चंडीगढ़ (Chandigarh)। हरियाणा (Haryana) में 1980 के दशक (1980s) में राज करने वाले तीन ‘लाल’ की राजनीतिक जहां मध्यम होती जा रही है, वहीं चौथे लाल ‘मनोहर लाल’ इस समय सक्रिय राजनीति में हैं। बीजेपी (BJP) ने मनोहर लाल (Manohar Lal) को फ्री हैंड दे रखा है। एक नवंबर 1966 को हरियाणा बनने के बाद प्रदेश के तीन लाल ‘देवीलाल (‘Devillal), बंसीलाल (Bansilal), भजनलाल (Bhajanlal)’ ने राजनीतिक की कमान संभाली। लंबे समय तक बदल-बदल कर तीनों लाल ने हरियाणा में राज किया। इनमें स्वर्गीय ताऊ देवीलाल को देश के उपप्रधानमंत्री पद तक भी पहुंचे। बंसीलाल और भजनलाल हरियाणा के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे। तीनों लाल के बाद उनके परिवारों ने राजनीतिक विरासत को संभाला और हरियाणा में सक्रियता दिखाई। बंसीलाल के बेटे स्व. सुरेंद्र सिंह प्रदेश में मंत्री रहे।
सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी आज भी सक्रिय राजनीति कर रही हैं। इस लोकसभा चुनाव के परिदृश्य से बंसीलाल का परिवार बाहर हो गया है। कांग्रेस की आपसी खींचतान के चलते स्व. बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाल रही श्रुति चौधरी को इस बार टिकट नहीं मिला।
देवीलाल का परिवार
देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। देवीलाल की तीसरी पीढ़ी इस समय सक्रिय राजनीति में है। देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला, पोते की पत्नी नैना चौटाला और सुनैना चौटाला इस लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।
कुलदीप बिश्नोई नजरअंदाज
हरियाणा के तीसरे लाल यानी भजनलाल का परिवार भी इस बार लोकसभा चुनाव से बाहर हो गया है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार से बीजेपी के टिकट के प्रबल दावेदार थे। वहीं, भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन को हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी बनाने के लिए कांग्रेस का एक गुट जोर लगा रहा था। दोनों ही भाइयों को कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से निराशा ही हाथ लगी है। इस चलते दोनों भाई फिलहाल घर बैठ गए हैं।
हरियाणा में बीजेपी ने वर्ष 2014 के दौरान मनोहर लाल को राजनीति में उतारते हुए नारा दिया कि तीन लाल के बाद अब चौथे लाल हरियाणा को बनाएंगे बेमिसाल। मनोहर लाल इस समय बीजेपी की राजनीति के मुखिया के रूप में काम कर रहे हैं। बीजेपी ने उन्हें फ्री हैंड दिया हुआ है। करीब साढ़े नौ साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब वह करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
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