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Haryana : एक पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा

July 12, 2022

नई दिल्‍ली । ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) को लेकर पूरी दुनिया में बात हो रही है. एक्सपर्ट्स लगातार चेतावनी दे रहे हैं. कई देश इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं. भारत ने भी वैश्विक पटल पर इस मुद्दे को उठाया और जमीन पर इसके लिए लगातार काम हो रहे हैं. इन सबके बीच चंडीगढ़ (Chandigarh) में तैनात एक कांस्टेबल (constable) मिसाल के रूप में सामने आए हैं. उन्होंने दिखाया कि कैसे हर एक इंसान पर्यावरण के लिए बेहतर कर सकता है. उन्होंने चंडीगढ़ जैसी हरियाली अपने गांव में लाने की ठानी और अपनी मेहनत से हरियाणा (Haryana) के चार जिलों में लगभग डेढ़ लाख पौधे (plants) लगा दिए. खास बात है कि इसके लिए उन्होंने किसी से आर्थिक मदद नहीं ली.

देवेंद्र सूरा, हरियाणा के सोनीपत की ग्राम पंचायत जागसी के निवासी हैं. 2011 में उनका चयन चंडीगढ़ पुलिस में हुआ. चंडीगढ़ में उनकी पोस्टिंग एक टर्निग-पॉइंट साबित हुई. चंडीगढ़ की हरियाली और खूबसूरती उनके जीवन में एक अलग बदलाव लायी. उन्होंने अपने गांव और जिले को हरित प्रदेश बनाने का प्रण कर लिया. इसकी शुरुआत उन्होंने 2012 में की. शुरुआत में राहें उनके लिए इतनी आसान नहीं थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लायी और उनके साथ गांव के युवा भी शामिल होने लगे. नए शामिल युवा श्रमदान करने लगे जिससे उनकी मुहिम को नई उम्मीद और रास्ता मिला.


देवेंद्र ने बताया, “पर्यावरण और पेड़-पौधों के महत्व का एहसास कोविड काल में ऑक्सीजन की कमी से देश में लोगों की मृत्यु के बाद हुआ.आज हम भौतिक सुख-सुविधाओं के जाल में फंसते जा रहे, जिसका पूरा दबाव पर्यावरण पर पड़ रहा है. धीरे-धीरे पक्षियों की बहुत-सी प्रजातियां ख़त्म हो गयी हैं. या ख़त्म होने के कगार पर हैं. जिसके कारण पर्यावरण में बहुत असंतुलन पैदा हो गया है. पर्यावरण और मानव प्रजाति को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता है. बस इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने ऑक्सीजन बाग की मुहिम चलाई.”

देवेंद्र सूरा ने बताया कि अब तक 10,400 युवक इसमें शामिल हो चुके हैं. जिन्हें हम “युवा साथी” बोलते हैं. अब तक ये मुहिम लगभग 516 गांवों तक पहुंच गई है. लोगों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है. लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. उन्होंने बताया कि सोनीपत में बिघल नामक गांव को गोद लिया है. इस गांव की खासियत ये है कि यहां पर कई तालाब बिल्कुल साफ़ एवं स्वच्छ हैं. इस गांव में लगभग 7000 पेड़ हैं. जिसको देख कर और अधिक उत्साह एवं ऊर्जा मिलती है.

क्या है ऑक्सीजन बाग
ऐसा बाग जिसमें भारतीय प्रजाति के पेड़-पौधों को लगाया जाएगा. इससे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की प्राप्ति होगी और पक्षियों को नया आसरा मिलेगा. उन्होंने लगभग 10 जिलों में ऑक्सीजन बाग लगाने की बात कि जिसमें झज्जर, करनाल, दादरी और सोनीपत के बीधल, मुरथल गोशाला, बली कतुबपुर, चटिया, नदिपुर माजरा, हुल्लाहेड़ी, कतलुपुर, गोहाना माजरा, जागसी शामिल हैं.

क्यों जरूरी हैं ऑक्सीजन बाग?
इस पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि प्रदूषण से हवा जहरीली हो रही है. जिंदगी बहुत छोटी होती जा रही है. सब अपने बारे में सोच रहे हैं. लोगों के मन में यह बात नहीं आ रही कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे? इसके लिए ऑक्सीजन बाग बहुत जरूरी हैं, ताकि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके.

