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    क्‍या 2020 की बगावत का दर्द भूल गए गहलोत ? बोले- पायलट समर्थको को टिकट देने का नहीं करेंगे विरोध

  • October 20, 2023

    जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) का कहना है 2020 में बगावत करने वाले सचिन पायलट (Sachin Pilot) समर्थकों के टिकट क्लीयर हो रहे हैं। मतलब साफ है कि बगावत करने वाले पायलट समर्थक19 विधायको को टिकट मिलेंगे। गहलोत विरोध नहीं करेंगे। सीएम गहलोत भूलो और माफ करों की बात कह रहे हैं। सियासी जानकार इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे हैं। कुछ का कहना है कि सीएम प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल खेल रहे है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि राजनीति में हर घटना के मायने नहीं निकालने चाहिए। लेकिन एक बात साफ हो गई है। सीएम गहलोत पायलट समर्थको को टिकट देने का विरोध नहीं करेंगे। ये विधायक चुनाव जीतकर आते हैं तो गहलोत कैंप में शामिल हो सकते हैं।

    गहलोत पायलट कैंप में लगा चुके हैं सेंध
    सीएम गहलोत 2020 की बगावत के दौरान पायलट समर्थक विधायकों में सेंध लगा चुके हैं। पायलट समर्थक माने जाने वाले मंत्री विश्वेंद्र सिंह औऱ रमेश मीना को तोड़ने में सफल रहे है। सीएम गहलोत सेंध लगाने का कला में माहिर माने जाते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत ने पायलट समर्थकों के टिकट क्लीयर होने के संकेत देने के साथ ही यह कहा है कि चौथी बार भी वही सीएम बनेंगे। मतलब साफ है सीएम गहलोत ने पायलट कैंप पर दबाव का रणनीति के तहत यह बयान दिया है। बता दें पायलट कैंप के नेता और खुद सचिन पायलट कहते रहे हैं कि गहलोत चौथी सीएम नहीं बनेंगे। सीएम कौन होगा, इसका निर्णय विधायक करेंगे। लेकिन अधिकांश विधायक गहलोत कैंप के पास ही रहने के आसार है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो एक बार फिर सियासी घमासान होने के पूरे आसार है।


    2020 में पायलट ने की थी बगावत
    उल्लेखनीय है कि राजस्थान में 12 जुलाई 2020 को पायलट कैंप ने सीधे बगावत का ऐलान करते हुए गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया था। सचिन पायलट के मीडिया सलाहकार ने एक 12 जुलाई 2020 को रात 9 बजकर 7 मिनट पर एक वाॅट्सऐप ग्रुप में मैसेज डाला। इस मैसेज ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया था। पायलट के पास 30 कांग्रेस विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया गया था। इसके बाद सीएम गहलोत एक्टिव हुए है। सभी जिला कलेक्टरों को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए। बिना अनुमति के वाहनों के दिल्ली जाने पर रोक लगा दी। परिणाम यह हुआ है कि जो विधायक गुड़गांव में पायलट के कैंप में शामिल होने की तैयारी कर रहे थे। जा नहीं पाए।

    प्रियंका गांधी की पहल से हो गई थी सुलह
    सचिन पायलट की बगावत के बाद समर्थक विधायक 11 जुलाई 2020 से ही मानेसर के होटल में बाड़ेबंदी में चले गए थे। 13 जुलाई से गहलोत समर्थक विधायकों की पहले दिल्ली रोड के होटल फेरमोंट और फिर 31 जुलाई से 12 अगस्त तक जैसलमेर के सूर्यागढ होटल में बाड़ेबंदी की गई। 10 अगस्त को पायलट गुट की प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई और फिर एक सुलह कमेटी बनी। इसके बाद पायलट की वापसी हुई। 13 अगस्त को सचिन पायलट ने सीएम से मुलाकात की। पायलट सहित उनके गुट के विधायकों ने सीएम निवास पर विधायक दल की बैठक में हिस्सा लिया और अगले दिन 14 अगस्त को गहलोत ने विधानसभा में वॉयस वोट से विश्वास मत जीत लिया।

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