चंडीगढ़ । पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा (Former Union Minister Kumari Sailja) ने कहा कि किसानों को बर्बाद फसलों का (To Farmers for Damaged Crops) मुआवजा देने में (To give Compensation) हरियाणा सरकार (Haryana Government) आनाकानी कर रही है (Is Reluctant) ।
कुमारी सैलजा ने कहा कि हाल ही में ओलावृष्टि से फसलों के हुए नुकसान की भरपाई की दिशा में हरियाणा सरकार का रवैया नकारात्मक लग रहा है। किसान मुआवजे की मांग पर अधिकारियों के पास जा रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मुआवजा कब तक मिलेगा, इस सवाल पर अफसर चुप्पी साध कर बैठे हैं। पिछले साल भी ओलावृष्टि से तबाह हुई फसल का 20 करोड़ मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है।
मीडिया को जारी एक बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान की जब फसल पक कर कटने का वक्त हुआ तो ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो गई। गिरदावरी की मांग को लेकर किसान प्रदेश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनकी सुध न सरकार ले रही है न वहां बैठे अफसर। लोगों का ऑनलाइन सिस्टम से भरोसा टूट चुका है, क्योंकि पिछले साल का 20 करोड़ मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला है।
कुमारी सैलजा ने कहाकि अपने खून-पसीने की मेहनत से आमजन का पेट भरने वाले अन्नदाताओं को सरकार पोर्टल बाजी में उलझाने के बजाय तत्काल गिरदावरी के आदेश दे। उन्होंने कहा कि किसानों को मुआवजा न देने के सरकार बहाने ढूंढ रही है। पोर्टल बाजी के चक्कर में उलझाकर किसानों को मुआवजा देने से भागने की कोशिश न करके तुरंत गिरदावरी के आदेश देने चाहिए। सैलजा ने कहा कि लोकसभा चुनावों को लेकर कभी भी आचार संहिता लग सकती है। उसके बाद सरकार किसानों को आचार संहिता का बहाना बता कर मुआवजे देने से भाग सकती है। अगर सरकार को किसानों की चिंता है तो पोर्टल का बहाना छोड़ कर गिरदावरी करानी चाहिए।
सैलजा ने कहा कि अगर ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया तो कांग्रेस पार्टी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने से गुरेज नहीं करेगी। हम किसानों को उनका हक दिलवाने में किसानों का पूरा साथ देंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में बारिश-ओलावृष्टि से 8 लाख एकड़ फसल में 25 प्रतिशत नुकसान हुआ है। वहीं, हरियाणा क्षतिपूर्ति पोर्टल में 5 एकड़ की शर्त ने किसानों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है।
किसान सिर्फ इतने नुकसान की रिपोर्ट ही क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड कर पा रहे हैं। सरकार ने पोर्टल पर फसलों को ओलावृष्टि और बारिश से हुए नुकसान के लिए 15 मार्च तक का ही टाइम दिया है जो किसानों के साथ अन्याय है। जिन किसानों का 5 एकड़ से ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें पोर्टल पर बहुत दिक्कत आ रही है। सैलजा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को किसानों को वास्तविक एकड़ जमीन अपलोड करने की अनुमति देनी चाहिए और जितने एकड़ में नुकसान हुआ है, उसी के आधार पर उचित मुआवजा दिया जाए।
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