आम जन को कैसे प्रोत्साहित करते हैं
ट्री-मैन ने न्यूज़18 की टीम से बात करते हुए बताया कि अब हर ख़ुशी के अवसर पर पौधा लगाने की मुहिम शुरू करनी होगी. शादी, भात, जन्मदिन, शादी की सालगिरह पर लोगों को निःशुल्क पौधे बांटे जाते हैं. जो लोग फोन करके पौधे मंगाते हैं उनको घर तक पौधे पहुंचाए जाते हैं. इससे लोगों में पौधे लगाने के प्रति लगाव पैदा होता है.

इस पहल की शुरुआत कैसे हुई
इस पहल की शुरुआत उन्होंने अपने गांव जागसी से की. शुरुआत में इनके गांव के लोगों ने बहुत ताना दिया और परेशान किया. गांव वाले कहने लगे थे कि ये काम माली (छोटे जाति ) का है. तुम अपनी नौकरी करो. लेकिन धीरे-धीरे गांव के युवा जुड़ने लगे और अपना श्रमदान देने लगे.

वह कहते हैं, “स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “अगर एक शक्तिशाली विचार के 100 युवा एक साथ आ जाएं तो कोई भी क्रांति कर सकते हैं.” ऐसे ही मुझे अपनी राह में लोग मिलते रहे और कारवां बनता गया. अब तक झज्जर, करनाल, दादरी और सोनीपत में 1.5 लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं. उन्होंने अपनी नर्सरी का फोटो शेयर करते हुए बताया कि 40000 पौधों की नर्सरी उन्होंने युवा साथियों की मदद से बना रखी है. इन पौधों का रोपण इस साल मानसून में करेंगे.

उन्होंने पौधे लगाने से लेकर रख रखाव के बारे में हर सवाल का जवाब देते हुए बताया कि इसका जिम्मा युवा साथियों के पास है. वे बंजर जमीन को पेड़ लगाने लायक बना कर उसमें पेड़ लगाते हैं और उनको बड़े होने तक सुरक्षा देते हैं.

सहयोग के बारे में
उन्होंने कहा, “मदद दो प्रकार की होती है. एक तो वित्तीय. दूसरी मानसिक. मुझे मेरे परिवार से बहुत सहयोग मिलता है. आज भी मेरे परिवार का खर्च पिताजी की सैलरी से चलता है और मेरी पूरी सैलरी मुहिम में चली जाती है. मां, पिताजी, पत्नी और मेरे दोनों बच्चे कर्ण और भूमि का बहुत योगदान है. ये मेरा रजिस्टर्ड आर्गेनाईजेशन नहीं है तो लोग जो मेरे काम को जानते हैं वो मुझे वित्तीय सहायता करते हैं जैसे- सोनीपत के आईएएस अधिकारी श्याम लाल पुनिया ने अपने एक महीने का पूरा वेतन दिया. कई युवासाथी श्रमदान करके भी हमारी वित्तीय मदद करते हैं. कुछ ऐसे युवा साथी हैं जो अभी नौकरी कर रहे हैं वो अपना वेतन देकर हमारी मदद करते हैं.”

ट्री-मैन सहायता के बारे में बात करते हुए बताते हैं, “यहां वित्तीय मदद से ज्यादा महत्वपूर्ण है समय. जो भी अपना समय देता है तो हमारी कार्य की गति तेज हो जाती है.” चंडीगढ़ के DGP प्रवीर रंजन के बारे में वह कहते हैं, “इस मुहिम में मेरी पोस्टिंग को आसान करके मदद करते हैं.” उन्होंने बताया कि प्रवीर रंजन मेरी महीने की ड्यूटी को कम कर देते हैं, जिससे मैं अपने ऑक्सीजन बाग की मुहिम पर काम कर पाता हूं.

भविष्य क्या है इस मुहिम का
भविष्य के बारे में बात करते हुए ट्री-मैन देवेंद्र सूरा बताते हैं, “अपने रिटायरमेंट तक मैं कई ऐसे युवा साथी तैयार करना चाहूंगा जो इस मुहिम को आगे ले जाएंगे और हरियाणा को हरित करने का प्रयास करेंगे.” उन्होंने अपने दो युवा साथियों के बारे में बात करते हुए बताया कि एक साथी रिज़र्व बैंक में काम करता है जो अपनी आधी सैलरी इस मुहिम में दे देता है. वहीं, दूसरा साथी जो हरियाणा रोडवेज में काम करता है उसने जीवन भर अविवाहित रह कर मुहिम को आगे बढ़ाने में योगदान देने का वादा किया है.

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