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    Haryana: मनोहर सरकार के कार्यकाल में 28वीं बार लीक हुए प्रश्न पत्र: सुरजेवाला

  • August 10, 2021

    – आठ लाख बेरोजगारों के डूबे सौ करोड़, आयोग की गोपनीयता पर खर्च होने वाले 25 करोड़ का हिसाब दे सरकार

    चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Congress General Secretary Randeep Singh Surjewala) ने प्रदेश में होने वाली भर्तियों के दौरान प्रश्न पत्र लीक मामले में सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि वर्तमान में कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission) की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती का प्रश्न पत्र लीक होने से हरियाणा का प्रत्येक पांचवां परिवार प्रभावित हुआ है। इस भर्ती के लिए आठ लाख 39 हजार युवाओं ने आवेदन किया था।

    सोमवार को चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पहले दिन सात अगस्त को 3.5 लाख युवाओं ने कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा दी। इन युवाओं और उनके माता-पिता का परीक्षा की तैयारी, कोचिंग, शारीरिक परीक्षा, परीक्षा शुल्क जमा कराने तथा आने-जाने में 100 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई और नतीजा शून्य रहा है। उन्होंने कहा कि मनोहर सरकार के सात साल के कार्यकाल के दौरान यह 28वां मौका है जब पेपर लीक हुआ है।


    पेपर लीक माफिया पर सफेदपोशों व आला अधिकारियों की मदद से पेपर लीक करने का आरोप लगाते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने वाले बच्चों को यह 12 से 18 लाख रुपये में बेचा गया है।

    कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार कर्मचारी चयन आयोग में हर साल गोपनीयता पर 25 करोड़ रुपये खर्च करती है। पेपर कंडक्ट करवाने का ठेका तथाकथित तौर से हैदराबाद की कंपनी को दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार साफ करे कि आगामी परीक्षाओं के आयोजन जिम्मा भी क्या हैदराबाद की कंपनी के पास है।

    सुरजेवाला ने कांस्टेबल भर्ती पूछे गए सवालों पर भी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांस्टेबल भर्ती के आवेदकों से कानून-व्यवस्था, महिला अपराध, आईपीसी जैसे सवाल पूछे जाने चाहिए लेकिन इस इम्तिहान में पशु पालन, कृषि आदि से संबंधित ऐसे सवाल पूछे गए जिनका पुलिस विभाग से कोई मतलब नहीं है। ऐसे सवाल केवल उलझाने के लिए पूछे गए हैं ताकि अपने चहेतों का चयन किया जा सके। उन्होंने दावा किया कि जो प्रश्न पत्र हरियाणा में कांस्टेबल भर्ती में आया था वह वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश में हुई ‘प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक चयन परीक्षा’ (कृषि) से मेल खाता है।

    उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि गठबंधन सरकार ने ‘पेपर-बिक्री व खर्ची तंत्र’ स्थापित कर दिया है। यह व्यापम से भी बड़ा नौकरी घोटाला है। इसलिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को तुरंत भंग करते हुए सभी पेपरलीक मामलों की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निरीक्षण में सीबीआई जाँच करवाई जाए। (एजेंसी, हि.स.)

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