वॉशिंगटन। राजनीतिक उथल पुथल (Political turmoil) से जूझ रहे बांग्लादेश (Bangladesh) में मोहम्मद यूनुस (Leadership of Mohammad Yunus) के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन (Formation Interim Government) हो चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (former Prime Minister Sheikh Hasina) के बेटे सजीब वाजेद (Sajeeb Wajed) ने यह स्पष्ट किया कि उनके पास बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन में अमेरिका की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने मुहम्मद युनूस को पश्चिम का प्रिय बताते हुए कहा कि उनपर विदेशी प्रभाव का असर दिखता है। पश्चिमी देशों ने लंबे समय से मोहम्मद युनूस का समर्थन किया है।
अंतरिम सरकार के गठन के बाद मोहम्मद युनूस ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “क्या अमेरिका की इसमें सीधे तौर पर संलिप्तता है? मुझे नहीं मालूम। मेरे पास कोई सबूत नहीं है। लेकिन अगर आप स्थिति और प्रदर्शन को देखें तो मालूम चलेगा कि हर कदम पर प्रदर्शन को भड़काया गया है।” उन्होंने बताया कि शुरुआत में विरोध शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। यह विरोध सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अदालत के फैसले के खिलाफ हो रहा था, जिसका सरकार ने भी विरोध किया।
वाजेद ने कहा, “हमारी सरकार ने कोटा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद ही वर्षों पहले कोटा को कम कर दिया था। कोटा अदालतों द्वारा बहाल किया गया था। हमारी सरकार ने इसके खिलाफ अपील दायर की थी और हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “प्रदर्शनकारियों ने आग्नेयास्त्र लेकर पुलिस पर हमला करना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों को ये आग्नेयास्त्र कहां से मिला? केवल विदेश खुफिया सेवा ही देश में आग्नेयास्त्रों की आपूर्ति कर सकती है। इसे विदेशियों ने भड़काया और इसका समर्थन किया। मुझे नहीं मालूम कि ये पश्चिम की तरफ से है या नहीं। लेकिन अगर आप देखें कि इन प्रदर्शनकारियों ने किसे चुना है। युनूस जो पश्चिम का प्रिय है। पश्चिमी देश दशकों से युनूस का समर्थन कर उसे राजनीति में लाने का प्रयास कर रहे थे। पश्चिमी देशों ने सबसे पहले उसकी सरकार को बधाई दी। इसे देखकर मैं स्पष्ट हूं कि इस पूरे मामले में पश्चिमी देशों की संलिप्तता है।”
वाजेद का प्रदर्शनकारियों पर आरोप
वाजेद ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने रजाकारों पर शेख हसीना के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया। इस वजह से प्रदर्शन बढ़ गया। उन्होंने बताया कि 15 जुलाई की रात को शेख हसीना की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट अपील दायर की कि उनकी सरकार कोटा को रद्द करना चाहती है। इसके बाद कुछ लोग ढाका यूनिवर्सिटी में आधी रात में मार्च करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि वे रजाकार हैं, जिससे छात्र कार्यकर्ता भड़क गए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने हिंसा को रोकने का प्रयास किया, लेकिन सरकार ने अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
आरक्षण के विरोध से भड़की हिंसा
बांग्लादेश में 1971 में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रतता सेनानियों के लिए तय किए आरक्षण के खिलाफ जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए और छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की जाने लगी। ये विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि बीती 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। वहीं बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गुरुवार को अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है। इस अंतरिम सरकार की देखरेख में ही अगले कुछ महीनों में चुनाव कराए जाने की बात कही गई है।
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