ सकता है.
सेक्शन 143(1): इसके तहत नोटिस तब आता है जब आपने ITR में कोई गलती की है या फिर गलत जानकारी दी है. ऐसे में आयकर अधिकारी नोटिस जारी करके आपका पक्ष पूछता है. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर आपका टैक्स बढ़ाया जा सकता है या डिडक्शन को घटाया जा सकता है.
इसके अलावा, डिफेक्टिव रिटर्न के लिए सेक्शन 139 (9), तलाशी और जब्ती के लिए सेक्शन 153(A), टैक्स, ब्याज या पेनाल्टी बकाया रहने पर सेक्शन 156, आय छिपाने का शक होने पर सेक्शन 131 (A) के तहत नोटिस भेजे जा सकते हैं.
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