नई दिल्ली । हरियाणा चुनाव में कांग्रेस (Congress in Haryana elections)की हार के एक बड़ा कारण खेमेबाजी(Big reason is factionalism) को भी माना जा रहा है। चुनाव नतीजों (Election Results)के बाद भी पार्टी के नेताओं (Party leaders)ने कोई सीख नहीं ली है। अब नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए खेमेबाजी फिर से शुरू हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीतने वाले 37 में से 31 विधायक इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के कहने पर दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। इनकी हाल ही में एक बैठक हुई। यह बैठक नए नेता को चुनने के लिए विधायक दल की बैठक से दो दिन पहले हुई।
वहीं, हुड्डा के धुर विरोधी और सिरसा से लोकसभा सांसद शैलजा के करीबी पांच विधायक बैठक से दूर रहे। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस द्वारा सीएलपी नेता के रूप में गैर-जाट उम्मीदवार के लिए जाने की संभावना है। कांग्रेस को ऐसा लगता है कि हुड्डा जैसे जाट नेता को आगे करने से विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। इस चुनाव में भाजपा ने गैर-जाट वोटों को सफलतापूर्वक एकजुट किया और कई स्थानों पर दलितों के एक वर्ग का भी समर्थन हासिल किया।
रिपोर्टों के अनुसार, हुड्डा विरोधी धड़ा सीएलपी नेता के पद के लिए पंचकूला के विधायक चंद्र मोहन का समर्थन कर रहा है। बिश्नोई समुदाय के विधायक और पूर्व सीएम भजन लाल के बेटे भी उन पांच विधायकों में शामिल हैं, जो बैठक से दूर रहे। हुड्डा के घर हुई बैठक में जो लोग नहीं शामिल हुए उनमें राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला, शैली चौधरी, अकरम खान और रेणु बाला शामिल हैं।
शैलजा के करीबी विधायकों ने कहा कि उन्हें हुड्डा के आवास पर हुई बैठक के बारे में जानकारी नहीं है। विधायकों में से एक ने कहा, “यह उनकी निजी बैठक हो सकती है। पार्टी मीटिंग नहीं है।” आपको बता दें कि हुड्डा चाहते हैं कि उनके गैर-जाट वफादारों में से किसी को सीएलपी नेता नियुक्त किया जाए। नई दिल्ली में बैठक करने वाले 31 विधायकों को हुड्डा या उनके सांसद बेटे दीपेंद्र की सिफारिश पर पार्टी टिकट दिए गए थे।
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