डेस्क: हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा की एक सीट पर हो रहे चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के दस से ज्यादा विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोटिंग करने की खबरें हैं, जिसके चलते कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का खेल बिगड़ गया है. कांग्रेस के विधायक सुदर्शन बबलू राज्यसभा चुनाव में शिमला वोट डालने नहीं पहुंचे हैं,जबकि बबलू पंजाब के होशियारपुर में अस्पताल में भर्ती हैं. इस तरह से हिमाचल प्रदेश के 67 विधायकों ने वोटिंग में हिस्सा लिया, लेकिन कांग्रेस के विधायकों की क्रॉस वोटिंग से पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की जीत पर ग्रहण लग सकता है,जबकि बीजेपी के हर्ष महाजन के उच्च सदन पहुंचने की राह आसान हो सकती है.
राज्यसभा चुनाव में रोचक मुकाबले के चलते कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू को लेने के लिए पार्टी नेता हेलीकॉप्टर से होशियारपुर पहुंचे हैं, जहां पर सुदर्शन बबलू एक अस्पताल में भर्ती हैं. राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिए तीन बजे तक का समय है. कांग्रेस के दस से ज्यादा विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के चलते अभिषेक मनु सिंघवी के उच्च सदन पहुंचने की राह मुश्किल हो गई है. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रतिभा सिंह ने कहा कि विधायकों की नाराजगी स्वाभाविक है. इसके चलते साफ है कि कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या होने के बाद भी खेल बिगड़ गया.
अभिषेक मनु सिंघवी और हर्ष महाजन के बीच मुकाबला
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस से अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी से हर्ष महाजन के बीच सीधा मुकाबला है. 68 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 वोट है,जबकि बीजेपी के पास 25 वोट है और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा भी कांग्रेस के द्वारा किया जा रहा है. बीजेपी के पास राज्यसभा जीतने के उचित नंबर न होने के बावजूद हर्ष महाजन को उतारा और क्रॉस वोटिंग के जरिए राज्यसभा चुनाव की लड़ाई को रोचक बना दिया है.
आ रही हैं क्रॉस वोटिंग की खबरें
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज चल रहे विधायकों के धड़े से समर्थन की बीजेपी को उम्मीद है. इसी के चलते बीजेपी ने कम नंबर होने के बावजूद हर्ष महाजन को उतारा. वोटिंग के दौरान जिस तरह से कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग की खबरें आ रही हैं, उसके चलते अगर दस विधायक बीजेपी के पक्ष में वोटिंग किए हैं तो फिर सिंघवी के जीतने की उम्मीदों पर झटका लग सकता है. कांग्रेस सूबे की सत्ता में होने के बाद भी अगर राज्यसभा चुनाव हार जाती है तो फिर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए भी सियासी संकट गहरा सकता है.
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