चंडीगढ़ । हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 के रूल 134-ए (Rule 134-A of Haryana School Education Rules, 2003) को हटाकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों (Economically Weaker Section) को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा की सुविधा वापस ले ली है. इस आशय की अधिसूचना जारी होने के बाद, राज्य भर के निजी स्कूलों ने सरकार के कदम का स्वागत किया.
निजी स्कूल ईडब्ल्यूएस कोटे का इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि बच्चों के अभिभावक हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 के नियम 134-ए के तहत लाभ लेने के लिए फर्जी आय प्रमाण पत्र जमा कराते हैं. हालांकि, हरियाणा शिक्षा विभाग ने कहा कि इस नियम को इसलिए हटाना पड़ा, क्योंकि यह केंद्र सरकार के शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009) से अलग था.
राज्य सरकार का इस बारे में क्या है कहना?
एसीएस (उच्च शिक्षा) आनंद मोहन शरण, जो स्कूली शिक्षा के लिंक अधिकारी भी हैं, उन्होंने इस संबंध में कहा, ”रूल 134-ए हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों के तहत एक प्रावधान था, जो आरटीई से पहले मौजूद था. नया अधिनियम ईडब्ल्यूएस को 25 प्रतिशत लाभ प्रदान करता है, जबकि नियम 134-ए केवल 10 प्रतिशत का लाभ प्रदान करता है. चूंकि यह केंद्रीय अधिनियम के विपरीत था, इसलिए इसे हटा दिया गया है.”
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रतिपूर्ति (Reimbursement) की जाएगी, जिसमें कहा गया है कि हरियाणा सरकार निजी स्कूल को उसके प्रति बच्चा खर्च या स्कूल शुल्क, जो भी कम हो, के अनुसार भुगतान करेगी. इसका मतलब यह हुआ कि स्कूलों को अब नियमानुसार उनके यहां पढ़ने वाले ईडब्ल्यूएस कोटा के छात्रों की संख्या की प्रतिपूर्ति मिलेगी.
सरकार से प्राइवेट स्कूलों की क्या थी मांग
हरियाणा निजी स्कूल संघ के पदाधिकारी अनिल कौशिक ने कहा कि, ”एक बैठक में, हमने यह भी सुझाव दिया कि सरकार संस्कृति मॉडल स्कूलों की फीस सीधे डीबीटी के माध्यम से इन बच्चों के माता-पिता के खातों में स्थानांतरित कर दे और उन्हें यह तय करने के लिए स्वतंत्र छोड़ दे कि वे कहां प्रवेश लेना चाहते हैं.”
फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवा रहे थे अभिभावक
उन्होंने बताया कि अभिभावक रूल 134-ए के तहत निजी स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए नकली आय प्रमाण पत्र का उपयोग कर रहे थे. हरियाणा निजी स्कूल संघ के पदाधिकारी अनिल कौशिक ने कहा, ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन पाने वाले छात्रों के डेटा को “परिवार पहचान पत्र” के साथ जोड़ने से यह साबित होता है कि 49,000 में से केवल 4,100 ही प्रवेश पाने के पात्र थे.
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