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    हरियाणा का कानून राम रहीम को कट्टर कैदी नहीं मानता, 2022 में हुआ था संशोधन

  • March 02, 2024

    चंडीगढ़ (Chandigarh) । हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने 2022 में एजी बलदेव महाजन से कानूनी राय लेने के बाद जेल की सजा काट रहे राम रहीम (Ram Rahim) कट्टर सजायाफ्ता कैदियों की श्रेणी से बाहर निकालने का फैसला किया। तीन-तीन मामलों में सजा सुनाए जाने के बाद से जेल में बंद सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम सिंह नियमित रूप से पैरोल पर जेल से बाहर आते रहे हैं।

    हरियाणा में अच्छे आचरण कैदी अधिनियम, 2022 के तहत एक कट्टर सजायाफ्ता कैदी का अर्थ होता है जो सिलसिलेवार हत्या का दोषी है। अलग-अलग एफआईआर में दो या दो से अधिक मामलों में आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या की सजा भुगत रहे अपराधी को कट्टर कैदी माना जता है। कंट्रैक्ट किलिंग में शामिल कैदी को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।14 वर्ष से कम आयु के बच्चों की हत्या और अपहरण, बलात्कार के साथ हत्या, डकैती और लूटपाट, एसिड अटैक , टेररिस्ट एंड डिसरैप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अधिनियम-1987, फिरौती के लिए किडनैपिंग, पॉक्सो अधिनियम 2012 के तहत कोई अपराध, एनडीपीएस एक्ट के तहत धारा 32ए के तहत सजा काट रहे अपराधियों को भी इसी में रखा गया है।

    हरियाणा सरकार ने 2022 में महाधिवक्ता (एजी) बलदेव राज महाजन से कानूनी राय लेने के बाद निष्कर्ष निकाला कि राम रहीम सिंह कट्टर सजायाफ्ता कैदियों की श्रेणी में नहीं आते हैं।


    आपको बता दें कि डेरा प्रमुख 2017 में अपने दो शिष्यों के साथ बलात्कार करने के दोषी ठहराए जाने के बाद 20 साल की सजा काट रहे हैं। बाद में उन्हें दो हत्या के मामलों में दोषी ठहराया गया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा काटनी पड़ेगी। इसके अलावा, राम रहीम और तीन अन्य को जनवरी 2019 में एक पत्रकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। अक्टूबर 2021 में डेरा प्रमुख और चार अन्य को डेरा के प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था।

    हरियाणा सरकार 2022 में एक नया कानून लेकर आई। इसके तहत एक कैदी को एक कैलेंडर वर्ष (जनवरी से दिसंबर) में 10 सप्ताह की पैरोल का अधिकार देता है। इसका लाभ दो बार लिया जा सकता है। नए कानून में तीन सप्ताह की अस्थायी छुट्टी की भी अनुमति दी गई।

    1988 के कानून में पैरोल या फर्लो पर कड़ी शर्तें रखी गई थीं। उनमें से एक यह था कि किसी कैदी की अस्थायी रिहाई पर विचार किया जा सकता है यदि कैदी के परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो या वह गंभीर रूप से बीमार हो या कैदी खुद गंभीर रूप से बीमार हो। अपनी शादी के लिए भी छुट्टी की इजाजत है।

    एक कट्टर सजायाफ्ता कैदी को अपने परिवार के सदस्यों के अंतिम संस्कार या अपने बच्चों या भाई-बहन की शादी में शामिल होने के लिए यात्रा के समय को छोड़कर एक कार्यक्रम के लिए छह घंटे से अधिक की पैरोल नहीं दी जा सकती है।

    डेरा प्रमुख को अस्थायी रिहाई दिए जाने को चुनौती देने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (एचसी) ने गुरुवार को तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि अदालत की अनुमति के बिना डेरा सचा सौदा प्रमुख और दुष्कर्म के दोषी गुरमीत राम रहीम को और पैरोल न दी जाए। गुरमीत सिंह को 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी। इससे करीब दो महीने पहले भी डेरा प्रमुख को 21 नवंबर 2023 में 21 दिन की छुट्टी दी गई थी जो रोहतक के सुनारिया जेल से 2023 में तीसरी अस्थायी रिहाई थी।

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