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हरियाणा : पानीपत रिफाइनरी पर 642 करोड़ का हर्जाना

July 09, 2020

पानीपत । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अपनी दूसरी बार की जांच में भी दक्षिणी एशिया की पानीपत स्थित इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड की सबसे बड़ी रिफाइनरी को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया है। रिफाइनरी पर गांव सिंहपुरा, न्यू बोहली, ददलाना, रेर कलां, फरीदपुर समेत रिफाइनरी के आस पास के क्षेत्र में भूजल को खराब करने और रिफाइनरी से निकलने वाली खतरनाक गैस से लोगों का स्वास्थ्य खराब करने के आरोप को सही पाया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पानीपत रिफाइनरी पर 642.18 करोड़ रुपये हर्जाना लगाने की अनुशंसा की है। पानीपत रिफाइनरी से हर्जाना कितना वसूला जाना है इस पर अंतिम निर्णय ग्रीन ट्रिब्यूनल लेगा। बता दें कि विश्व विख्यात टेक्सटाइल जिला पानीपत देश का 11वां व हरियाणा का दूसरा सबसे प्रदूषित जिला है। प्रदूषण फैलाने के लिए रिफाइनरी प्रशासन पर अनेक बार आरोप लगे। रिफाइनरी प्रशासन हर बाद अपने उपर लगे प्रदूषण फैलने के आरोप का इतने जोरदार तरीके से खंडन करता था। प्रदूषण से बेहाल हो चुके आसपास के गांवों में पानीपत रिफाइनरी के प्रति जनता में नाराजगी बढती चली गई।

सन् 2018 में रिफाइनरी के पास स्थित गांव सिठाना के सरपंच सत्यपाल ने पानीपत रिफाइनरी से फैल रहे प्रदूषण, पानीपत प्रशासन की रिफाइनरी के प्रति चुप्पी की शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत की। ट्रिब्यूनल ने पानीपत रिफाइनरी में वायु और जल प्रदूषण फैलाने के मामले की जांच के लिए स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया था। कमेटी की जांच में तत्कालीन उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने मनमानी की थी, इसके चलते ट्रिब्यूनल ने फिर से जांच के आदेश दिए थे। वहीं जांच कमेटी में सीएसआईआर-नीरी, केंद्रीय भूजल बोर्ड और उपायुक्त पानीपत की जांच कमेटी को शामिल किया गया था। कमेटी ने अपनी जांच में पानीपत रिफाइनरी को वायु और जल प्रदूषण फैलाने की दोषी पाया था।

कमेटी ने रिफाइनरी और इसके 10 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र में भूजल की जांच कराई। यहां से 31 सैंपल भरे गए। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी साथ रहा। लैब से जांच रिपोर्ट चिंताजनक मिली। रिफाइनरी और इसके आसपास का पीएच 7.15 से 8.24 मिला। क्लोराइड 250 एमजी से नीचे मिला। खंडरा गांव के सरकारी स्कूल से लिए पानी के सैंपल में फ्लोराइड 0.36 एमजी प्रति लीटर मिला। इधर, सीएसआईआर-नीरी (जल की गुणवत्ता नापने वाली केंद्रीय एजेंसी), केंद्रीय भूजल बोर्ड और उपायुक्त पानीपत की जांच कमेटी ने पानीपत रिफाइनरी पर आक्सीजन में आई कमी एवं अवैध रूप से केमिकल युक्त पानी बहाने पर भूजल के दूषित होने पर क्षतिपूर्ति 26.90 करोड़ रुपये, नागरिकों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की क्षतिपूर्ति 92.59 करोड़ रुपये, भूजल को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति 540 करोड़ रुपये कुल 659.49 करोड़ रुपये का हर्जाने की अनुशंसा की है, जबकि वहीं पानीपत रिफाइनरी ने कमेटी की रिपोर्ट पर ग्रीन ट्रिब्यूनल में 17.31 करोड़ का जुर्माना जमा किया था। अब जांच कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी अपनी रिपोर्ट में पानीपत रिफाइनरी को 642.18 करोड़ रुपये का हर्जाना करने की अनुशंसा की है। हर्जाना कितना किया जाएगा इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को निर्णय लेना है।

रिफाइनरी के प्रदूषण लोगों के अस्वस्थ्य होने का ग्राफ
वर्ष          पानी से लगने वाली बीमारी           सांस संबंधी बीमारी
2015       198                                              1911
2016       60                                               2449
2017       436                                             505
2018       388                                            1157
2019       205                                            2495

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