नई दिल्ली । हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में भाजपा (BJP) की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं मानी जा रही। इसके अलावा बगावत भी भाजपा पर भारी पड़ती दिख रही है। हिसार से लेकर महेंद्रगढ़ तक में पार्टी को बड़े नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री रहे रामबिलास शर्मा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। वह बुधवार को पार्टी की ओर से उम्मीदवारी का ऐलान होने से पहले ही नामांकन दाखिल कर आए। इस दौरान दक्षिण हरियाणा के कई सीनियर नेता मौजूद थे। राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव और अटेली के विधायक सीताराम यादव नामांकन के दौरान पहुंचे थे।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा, ‘टिकट मिले या नहीं, लेकिन किसी को भी सीनियर नेता के अपमान का अधिकार नहीं है। एक शिकायत के आधार पर पार्टी कह रही है कि शर्मा के टिकट पर विचार किया जा रहा है। यह कुछ और नहीं बल्कि जख्मों पर नमक रगड़ने वाली बात है। मैं मानता हूं कि पार्टी को रामबिलास शर्मा का टिकट नहीं काटना चाहिए। लेकिन ऐसा हुआ तो यह महेंद्रगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए झटका होगा। भाजपा तो शर्मा जी के खून में है। वह दशकों से पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।’
केंद्रीय मंत्री ने इस तरह रामबिलास शर्मा का खुला समर्थन करके और नामांकन में जाकर अपने तेवर दिखा दिए। साफ है कि रामबिलास शर्मा ने भले ही बागी होकर नामांकन दाखिल किया है, लेकिन एक बड़ा धड़ा उनके साथ जा सकता है। ब्राह्मणों के बीच भी रामबिलास शर्मा की एक साख रही है और उनका टिकट कटने से असर दिख सकता है। दक्षिण हरियाणा यानी गुरुग्राम और रेवाड़ी बेल्ट में यादवों के अलावा ब्राह्मणों की भी अच्छी तादाद है। वहीं सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि हमने कभी सोचा तक नहीं था कि रामबिलास शर्मा को टिकट के लिए इंतजार करना होगा। उनकी ही मेहनत से भाजपा हरियाणा में मजबूत हुई थी।
रामबिलास शर्मा के खिलाफ कौन सी शिकायत, जिसके हैं चर्चे
दरअसल रामबिलास शर्मा समेत 8 लोगों पर एक स्थानीय महिला ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उनके पति को बहकाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर ली। उनकी संपत्ति को भी कब्जा कराने की कोशिश की गई। पति के पैसों से पहले राजनीति की और बाद में उन्हें किनारे लगा दिया। यही नहीं बेटे को पॉक्सो ऐक्ट में भी फंसाने का आरोप लगाया। वहीं रामबिलास शर्मा ने इन आरोपों को आधारहीन बताया है।
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